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    मुफ्त शिक्षा, पैसा और चमत्कार... पंजाब में धड़ल्ले से ईसाई धर्म अपना रहे लोग, चौंका देगी रिपोर्ट

    Updated: Wed, 15 Jan 2025 11:30 PM (IST)

    पंजाब में मतांतरण की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। पिछले दो वर्षों में ही तीन लाख 50 हजार से अधिक लोगों ने अपना धर्म बदलकर ईसाई धर्म अपना लिया है। शहरों की तुलना में गांवों में मतांतरण की दर और भी अधिक है। इस तीव्र मतांतरण के पीछे प्रभु यीशु के चमत्कारों और मुफ्त शिक्षा जैसी सुविधाओं का प्रलोभन माना जा रहा है।

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    पंजाब में ईसाई धर्म में मतांतरण तेजी से बढ़ रहा है (फाइल फोटो)

    गुरमीत लूथरा, अमृतसर। Punjab Latest News: पंजाब में मतांतरण ने तीव्र गति प्राप्त कर ली है। केवल दो वर्षों में ही तीन लाख 50 हजार अधिक लोग अपना मतांतरण करवाकर ईसाई बन चुके हैं।

    शहरों की तुलना में गांवों में मतांतरण दिन दूनी-रात चौगुनी गति से बढ़ रहा है। इस तीव्र मतांतरण के पीछे हैं प्रभु यीसू के चमत्कार से दुख निवारण का नुस्खा व मुफ्त की रेवड़ियां। यह दावा सिख स्कॉलर एवं रिसर्चर पीएचडी डॉ. रणबीर सिंह ने एक सर्वे के आधार पर किया है।

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    वर्ष 2023-24 में डेढ़ लाख लोग मतांतरित हुए तो वर्ष 2024-25 के अंत तक दो लाख लोगों ने अपना धर्म बदल लिया। वर्ष 2011 में हुई जनगणना के अनुसार पंजाब की कुल जनसंख्या 2.77 करोड़ में से 1.26 प्रतिशत ईसाई समुदाय से थे यानी 3.50 लाख लोग इस समुदाय से थे।

    तरनतारन में तेजी से हुई बढ़ोतरी

    जिला तरनतारन में 2011 में ईसाई समुदाय की जनसंख्या 6,137 थी जो वर्ष 2021 में बढ़कर 12,436 हो गई यानि दस वर्षों में 102 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

    अकेले गुरदासपुर जिले की बात करें तो पिछले पांच वर्षों में इस समुदाय की जनसंख्या में चार लाख से अधिक की वृद्धि हुई है। डॉ. रणबीर ने बताया कि मतांतरण के लिए ईसाई समुदाय को अमेरिका, पाकिस्तान व अन्य मुल्कों से फंडिंग हो रही है।

    उन्होंने बताया कि बदलते दौर में विभिन्न प्रलोभन देकर मतांतरण करने का तरीका बदल गया है। सबसे पहले हिंदू, सिख अथवा मुसलमान समुदाय के लोगों तक पहुंच करके उन्हें चर्च तक लाया जाता है। उन्हें प्रभु यीसू के चमत्कार से समस्याओं का निवारण करने का विश्वास दिलाया जाता है।

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    बच्चों को मिलती है फ्री शिक्षा

    प्रार्थना सभा व अन्य माध्यमों से चर्च तक लाने के बाद जरूरतमंदों से कहा जाता है कि वे अपनी-अपनी समस्याएं अथवा दुख-तकलीफें लिखकर एक लिफाफे डालकर चर्च की पेटिका में डाल दें। तकलीफों का विवरण हासिल होने के बाद फरियादी की हर एक तकलीफ का बारीकी से अध्ययन किया जाता है।

    जिन गांवों अथवा क्षेत्र से समस्याएं ज्यादा प्राप्त होती हैं, उन गांवों को पास्टर द्वारा गोद ले लिया जाता है। गोद लेने के बाद एक-एक व्यक्ति की समस्या के समाधान की प्रक्रिया शुरू की जाती है। जिस व्यक्ति के बच्चों को फ्री शिक्षा दिलानी होती है, उन्हें स्कूलों में फ्री दाखिला दिलाया जाता है।

    जिसे आर्थिक मदद की जरूरत होती है, उसे मासिक आर्थिक मदद की जाती है। उनके स्वजनों के आर्थिक समस्याओं का बीडा पास्टर उठाते हैं। इसी तरह, कपड़ा, राशन व नकदी भी हर माह प्रदान की जाती है। 

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