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    Amritsar News: बच्ची को दुनिया में लाकर चल बसी मां, पिता का सहारा भी नहीं मिला, गगन ने दी ममता की छांव

    By Jagran NewsEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Sun, 18 Dec 2022 12:08 PM (IST)

    Amritsar News गुरु नानक देव अस्पताल में बच्ची को जन्म देकर उसकी मां चल बसी। बदकिस्मती यह रही कि बच्ची का पिता भी उसे अस्पताल में ही छोड़कर चला गया। ऐसे में 27 वर्षीय गगन ने इस बच्ची को अपने आंचल की खुशियां दी।

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    नवजात को गोद में उठाए हुए गगन

    अमृतसर, पंजाब: गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में बच्ची को जन्म देकर मां चल बसी। बदकिस्मती यह रही कि बच्ची का पिता भी उसे अस्पताल में ही छोड़कर चला गया। बच्ची को न अपनी मां का आंचल मिला, और न ही पिता का प्यार। ऐसे में 27 वर्षीय गगन ने इस बच्ची को न केवल अपने आंचल की खुशियां दीं, वहीं उसकी जान बचाने के लिए कई रातें जागकर काटी।

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    दरअसल, गुरु नानक देव अस्पताल में सात दिसंबर को इस बच्ची का जन्म हुआ था। प्रसव पीड़ा न सह पाने के कारण उसकी मां ने दम तोड़ दिया। बच्ची भी प्रीमेच्योर यानी समय पूर्व जन्मी थी। उसकी धड़कनें असामान्य थीं, वहीं सांसों में उतार-चढ़ाव जारी था। पीलिया का स्तर भी काफी बढ़ चुका था। ऐसी स्थिति में डाक्टरों ने वेंटीलेटर पर रखकर उसका उपचार शुरू किया। उपचार जारी रहा, पर बच्ची को ममता की छांव भी चाहिए थी।

    पिता के होते हुए भी अनाथ

    पिता के होते हुए भी अनाथ हो चुकी इस बच्ची को दूध पिलाने वाला भी कोई नहीं था। उसकी ऐसी हालत देखकर रईया निवासी गगन की आंखें छलक गईं। असल में गगन की भाभी अस्पताल में उपचाराधीन है। भाभी के नवजात शिशु को संभालने का काम गगन कर रही थी। वहीं वेंटीलेटर पर जिंदगी का ताना-बाना बुन रही बच्ची का दर्द गगन से देखा न गया।

    उसने डाक्टर से बात कर बच्ची को अपने आंचल की गर्मी देने की गुजारिश की। डाक्टर भी इस बच्ची को लेकर खासे चिंतित थे। उन्होंने फौरन हां कर दी। गगन ने उसके लिए गर्म कपड़े खरीदे। उसे बोतलबंद दूध पिलाने लगी और उसकी देखरेख में जुट गई। गगन अविवाहिता है और बारहवीं तक पढ़ी है।

    करनाल के दंपती ने लिया गोद

    गगन के अनुसार बच्ची की मां की मौत के बाद उसका पिता एक बार ही अस्पताल आया। शायद अपनी पत्नी का शव लेकर चला गया होगा। तब से यह बच्ची अकेली थी। मुझसे यह देखा नहीं गया। ऐसा महसूस हुआ कि शायद बेटी होने की वजह से पिता उसे स्वीकार नहीं करना चाहता था। बच्ची गंभीर बीमार थी। आक्सीजन लगी थी।

    मैंने सिर्फ उसे अपनी गोद में जगह दी। बाकी डाक्टरों ने उसे बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मुझे अफसोस इस बात का होता है कि लोग आज भी बेटियों को बोझ समझते हैं। इस बच्ची को करनाल के एक परिवार ने गोद लिया है।

    गगन का कहना है कि यदि कोई आगे न आता तो मैं इसे कानूनी प्रक्रिया के जरिए अपने घर ले जाती। इस बेटी से मेरा खून का रिश्ता नहीं, पर इन सात दिनों में ऐसा लगा कि वह अपनी है। करनाल में जिस दंपती ने बच्ची को गोद लिया है उनका संपर्क नंबर मैंने लिया है। वीडियो काल कर बेटी का चेहरा देख लेती हूं।

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