मरम्मत को तरस रहा खस्ताहाल रिगो ब्रिज कं
शहर की दूसरी बड़ी लाइफ लाइन माने जाने वाले रिगो ब्रिज की हालत काफी खस्ता है लेकिन इसके दोबारा निर्माण के लिए आज तक कोई खास प्रयास नहीं हुआ है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : शहर की दूसरी बड़ी लाइफ लाइन माने जाने वाले रिगो ब्रिज की हालत काफी खस्ता है, लेकिन इसके दोबारा निर्माण के लिए आज तक कोई खास प्रयास नहीं हुआ है। रिगो ब्रिज केंद्रीय, उतरी और पश्चिम हलके को आपस में जोड़ता है। इस पुल का फायदा पांच लाख के करीब आबादी लेती है। यह पुल इस्लामाबाद, पुतलीघर, लहौरी गेट, खजाना गेट, लौहगढ़ गेट, रेलवे बी ब्लाक, हाथी गेट, छेहरटा आदि इलाकों को जोड़ने का काम करता है। समय-समय पर आई सरकारों और विधायकों ने कभी भी इस तरफ गंभीरता ही नहीं दिखाई। पिछले पांच साल से कांग्रेस सरकार सत्ता में है। तीन हलके जुड़ते होने के बावजूद भी किसी भी हलके के विधायक ने इस पुल की तरफ ध्यान नहीं दिया। केवल बातें ही होती रही है बस। ऐसे में इस चुनाव के महासमर में यह पुल भी बड़ा मुद्दा बनेगा। 1955 में खत्म हो गई थी मियाद
शहर के कई इलाकों को जोड़ने वाले रिगो ब्रिज की मियाद भी खत्म हो चुकी है। ब्रिटिश सरकार ने इस पुल को 1905 में तैयार किया था। उस समय पुल की अवधि 50 साल तय की गई थी। 1955 में इस पुल को तोड़कर दोबारा बनाने की योजना थी। मगर ऐसा नहीं हुआ। ब्रिटिश साम्राज्य खत्म हो गया और इसके बाद पुल इसी तरह चलता रहा। 1980 में केंद्र सरकार ने पुल के लिए पांच लाख रुपये ग्रांट जारी की थी। इससे पुल के दोनों साइड पर लोहे की मजबूत चादरें लगा दी गई थी, ताकि पुल को मजबूत सपोर्ट मिल सके। 1980 से अब तक इस पुल पर गुजरने वाला ट्रैफिक करीब 200 गुणा बढ़ चुका है। 75 करोड़ रुपये में पुल नया बनना है। मगर तीनों ही हलकों को विधायकों ने इसके लिए कभी ज्यादा प्रयास किया ही नहीं। पुल के दोनों तरफ पत्थर लगाने से लग रहा जाम
स्थानीय निवासी राजेश शर्मा ने कहा कि वह रोजाना इस पुल से ही गुजरते है। भारी वाहनों को रोकने के लिए इसके दोनों तरफ बड़े-बड़े पत्थर लगा दिए है, जिससे रोजाना ही लंबा ट्रैफिक जाम लग जाता है। अगर गाड़ी में आना हो तो अकसर 40 से 45 मिनट का समय केवल पुल क्रास करने में निकल जाता है। ऐसे में चाहिए कि इस पुल की तरफ ध्यान दिया जाए, ताकि लोगों को परेशानी न हो। ब्रिज के लिए बजट दिया जाए
स्थानीय निवासी सलिल महाजन ने कहा कि रिगो ब्रिज शहर के लिए बेहद जरूरी है। हर बार इस पर लेप लगाकर अधिकारी पल्ला झाड़ लेते है। जबकि चाहिए कि इसके लिए प्रोजेक्ट तैयार कर दोबारा से बनवाया जाए। अधिकारी और नेता इस तरफ ध्यान नहीं देते है। इसलिए जरूरी है कि इस ब्रिज के लिए बजट दिया जाए।