सरकार ने 35 लाख रुपये जारी किए, अब जीएनडीएच आने वाले मरीजों को बाहर से नहीं लेनी पेड़गी दवाएं
गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में आने वाले मरीज की जेब पर अब बोझ नहीं पड़ेगा।

नितिन धीमान, अमृतसर: गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में आने वाले मरीज की जेब पर अब बोझ नहीं पड़ेगा। जीएनडीएच की इमरजेंसी, सर्जिकल व मेडिसिन वार्ड में चौबीस घंटे निश्शुल्क दवाएं मिलेंगी। मेडिकल शिक्षा व खोज विभाग ने जीएनडीएच में दवाओं की खरीद के लिए 35 लाख जारी किए हैं। जून में दवाओं की खरीद के लिए पहली किस्त दस लाख रुपये अस्पताल प्रशासन को मिल चुकी है। अस्पताल प्रशासन ने लुधियाना स्थित सरकारी जन औषधि केंद्र से दस लाख की दवाएं खरीदकर इमरजेंसी वार्ड में रखवाई हैं। इससे मरीजों ने राहत की सांस ली है।
दरअसल, जीएनडीएच में हमेशा ही दवाओं का संकट मरीजों के लिए परेशानी का पर्याय बना रहा है। साधारण दर्द निवारक दवाओं से लेकर ग्लूकोज की बोतल तक मरीजों को अपनी जेब से धनराशि खर्च कर खरीदनी पड़ती थी। इस बात को लेकर कई बार डाक्टरों व मरीजों के बीच विवाद भी हुआ। पंजाब के प्रमुख चिकित्सा संस्थान में मरीजों को साधारण सी दवाएं भी निश्शुल्क उपलब्ध न हों तो मरीज का गुस्सा जायज है। दवाओं की किल्लत का लाभ कुछ सरकारी डाक्टर भी उठाते रहे हैं। ऐसे डाक्टर निजी मेडिकल स्टोर्स से सांठगांठ कर मरीजों को उसी मेडिकल स्टोर से दवा लाने को मजबूर करते रहे हैं जहां से उन्हें मोटा कमीशन मिलता है। ऐसे कई डाक्टरों की शिकायतें विभाग तक पहुंची भी, परंतु कार्रवाई नहीं हुई। दैनिक जागरण ने उठाया था दवाओं की कमी का मुद्दा
विशेषकर इमरजेंसी वार्ड, जहां चौबीस घंटे मरीजों को दाखिल किया जाता है वहां दवाएं नहीं मिल रही थीं। दवाओं की कमी का मुद्दा दैनिक जागरण ने समय-समय पर प्रमुखता से उठाया था। लिहाजा विभाग ने इस संकट का निवारण कर दिया है। इमरजेंसी के अलावा मेडिसिन व सर्जरी विभाग में भी दवाएं उपलब्ध करवाई गई हैं। अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. केडी सिंह का कहना है कि अब मरीजों को निजी मेडिकल स्टोर्स से दवाएं लानी नहीं पड़ेंगी। दवाओं की उपलब्धता निरंतर रहे, इसके लिए विभाग प्रयासरत है। अकसर दवाओं का रैक जल्द खाली हो जाता है यहां
अगस्त 2013 में केंद्र सरकार ने जीएनडीएच में दवा केंद्र की स्थापना की थी। तत्कालीन केंद्र सरकार ने यहां 225 प्रकार की दवाएं और 35 तरह के सर्जिकल सामान निश्शुल्क उपलब्ध करवाने का दावा किया, पर आज यह दवा केंद्र खाली दिखता है। रैक में दवाओं की बजाय धूल है। साधारण सा ओआरएस का घोल तक यहां नहीं मिलता। हालांकि यह सच है कि अस्पतालों में मरीजों की संख्या अत्यधिक है और दवाओं की खपत भी। ऐसे में दवा खत्म हो जाती है, पर सरकार इसके खत्म होने से पहले उपलब्ध करवा दे तो मरीजों की परेशानी का हल हो जाएगा।
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