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    बलराम दास टंडन को मरणोपरांत जाति रत्‍‌न अलंकरण अवार्ड

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 26 Nov 2018 12:24 AM (IST)

    अमृतसर : समाज में कई बार मान-सम्मान हासिल करने का मौका मिलता है, मगर अखिल भारतीय खत्री महासभा के मंच पर अपने पिता बलराम दास टंडन के नाम पर सम्मान मिला है, उसके लिए अपने आप को भाग्यशाली समझता हूं। मिलता है, मगर अखिल भार

    बलराम दास टंडन को मरणोपरांत जाति रत्‍‌न अलंकरण अवार्ड

    हरदीप रंधवा, अमृतसर

    समाज में कई बार मान-सम्मान हासिल करने का मौका मिलता है, मगर अखिल भारतीय खत्री महासभा के मंच पर अपने पिता बलराम दास टंडन के नाम पर सम्मान मिला है, उसके लिए अपने आप को भाग्यशाली समझता हूं। छत्तीसगढ़ से बतौर राज्यपाल की सेवाएं निभाने वाले स्वर्गीय बलराम दास टंडन के बेटे व चंडीगढ़ से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रधान संजय टंडन ने अपने विचार महासभा के पदाधिकारियों के समक्ष रखे। इसी साल 14 अगस्त को अपना सांसारिक सफर खत्म करके अलविदा कह गए बलराम दास टंडन के पुत्र संजय टंडन रविवार को श्री दुग्र्याणा तीर्थ में अखिल भारतीय खत्री महासभा द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में अपने पिता बलराम दास टंडन के नाम का जाति रत्न अलंकरण प्राप्त करने के लिए गुरु नगरी पहुंचे थे। बलराम दास टंडन के नाम पर उनके पुत्र संजय टंडन को सम्मान देने की भूमिका राज्य के शिक्षा मंत्री ओम प्रकाश सोनी, अखिल भारतीय खत्री महासभा के प्रधान धनराज, अरुण खन्ना, स्वराज ग्रोवर आदि ने निभाई।

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    बलराम दास टंडन फाउंडेशन का हुआ गठन

    संजय टंडन ने बताया कि उन्हें याद है कि जब वह पहली बार अपने पिता अंगुली पकड़ कर श्री दुग्र्याणा तीर्थ में आया करते थे। उन्हें खुशी है कि उनके पिता बलराम दास टंडन को अमृतसर के लोग चाचा व अपना साथी समझते हैं। उनके पिता ने अमृतसर से जो रिश्ता कायम किया है, उसके चलते आज सम्मान समारोह में बहुत से लोग उनके लिए आए होंगे। संजय टंडन ने बताया कि उन्होंने अपने पिता बलराम दास टंडन के नाम पर बलराम दास टंडन फाउंडेशन का गठन किया है, जिसके तहत 1 नवंबर को उनकी जयंती पर रक्तदान शिविर लगाया था। वह घोषणा करते हैं कि उनकी याद में राज्य के हर शहर में हर महीने एक रक्तदान शिविर लगाया करेंगे।

    राज्यपाल रहते हुए नहीं लिया बढ़ा हुआ वेतन

    संजय टंडन ने बताया कि पिछले समय में केंद्र सरकार ने देश के राज्य पालों के वेतन में इजाफा होने संबंधी उनके पिता बलराम दास टंडन को पता चला, तो उन्होंने सरकार को पत्र लिख कर कहा कि वह अब जीवन के संध्याकाल में हैं और उन्हें पहले की तर्ज पर मिलने वाला वेतन ही काफी है। जबकि सरकार ने साल-2016 से वेतन में इजाफा किया था, जिसमें लगभग उनके 70 लाख रुपए मिलने थे, मगर उन्होंने कहा कि उन्हें 70 लाख रुपए नहीं चाहिएं, क्योंकि उन्होंने धन से नाता तोड़ लिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने पिता द्वारा बिताए गए जीवन व समाज में बनाए गए किरदार को देखकर सम्मान महसूस हो रहा है।