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    आरओ के पानी का टीडीएस कम, दूध में भी नहीं रहा दम

    स्वास्थ्य विभाग द्वारा खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के लिए शहर में चलाई गई फूड सेफ्टी मोबाइल वैन ने मिलावट के जहर का भंडाफोड़ किया है।

    By JagranEdited By: Updated: Tue, 01 May 2018 08:58 PM (IST)
    आरओ के पानी का टीडीएस कम, दूध में भी नहीं रहा दम

    जागरण संवाददाता, अमृतसर :

    स्वास्थ्य विभाग द्वारा खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के लिए शहर में चलाई गई फूड सेफ्टी मोबाइल वैन ने मिलावट के जहर का भंडाफोड़ किया है। साथ ही आरओ का पानी पीने वालों को चेतावनी भी जारी की है। 5 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्रम मो¨हदरा की ओर से अमृतसर में शुरू की गई इस मोबाइल वैन ने 30 अप्रैल तक शहर में जगह—जगह घूमकर 505 खाद्य पदार्थों व पेय पदार्थों के सैंपल लिए हैं। मोबाइल वैन में स्थापित लेबोरेट्री में इन पदार्थों की जांच के बाद दूध, पानी, मसालों के सैंपल फेल हुए हैं।

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    दरअसल, मोबाइल वैन ने पच्चीस दिन की अवधि में घर-घर से दूध के 118 सैंपल भरे। जांच के दौरान 77 सैंपल फेल पाए गए। कई घरों में आने वाले दूध में पानी की मात्रा अधिक पाई गई है। कई स्थानों पर दूध में फैट की मात्रा कम आंकी गई। इसी तरह मोबाइल वैन ने शहर भर में पानी के 219 सैंपल भरे। आरओ में प्यूराइफायर होकर लोगों का गला तर करने वाले इस पानी का टीडीएस लेवल बेहतर खतरे के चिन्ह को पार कर गया। 219 में से 91 सैंपलों का टीडीएस लेवल 50 से कम पाया गया है। कुछ सैंपलों में टीडीएस का लेवल 500 का लेवल भी पार गया। आरओ लगाकर खुद को सुरक्षित महसूस करने वाले लोगों को जब टीडीएस का लेवल मालूम हुआ तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। मोबाइल वैन के स्टाफ ने उन्हें बताया कि 50 से कम या 500 से अधिक टीडीएस वाला पानी सेहत के लिए हानिकारक है। ऐसे पानी में मिनरल नहीं बचते। इसके सेवन से इंसान के बाल झड़ने लगते हैं, किडनी की बीमारी व जोड़ों दर्द की शिकायत रहती है।

    जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. लखबीर ¨सह भागोवालिया ने बताया कि आरओ के पानी का टीडीएस लेवल कम होने की वजह यह है कि लोग आरओ की समय पर सर्विस नहीं करवाते। इससे पानी में विद्यमान मैग्नीशियम एवं कैल्शियम जैसे तत्व नष्ट हो जाते हैं। लोगों को नसीहत दी गई है कि वह हर छह महीने बाद सर्विस करवाएं। यदि ऐसा नहीं कर सकते तो नगर निगम द्वारा आपूर्त किया जा रहा पानी इस्तेमाल करें।

    आरओ के पानी के अलावा जो लोग सबमर्सिबल पंप लगाकर जमीन का पानी निकालकर प्रयोग करते हैं, दुकानों में वाटर कूलर मंगवाकर पानी पीते हैं, इनका टीडीएस लेवल भी ज्यादा पाया गया है। हालांकि नगर निगम द्वारा सप्लाई किए जाने वाले पानी में टीडीएस का लेवल ठीक-ठाक है।

    बहुराष्ट्रीय कंपनी के घी में

    वनस्पति का मिश्रण

    मिलावट को बेनकाब करने उतरी मोबाइल वैन ने इसी माह एक घर में दस्तक देकर देसी घी का सैंपल भरा था। यह घी एक बहुर्राष्ट्रीय कंपनी का था। दावा था कि 100 प्रतिशत देसी घी है, लेकिन जब लेबोरेट्री में जांच की गई तो इसमें आधे से ज्यादा मात्रा वनस्पति घी की पाई गई।

    मसालों में कैंसर का तत्व

    मोबाइल वैन ने बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन के आसपास स्थित ढाबों में भी सैंप¨लग अभियान चलाया। इन ढाबों में खाना तैयार करने में प्रयुक्त हो रहे मसालों में कैंसर पैदा करने वाला तत्व पाया गया है। मोबाइल वैन ने मसालों के 57 सैंपल भरे थे। इनमें 9 सैंपल फेल पाए गए हैं। इनमें ऐसे रंगों का प्रयोग किया था जिनके सेवन से कैंसर का खतरा रहता है। डॉ. भागोवालिया ने बताया कि ढाबा मालिकों को चेतावनी दी है कि कि लोगों की सेहत से खिलवाड़ न करें। यहां आम पब्लिक खाना खाती है। उन्हें खाना खिला रहे हैं या बीमारी परोस रहे हैं। उन्हें हिदायत की गई है कि वह बढि़या मसालों का प्रयोग करें। इसके अलावा इन ढाबों में जिन फैक्ट्रियों अथवा मैन्युफैक्चर्स की ओर से मसाले तैयार कर भेजे जाते हैं, उनके खिलाफ भी विभाग सख्त एक्शन लेने की तैयारी कर रहा है। अब गांवों में पहुंची मोबाइल वैन

    मोबाइल वैन ने अब गांवों की ओर फर्राटा भर दिया है। डॉ. भागोवालिया ने कहा कि लोग अपनी रसोई में आ रहे खाद्य पदार्थो की जांच करवाएं, ताकि उन्हें स्वच्छ और पौष्टिक आहार मिल सके। गांवों से शहर में दूध सप्लाई करने वाले दोधियों को चेतावनी दी गई है कि वे मिलावट की कालिख से दूध को काला न करें।