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    Amritsar News: सूअरों में फैला स्वाइन फीवर, फार्म मालिक को 210 सूअर को मारना पड़ा

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 06:50 PM (IST)

    अमृतसर के गांव धारीवाल कलेर में सूअरों में स्वाइन फीवर फैल गया है जिससे फार्म पालक सूअरों को मारने के लिए मजबूर हैं। गांव में तीन पिग फार्म हाउस हैं जिनमें लगभग 700 सूअर हैं। अब तक 200 से अधिक सूअरों को मारकर दफनाया जा चुका है। पशुपालन विभाग के अनुसार यह क्लासिकल स्वाइन फीवर है जो सिर्फ सूअरों को प्रभावित करता है मनुष्यों को नहीं।

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    Amritsar News: सूअरों में फैला स्वाइन फीवर। फाइल फोटो

    नितिन धीमान, अमृतसर। जिले के गांव धारीवाल कलेर में सूअरों में स्वाइन फीवर फैल चुका है। फार्म पालक सूअरों को मारने को विवश हैं, क्योंकि यदि बीमारी से प्रभावित सूअर जीवित रहा तो उससे अन्य सूअरों की भी बीमारी की चपेट आने की संभावना है। इस गांव में तीन पिग फार्म हाउस हैं। इनमें करीब सात 700 सूअर हैं।

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    अब तक इस बीमारी के कारण 200 से अधिक सूअरों को मारकर दफनाया जा चुका है। प्रशासन की ओर से आसपास के गांवों में भी सर्वे किया जा रहा है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक यह क्लासिकल स्वाइन फीवर (सीएसएफ) है, जो सिर्फ सूअरों को प्रभावित करता है। यह वायरस जनित बीमारी है, जो संक्रामक होती है।

    हालांकि इससे मनुष्यों को कोई खतरा नहीं है, लेकिन सूअरों के लिए यह जानलेवा है। पशुपालक जसबीर सिंह के अनुसार उनके फार्म में 210 सूअर थे। पहले कुछ बीमार हुए, फिर धीरे-धीरे पूरे फार्म में बीमारी फैल गई। चिकित्सकीय जांच में स्पष्ट हुआ कि यह स्वाइन फीवर है और अभी इसका उपचार संभव नहीं। ऐसे में इन सूअरों को उन्हें मारना पड़ा, ताकि बाकियों को बचाया जा सके।

    फार्म मालिक अब प्रशासन से मुआवजे की मांग कर रहे हैं। फिलहाल जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग मिलकर इस बीमारी को फैलने से रोकने में जुटे हैं। जिला प्रशासन ने गांव और आसपास के क्षेत्र में सूअरों की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पशुपालक जसबीर सिंह ने बताया कि उनका 23 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।

    यह बीमारी केवल सूअरों को प्रभावित करती है, इसका मनुष्यों से कोई खतरा नहीं है। यह वायरस लाइलाज है और यदि एक बार फार्म में फैल जाए तो पूरे क्षेत्र में तेजी से फैल सकता है। इस कारण प्रभावित सूअरों को मारकर दफनाना और फार्म को सैनिटाइज्ड करना जरूरी है। बीमारी रोकने का सिर्फ एक ही तरीका है कि समय पर पहचान और संक्रमित सूअरों को अलग करना या मारना। - डा. रविंदर सिंह कंग, पशु चिकित्सक