फिर सुर्खियों में श्री हरिमंदिर साहिब, AI से स्वर्ण मंदिर को गिरता हुआ दिखाने पर भड़के सिख समुदाय; FIR दर्ज
एक व्यक्ति ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का उपयोग करके श्री हरिमंदिर साहिब को विभाजित और गिरता हुआ दिखाया जिससे सिख समुदाय में आक्रोश है। हेड ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और ऐसी वीडियो को रिपोर्ट करने की अपील की। उन्होंने एआई के दुरुपयोग पर चिंता जताई और सरकार से सख्त कदम उठाने का आग्रह किया। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

जागरण संवाददाता, अमृतसर। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) तकनीक का दुरुपयोग करते हुए एक व्यक्ति ने श्री हरिमंदिर साहिब की पवित्र इमारत को दो हिस्सों में विभाजित और गिरता हुआ दिखाया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हजारों बार शेयर किया गया। इस घटना ने श्रद्धालुओं और सिख समुदाय में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है।
श्री हरिमंदिर साहिब के हेड ग्रंथी और पूर्व जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने इस घटना को “अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण” बताया। उन्होंने कहा कि जिस स्थान से पूरी दुनिया को भाईचारे, समानता और मानवता का संदेश मिलता है, उसकी पवित्रता को इस प्रकार की वीडियो से आहत करना घोर अनुचित है। उन्होंने श्रद्धालुओं और आम नागरिकों से अपील की कि ऐसी वीडियो को न तो लाइक करें और न ही शेयर, बल्कि तुरंत रिपोर्ट और ब्लॉक करें, ताकि यह आगे न फैले।
ज्ञानी रघबीर सिंह ने चिंता जताई कि एआई तकनीक का उपयोग हाल के दिनों में धार्मिक स्थलों और महापुरुषों की छवियों से छेड़छाड़ करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कुछ समय पहले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का भंगड़ा डालते हुए एआई जनरेटेड वीडियो वायरल किया गया था, जो बेहद दुखदायी है। उनका कहना था कि इस प्रकार की हरकतें धार्मिक और सामाजिक सौहार्द को चोट पहुंचाने वाली हैं।
उन्होंने बताया कि इस घटना की शिकायत पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर को दी गई है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है और मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। पुलिस कमिश्नर ने भरोसा दिलाया कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
ज्ञानी रघबीर सिंह ने प्रशासन और सरकार से भी अपील की कि एआई तकनीक के दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। साथ ही, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी इस प्रकार की आपत्तिजनक और भ्रामक सामग्री के प्रसार पर निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए जाने चाहिए।
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