Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    श्री अकाल तख्त के जत्थेदार को हटाने से पंथक लड़ाई तेज, पंजाब की सियासत पर क्या पड़ेगा असर?

    Updated: Fri, 07 Mar 2025 09:01 PM (IST)

    शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह (Harpreet Singh) के बाद श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी सुल्तान सिंह को भी हटा दिया है। इस कदम से पंथक लड़ाई तेज हो गई है। सुखबीर बादल अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं।

    Hero Image
    पंजाब में ज्ञानी हरप्रीत सिंह को सेवामुक्त करने की बाद सियासी लड़ाई तेज (जागरण ग्राफिक्स)

    इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को सेवामुक्त करने की बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अंतरिंग कमेटी ने आज जिस प्रकार से श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी सुल्तान सिंह को भी हटा दिया है उससे पंथक लड़ाई तेज हो गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऐसा लग रहा है कि शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। लेकिन उनका यह कदम उन्हें उनके लिए सत्ता का रास्ता संकरा ही नहीं करेगा बल्कि पथ भी कांटों भरा होगा। अभी तक पंथ के नाम पर वोट मांगते आए अकाली दल को एक बार फिर से जत्थेदारों से टकराव के रूप में देखा जा रहा है और पिछली ऐतिहासिक घटनाएं इस बात की गवाह हैं कि तख्तों के जत्थेदारों से टकराव के बाद शिरोमणि अकाली दल कभी सत्ता में नहीं आ सका है। तो क्या यह 1999 और 2015 की घटनाओं के इतिहास को ही दोहराया जा रहा है।

    पंजाब की राजनीति पर पड़ेगा फर्क?

    आज की घटना का शिरोमणि अकाली दल और पंजाब की राजनीति पर असर होना तय है। जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में शिरोमणि अकाली दल दो दिसंबर को हुए फैसले जिनका संबंध राजनीति से है उनको पलटेगा।

    दो दिसंबर को पांच सिंह साहिब की ओर से श्री अकाल तख्त साहिब की फसील से सुखबीर बादल को तनखैया घोषित करके जहां धार्मिक सजा लगाई गई। वहीं, 2007 से लेकर 17 तक रहे सभी अकाली मंत्रियों और तब की कोर कमेटी के सदस्यों से कहा कि यह लीडरशिप नैतिकता गंवा चुकी है इसलिए नई लीडरशिप चुनने के लिए सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया जाता है जो अकाली दल की भर्ती करेगी। यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का फख्र-ए-कौम भी वापिस लेने का आदेश हुआ। इसी को लेकर अकाली दल तख्तों के जत्थेदारों के साथ टकराव में आ गया।

    पहले ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाया गया

    पहले 18 साल पुराने एक मामले में दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को हटाया गया और आज श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी सुल्तान सिंह को भी हटा दिया।

    इस कार्रवाई से एक बात साफ हो गई है कि नए जत्थेदारों की ओर से दो दिसंबर को अकाल तख्त साहिब की ओर से बनाई गई सात सदस्यीय कमेटी को निरस्त किया जाएगा जिसने 18 मार्च से अकाली दल की भर्ती की घोषणा की हुई है।

    इसके अलावा इस बात की भी पूरी संभावना है कि प्रकाश सिंह बादल से लिया गया फख्र-ए-कौम भी वापिस कर दिया जाए। इस बात की भी पूरी संभावना है कि तख्तों के जत्थेदार के आदेश पर अकाली दल से निकाले गए विरसा सिंह वल्टोहा को भी वापिस ले लिया जाए।

    आज का दिन काला?

    आज के फैसले को लेकर दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने आज के दिन को काला दिन बताया है। भर्ती के लिए बनाई गई सात सदस्यीय कमेटी के सदस्य और विधानसभा में अकाली दल के ग्रुप लीडर मनप्रीत अयाली और इकबाल सिंह झूंदा ने भी तख्तों के जत्थेदारों को हटाने के फैसले की निंदा की है।

    उन्होंने कहा कि आज का दिन सिख कौम के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। महान पदविंयों पर बैठे ज्ञानी हरप्रीत सिंह और ज्ञानी सुल्तान सिंह को एसजीपीसी ने कुछ राजसी नेताओं की राजसी इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए पद से हटा दिया है। इस तरह सिख कौम की सर्वोच्च संस्था का राजसी हितों की पूर्ति के लिए नुकसान किया गया है।

    comedy show banner
    comedy show banner