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    'शौचालय साफ, लंगर घर में सेवा'; सभी दोषियों को अकाल तख्त ने सुनाई सजा, सुखबीर बादल को करने होंगे ये काम

    श्री अकाल तख्त साहिब पर जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई। सुखबीर बादल और उनके साथ 2007-2017 के दौरान उनकी सरकार में रहे मंत्रियों को सजा सुनाई गई। सुखबीर बादल को जुलाई में तनखैया घोषित किया गया था। अकाल तख्त ने सभी दोषियों को शौचालय की सफाई और लंगर घर में सेवा करने की सजा सुनाई है।

    By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Mon, 02 Dec 2024 05:36 PM (IST)
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    सुखबीर बादल समेत 2007-2017 के दौरान शिअद सरकार में रहे मंत्रियों को मिली सजा।

    जागरण संवाददाता, अमृतसर। श्री अकाल तख्त साहिब में जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह की अध्यक्षता में पांच सिख साहिबानों की बैठक हुई। बैठक में शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल के साथ 2007-2017 के दौरान उनकी सरकार में रहे मंत्रियों, पूर्व जत्थेदार, 2015 की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्यों और मौजूदा अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी को बुलाया गया था।

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    अकाली दल की सरकार में हुईं गलतियां सुखबीर बादल और उनके मंत्रियों की ओर से माने जाने पर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सजा सुनाते हुए कहा कि उन्हें शौचायलों की एक घंटा सफाई के अलावा लंगर की सेवा करना होगा। 

    सभी दोषी गले में पटियां डालकर सेवा करेंगे। सुखबीर बादल के पैर में प्लास्टर लगा होने की वजह से उन्हें व्हील चेयर पर बैठकर मुख्य द्वार पर एक घंटे की सेवा और उसके बाद लंगर के बर्तन धोने की सेवा दी गई है।

    करना होगा श्री सुखमनी साहिब का पाठ

    अमृतसर डेरा मुखी को माफी मंगवाने पर सिंह साहिबान ने फखर-ए-कौम का खिताब वापस लेने की घोषणा की। इसके अलावा डेरा मुखी की माफी के लिए जो विज्ञापन दिया गया था, उसकी राशि व्याज सहित अकाउंट ब्रांच में जमा करवाने के भी निर्देश दिए हैं।

    ज्ञानी रघुबीर सिंह ने कहा कि सुखबीर बादल सहित कोर कमेटी सदस्य और साल 2015 कैबिनेट के सदस्य रहे नेता 3 दिसंबर को 12 बजे से लेकर एक बजे तक शौचालय साफ करेंगे। जिसके बाद नहाकर वह लंगर घर में सेवा करेंगे। बाद में श्री सुखमनी साहिब का पाठ करेंगे। 

    सुखबीर बादल क प्लास्टर लगा होने की वजह से श्री हरिमंदिर साहिब के बाहर बरछा लेकर बैठेंगे। उन्हें गले में तख्ती पहननी होगी। जत्थेदार ज्ञानी गुरचरण सिंह को एसजीपीसी की दी गई सभी सुविधाएं वापस लेने के निर्देश। प्रकाश सिंह बादल से मरणांरत फर्क ए कौम अवार्ड वापस लेने के आदेश।

    बता दें कि सवालजवाब का दौर खत्म होने के बाद सिंह साहिबान फैसले के लिए मीटिंग की। फैसला आने से पहले श्री अकाल तख्त साहिब पर सतनाम श्री वाहेगुरु जी का पाठ शुरू हो गया।

    तत्कालीन एसजीपीसी के सदस्यों ने मानी गलती

    एसजीपीसी के सदस्यों को तलब किया था। इस दौरान करनैल सिंह ने कहा कि मैंने विरोध किया था। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक के तत्कालीन अंतरिम कमेटी के सदस्यों ने माना कि कि उन्होंने डेरा मुखी को माफी देने के विज्ञापन का विरोध नहीं किया।

    मेरे घर डेरामुखी की माफी की कोई मीटिंग नहीं हुई- बलविंदर सिंह

    बलविंदर सिंह भूंदड़ ने कहा कि सरकार के दौरान गलती हुई, हम मानते हैं। मेरे घर डेरामुखी की माफी की कोई मीटिंग नहीं हुई। उन्होंने कहा कि हम सुखबीर बादल के साथ खड़े हैं।

    विक्रम मजीठिया ने मानी गलती

    बीबी जागीर कौर ने कहा कि मैंने इन मामलों का विरोध किया था। बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि किसी भी कैबिनेट की मीटिंग में डेरा मुखी की माफी का मामला नहीं आया। जो भूल हुई उसे लेकर जो आवाज उठानी चाहिए थी, मैंने नहीं उठाई। उन्होंने कहा कि मैं सरकार का हिस्सा था, इसलिए अपनी गलती मानता हूं।

    चंदू माजरा को ज्ञानी हरप्रीत सिंह लगाई झाड़

    प्रेम सिंह चंदू माजरा ने डेरा मुखी पर की सजा माफी पर अखबारों में आए अपने बयान पर कहा कि यह मैंने नहीं दिया। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने वह बयान पढ़कर सुनाया। प्रेम सिंह चंदू माजरा के झूठ बोलने पर ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने झाड़ लगाई और श्री अकाल तख्त साहब की तरफ उंगली करके बात न करने को कहा।

    सुखबीर बादल ने स्वीकार किए दोष

    सुखबीर बादल ने अकाली सरकार के दौरान हुई भूलों को स्वीकार किया है। सुखबीर बादल ने कहा हमसे बहुत भूलें हुई हैं। सरकार में बेअदबी हुई, सजा देने में नाकाम रहे, बेहबल कला गोलीकांड हुआ, ये दोष भी सुखबीर ने स्वीकार किया।

    जत्थेदारों पर दबाव नहीं- ज्ञानी रघुबीर सिंह

    श्री अकाल तख्त साहिब से संबोधित करते हुए ज्ञानी रघुवीर सिंह ने कहा कि जत्थेदारों पर सजा को लेकर किसी भी प्रकार का कोई दबाव नहीं है। अगर अकाली दल जिंदा है तो वह हमारे हितों की रक्षा कर सकता है।

    शिअद नेताओं को सुनाई जा सकती है सजा

    संभवत: बैठक में सुखबीर और 2007-17 के दौरान अकाली सरकार में मंत्री रहे शिअद नेताओं को सजा सुनाई जा सकती है। हाल ही में सुखबीर श्री अकाल तख्त साहिब में पेश हुए थे और उन्होंने जल्द सुना सुनाए जाने की मांग की थी। 

    उनका तर्क था कि उन्हें तनखैया घोषित हुए तीन महीने से अधिक का समय हो गया है, इसलिए उन्हें सजा सुनाई जाए। उसके बाद श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने बैठक को बुलाने की घोषणा की थी।

    जुलाई में तनखैया घोषित हुए थे सुखबीर बादल

    बता दें कि सुखबीर को जुलाई महीने में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने तनखैया करार देते हुए धार्मिक सजा सुनाई थी। सुखबीर बादल पर आरोप है कि उनकी सरकार के समय डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी दी गई, पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी को नियुक्त किया गया, श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई नहीं की गई आदि आरोप है।

    जिस पर श्री अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि अकाली दल प्रधान और डिप्टी सीएम रहते हुए सुखबीर ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथक स्वरूप के अक्स को नुकसान पहुंचा। सिख पंथ का भारी नुकसान हुआ।

    उसके बाद बागी गुट के प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बीबी जगीर कौर, परमिंदर सिंह ढींढसा एक जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे थे। इस दौरान जत्थेदार को माफीनामा सौंपा गया था। जिसमें सुखबीर बादल से हुई चार गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई थी।

    अकाली सरकार ने वापस लिया था राम रहीम पर मामला

    इन गलतियों में उन्होंने माना था कि 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस समय इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया।

    सुखबीर बादल ने दिलवाई थी डेरामुखी को माफी

    श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया।

    अकाली सरकार पर लगे थे ये भी आरोप

    1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए।

    इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल की सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं।

    'डीजीपी सुमेध की नियुक्ति' सुखबीर बादल की चौथी गलती

    चौथा आरोप अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का डीजीपी नियुक्त किया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व डीजीपी इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया।