Sanskarshala: स्मार्टफोन को स्मार्ट तरीके से इस्तेमाल करें, डिजिटल वर्ल्ड में उपभोक्ता नहीं रचयिता बनें
लोगों को समझना होगा और मोबाइल व इंटरनेट का प्रयोग सिर्फ जरूरत के समय और कम से कम करना चाहिए। वर्तमान समय में हम सभी मोबाइल फोन डेस्कटॉप कंप्यूटर आइपैड लैपटाप सभी अपनी अल्प समय की खुशी के लिए इस्तेमाल करते हैं।

डिजीटल जीवन अभिशाप और आशीर्वाद दोनों हैं। वरचुअल वर्ल्ड में युवा फंस रहे हैं। युवाओं के साथ साथ हर आयु वर्ग के लोगों को इसकी लत अधिक लग गई है। मोबाइल पर समय बिताना प्रत्येक व्यक्ति को अच्छा लगने लगा है। इसलिए लोग वास्तविक दुनिया में दोस्त ढूंढने के बजाय वरचुअल दुनिया में दोस्त ढूंढते हैं। इससे सामाजिक ताना-बाना भी तहस नहस हो रहा है। लोगों को समझना होगा और मोबाइल व इंटरनेट का प्रयोग सिर्फ जरूरत के समय और कम से कम करना चाहिए। वर्तमान समय में हम सभी मोबाइल फोन, डेस्कटॉप कंप्यूटर, आइपैड, लैपटाप सभी अपनी अल्प समय की खुशी के लिए इस्तेमाल करते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर लोग प्रतिदिन चार से पांच घंटे तक का समय अपने मोबाइल फोन पर व्यतीत करते हैं। स्मार्टफोन को स्मार्ट तरीके से ही इस्तेमाल करना चाहिए। डिजीटल जिंदगी को जीने का सही तरीका इसके उपभोक्ता बन कर नहीं, रचियता बन कर हो सकता है। मोबाइल फोन वर्तमान में जरूरी के साथ मजबूरी भी बन गया है। पूरी दुनिया के लोगों को इसने अपने जाल में फंसा लिया है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग मोबाइल फोन और डिजीटल दुनिया के आदी हो चुके हैं।
जेब में पैसे हो ना हो , व्यक्ति के पास कोई व्यवसाय हो ना हो मोबाइल फोन होना जरूरी बन गया है। प्रत्येक व्यक्ति की दिनचर्या का लाजिमी हिस्सा मोबाइल फोन बन चुका है। प्रत्येक व्यक्ति डिजीटल दुनिया के माया जाल में फंस चुका है और कही न कही तनाव से ग्रस्त हो गया है। अपनी जिज्ञासा को दूर करना, जरूरत की वस्तुओं को ढूंढना, अपने विषय से संबंधित खोजना, अपनी मनपसंद जगह ढूंढना या फिर जीवन से संबंधित किसी भी प्रकार की सुख सुविधा के बारे में जानकारी प्राप्त करना हो, हर व्यक्ति इसके लिए मोबाइल फोन यानि डिजीटल दुनिया में जरूर जाता है।
अब जब मोबाइल फोन, लैपटॉप, कंप्यूटर हमारी जरूरत और मजबूरी दोनों हैं। इसने हमारे जीवन को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है। खासकर कोरोना महामारी की दो वर्षों के समय के दौरान छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों ने मोबाइल फोन, कंप्यूटर और डिजीटल तकनीक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया था, जिसके फलस्वरूप अब इसकी लाभ के साथ हानि भी देखने को मिल रही है।
सबसे पहला प्रभाव ज्यादा मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले लोगों की सेहत पर विपरीत असर पड़ना है। डिजीटल दुनिया में हम किसी जगह की तस्वीर तो देख सकते हैं लेकिन, उसका व्यक्तिगत अनुभव नहीं ले सकते। केवल मात्र रहस्यमयी दुनिया में ही खो सकते हैं। जो कल्पना का ही रूप मात्र है। मोबाइल फोन और डिजीटल दुनिया की वजह से ज्यादातर लोग समाज से दूर हो रहे हैं। लोगों के निजी व्यवहार और आदतों पर असर पड़ रहा है। लोगों का व्यवहार असामाजिक हो रहा है।
ज्यादा कंप्यूटर और मोबाइल के इस्तेमाल के कारण शरीर से कई रसायन निकलते हैं जोकि किसी भी व्यक्ति की सेहत के लिए अच्छे नहीं होते। वर्तमान युग में बच्चे पहले की तुलना में टेक्नोलॉजी से ज्यादा जुड़े हुए हैं। विभिन्न प्रकार के उपकरणों को उपयोग में लाने से दो प्रकार की रेडिएशन उत्पन्न होती हैं। पहली आइओनाइजिंग और दूसरी नान आइओनाइजिंग। इनकी तीव्रता सूर्य की रोशनी से उत्पन्न होने वाली अल्ट्रावॉयलेट किरणों की तरह होती है। मोबाइल में नान आयोनाइजिंग किरणें होती हैं, जिनको तीव्रता शक्ति नजदीक वाले मोबाइल टावर से प्राप्त होती है। जब हम मोबाइल फोन से कॉल, मैसेज जा डाटा का उपयोग करते हैं तो यह किरणें एक्टिव हो जाती हैं। उत्पन्न होने वाली माइक्रोवेव रेडिएशन बहुत ज्यादा खतरनाक होती है।
रजनी सल्होत्रा, प्रिंसिपल महंत कौशल दास डीएवी पब्लिक स्कूल, नेष्टा,अटारी
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