अमृतसर: वल्ला में सक्की नाला गोबर से लबालब, अवैध पाइप लगाकर धड़ल्ले से पानी में गंदगी डाल रहे पशुपालक
अमृतसर के वल्ला क्षेत्र में सक्की नाला पशुपालकों द्वारा गोबर और गंदगी डाले जाने से पूरी तरह जाम हो गया है। नहर के किनारे अवैध पाइप लगाकर गंदगी सीधे नाले में डाली जा रही है, जिससे नाले की क्षमता घट गई है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से नाले की सफाई और अवैध कनेक्शन हटाने की मांग की है, क्योंकि बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
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पशुपालक नाले में ही उड़ेल रहे हैं गोबर व गंदगी (फोटो: जागरण)
नितिन धीमान, अमृतसर। माल मंडी—वल्ला क्षेत्र का सक्की नाला ऐसे भयावह खतरे में बदल चुका है, जो किसी भी समय पूरे इलाके में भारी तबाही ला सकता है।
जिस नाले का उद्देश्य बारिश और नहर के अतिरिक्त पानी को सुरक्षित बहाव देना था, आज वही नाला पशुपालकों की लापरवाही और अवैध गतिविधियों के कारण पूरी तरह जाम हो चुका है। यह स्थिति न केवल पर्यावरणीय संकट है, बल्कि लोगों की जान और संपत्ति के लिए गंभीर खतरा भी बन गई है।
माल मंडी—वल्ला स्थित नहर के साथ सटे सक्की नाले को पशुपालकों ने गोबर और गंदगी से लगभग पूरी तरह भर दिया है। कई पशुपालकों ने तो नहर और नाले के किनारे पाइपें बिछाकर गंदगी को सीधे सक्की नाले में गिराने का रास्ता बना रखा है।
इस तरह के पाइप अवैध रूप से बिछाए गए हैं, जिनसे लगातार गोबर, मूत्र और अन्य अपशिष्ट नाले में डाले जा रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि नाले के दोनों तरफ का बहाव रुक गया है और पूरा नाला दलदलनुमा गंदगी में बदल चुका है।
चिंताजनक पहलू यह है कि सक्की नाला अब अपनी क्षमता खो चुका है। अगर वल्ला नहर पानी से भरकर ओवरफ्लो हुई, तो यह जाम नाला एक बूंद भी अधिक पानी नहीं संभाल पाएगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि बारिश हो या नहर का पानी बढ़े, दोनों ही स्थितियों में यह नाला किसी भी वक्त खतरे का बड़ा कारण बन सकता है।
हाल ही में रावी दरिया में आई बाढ़ का कड़वा अनुभव अभी भी लोगों की यादों में ताजा है। इसके बावजूद प्रशासन ने इस नाले की सफाई या अवैध पाइप कनेक्शनों को हटाने पर कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की।
स्थिति को और भयावह बनाता है धुस्सी बांध का पहले से टूटा होना। धुस्सी बांध के टूटने के बाद आसपास के इलाकों में पानी के फैलाव का जोखिम बहुत बढ़ चुका है। ऐसे में यदि वल्ला नहर का स्तर बढ़ा और सक्की नाला जाम होने के कारण पानी बाहर फैलने लगा, तो माल मंडी, वल्ला, बाला, श्रृंगार एवेन्यू, तथा नजदीकी कच्ची बस्तियों तक बाढ़ पहुंच सकती है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि कई घर नहर और सक्की नाले से कुछ ही दूरी पर हैं, और वहां रहने वालों को हर बरसात के मौसम में डर लगा रहता है कि कहीं अचानक पानी उनके घरों में न घुस जाए।
पशुपालकों की गतिविधियां न केवल नाले को जाम कर रही हैं, बल्कि पशु क्रूरता का एक बड़ा रूप भी सामने ला रही हैं। अवैध तरीके से पशुओं को तंग जगहों में बांधकर रखा जाता है और गोबर की निकासी का कोई प्रबंधन नहीं।
इतना ही नहीं, बछड़ों के जन्म होने पर उन्हें कसाइयों के हवाले कर दिया जाता है, जो गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। इस तरह की अनियमितताएं सालों से चल रही हैं, मगर कार्रवाई करने वाला कोई नहीं है।
स्थानीय निवासी सुखदेव सिंह ने बताया कि वह कई बार प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि नाले की तुरंत सफाई करवाई जाए, अवैध पाइप कनेक्शन काटे जाएं और पशुपालकों पर सख्त कार्रवाई की जाए, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम दिखाई नहीं देता।
यह प्रशासनिक लापरवाही किसी बड़े हादसे को दावत दे रही है। अगर नहर का पानी अचानक बढ़ा या तेज बारिश हुई, तो यह जाम सक्की नाला बाढ़ से विस्फोटक बन जाएगा। ऐसे में जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है।

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