'एक व्यक्ति के लिए नियम बदले...', राम रहीम को फिर मिली 40 दिन की पैरोल, एसजीपीसी चीफ ने जताई नाराजगी
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को बार-बार पैरोल देने की आलोचना की है। एसजीपीसी अध्यक्ष एडवोकेट एचएस धामी ने सरकार की दोहरी नीति की निंदा की और बंदी सिखों को रिहा करने की मांग की। श्री अकाल तख्त साहिब और तख्त श्री पटना साहिब के मध्य विवाद पर भी चर्चा हुई।

जागरण संवाददाता, अमृतसर। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने जनरल इजलास में मंगलवार को डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को एक बार फिर पैरोल देने की तीखी आलोचना की है।
एसजपीसी अध्यक्ष एडवोकेट एचएस धामी ने कहा कि अगर एक व्यक्ति के लिए नियम बदले जा सकते हैं तो जेल में बंद उन बंदी सिखों के लिए भी नियम बनाएं जो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं और इन्हें रिहा किया जाए।
उन्होंने कहा कि यह बेहद निंदनीय है कि राम रहीम जैसे सजायाफ्ता को बार-बार पैरोल दी जा रही है। उन्होंने इसे सरकार की दोहरी व पक्षपात पूर्ण नीति बताया। इसके अलावा जनरल इजलास में श्री अकाल तख्त साहिब और तख्त श्री पटना साहिब के मध्य पैदा हुए विवाद पर चर्चा हुई। तेजा सिंह समुंदरी हाल में हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए।
धामी ने कहा कि सिख कौम से संबंधित राष्ट्रीय मुद्दों पर निर्णय केवल श्री अकाल तख्त साहिब के पांच सिंह साहिबान द्वारा ही लिया जाना चाहिए। वहीं, अन्य चार तख्त क्षेत्रीय मामलों में स्थानीय स्तर पर निर्णय लेना मर्यादा के अनुसार उपयुक्त है। इसके साथ ही श्री हरिमंदिर साहिब को बम से उड़ाने की बार-बार मिल रही धमकियों के संबंध में पुलिस की कारगुजारी पर भी प्रश्न खड़े किए गए।
बैठक में एडवाइजरी कमेटी के गठन पर सहमति बनाई गई। यह कमेटी सिखों से संबंधी समस्याओं एवं शिकायतों का निवारण करेगी। धामी ने कहा कि वह पांचों तख्तों से अपील करेंगे कि पंथक परंपराओं को नजरंदाज न करें। कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी तख्त साहिबों की भी सलाह ली जाए।
जनरल इजलास में आरएसएस का विश्वविद्यालयों में बढ़ता हस्तक्षेप, पंजाब सरकार द्वारा बेअदबी मामलों पर लाए गए बिल तथा सरकार द्वारा सिख संस्थाओं को दरकिनार कर 350वीं शहीदी शताब्दी पर गुरुमत समागम आयोजित करने की जिद जैसे मुद्दों पर भी गहरी चिंता और प्रकट की गई।
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