Punjab Politics: CM मुख्यमंत्री मान के सील बंद लिफाफे से हुआ हंगामा, स्पष्टीकरण भेजने से बढ़ा विवाद
ख्यमंत्री भगवंत मान ने अपनी पार्टी के दो विधायकों दसूहा से अमरबीर सिंह और खेमकरण के स्वर्ण सिंह के हाथ सरबत खालसा की ओर से नियुक्त श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ध्यान सिंह मंड को सीलबंद लिफाफे में अपना स्पष्टीकरण भेजकर विवाद खड़ा कर लिया है। ध्यान सिंह मंड कट्टरपंथी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हें शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने कोई मान्यता नहीं दी है।
चंडीगढ़ /अमृतसर, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपनी पार्टी के दो विधायकों दसूहा से अमरबीर सिंह और खेमकरण के स्वर्ण सिंह के हाथ सरबत खालसा की ओर से नियुक्त श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ध्यान सिंह मंड को सीलबंद लिफाफे में अपना स्पष्टीकरण भेजकर विवाद खड़ा कर लिया है।
ध्यान सिंह मंड कट्टरपंथी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हें शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने कोई मान्यता नहीं दी है। ध्यान सिंह मंड ने मुख्यमंत्री मान द्वारा 20 जून 2023 को विधानसभा सत्र में के दौरान सिख गुरुद्वारा एक्ट में धारा 125-ए के तहत जोड़कर जो संशोान बिल पारित करवाया था। उसको लेकर उन्हें स्पष्टीकरण देने को कहा था। सिख पंथ के नेताओं का कहना है कि ऐसा करके मुख्यमंत्री ने कौम को दोफाड़ करने की कोशिश की है ।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व सदस्य अमरिंदर सिंह ने कहा कि यह पंथ की खिल्ली उड़ाने जैसा है। जब सिख पंथ ध्यान सिंह मंड को श्री अकाल तख्त साहिब का जत्थेदार ही नहीं मानता तो उन्हें स्पष्टीकरण क्यों भेजा गया? क्या वह उन्हें जत्थेदार के रूप में मान्यता दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुरुद्वारा एक्ट में संशोधन करवाने के मामले में भी उनकी मंशा गुरुबाणी के प्रसारण पर नहीं बल्कि राजनीति करने पर थी।
एसजीपीसी के पूर्व प्रधान जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहरा के मीडिया सलाहकार रहे मालविंदर सिंह माली ने भी इसे पंथ को दोफाड़ करना बताया है। उन्होंने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब सिखों की शक्ति का केंद्र है और भगवंत मान इसे कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी ध्यान सिंह मंड ने मुख्यमंत्री रहते हुए गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को तलब किया था लेकिन वह नहीं गए क्योंकि वह जानते थे कि वह पंथ के प्रवानित जत्थेदार नहीं हैं।
यह दूसरा मौका है जब ध्यान सिंह मंड ने किसी मामले में मुख्यमंत्री को श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर अपना स्पष्टीकरण देने को कहा है। इससे पहले उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कैप्टन अमरिंदर सिंह को तलब किया था और कहा था कि उन्होंने इस मामले की जांच का आश्वासन दिया था लेकिन वह ऐसा करने में असफल रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह उनके मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा,सुखजिंदर सिंह रंधावा, विधायक कुलबीर सिंह जीरा और विधायक हरमिंदर सिंह गिल ध्यान सिंह मंड से मिले थे।
लेकिन मिलने से पहले उन्होंने स्पष्ट किया कि चूंकि पंथ के स्वीकृत जत्थेदार नहीं हैं इसलिए वह तख्त साहिब पर पेश नहीं होंगे। शिष्टमंडल ने कहा कि चूंकि वह बेअदबी का इंसाफ लेने के लिए लगाए गए मोर्च के डिक्टेटर थे इसलिए वह उन्हें मोर्चा डिक्टेटर के रूप में इस केस से जुड़े तथ्यों के बारे में जानकारी देंगे। परंतु ऐसा श्री दरबार साहिब कंप्लेक्स के बाहर ही संभव होगा। तब ध्यान सिंह मंड मुख्यमंत्री के इस शिष्टमंडल से श्री दरबार साहिब कांप्लेक्स से बाहर आकर मिले।
ध्यान सिंह मंड शिष्टमंडल के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए उन्होंने तब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को तलब किया लेकिन वह नहीं गए।अब एक बार फिर ध्यान सिंह मंड ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को तलब किया है। वह खुद तो नहीं गए लेकिन अपना स्पष्टीकरण उन्होंने अपने विधायकों के हाथ भेज दिया है। मुख्यमंत्री के इस कदम से विवाद छिड़ गया है। ध्यान सिंह मंड ने कहा कि मुख्मयंत्री ने सीलबंद लिफाफा भेजा है जिसे अभी उन्होंने पढ़ा नहीं है।
इसलिए अभी सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। इसके अध्ययन के बाद ही वह इस संबंधी कोई फैसला लेंगे। उल्लेखनीय है कि मंड ने इसी दिन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी को भी आदेश जारी कर अभी तक एसजीपीसी ने अपना चैनल शुरु क्यों नहीं किया गया, इस बारे स्पष्टीकरण देने का फरमान जारी किया गया था, फिलहाल प्रधान धामी ने कोई जवाब नहीं दिया है।
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