ब्लॉक समिति-जिला परिषद चुनाव परिणाम 2027 का सेमिफाइनल; AAP की बढ़त बरकरार, कांग्रेस को फूट का नुकसान, अकाली दल उभरा, भाजपा विफल
पंजाब में ब्लॉक समिति और जिला परिषद के चुनाव परिणाम 2027 के सेमिफाइनल के रूप में देखे जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी (आप) ने बढ़त बनाए रखी है, जबकि कांग्र ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक तस्वीर।
अनुज शर्मा, अमृतसर । पंजाब में जिला परिषद और ब्लॉक समिति चुनावों के नतीजों ने 2027 के परिणामों की एक झलक पेश कर दी है। आम आदमी पार्टी (आप) एक बार फिर सबसे बड़ी पार्टी बन उभरी है। जिला परिषद हो या ब्लॉक समितियां, सभी में आप ने बढ़त बनाए रखी। 2838 में से घोषित 2715 ब्लॉक समिति परिणामों में 1494 और 346 जिला परिषदों में 218 में आप ने जीत हासिल की।
पॉलीटिक एक्सपर्ट एस. प्रशोतम के अनुसार आम आदमी पार्टी की चाहे ये बड़ी जीत है, लेकिन बड़े-बड़े नेता अपने घरों में फेल होते भी दिखे हैं। अगर आप 2027 में 2022 की तरह बड़ी जीत हासिल करना चाहती है तो उन्हें अपने पार्षदों व नेताओं की समीक्षा करनी होगी। वहीं, इन परिणामों ने कांग्रेस को चेतावनी दी है कि कोल्ड वॉर अगर समाप्त ना हुई तो 2027 का लक्ष्य छूना आसान नहीं है।
वहीं, अकाली दल इन चुनावों में रिकवरी मोड़ पर दिखी है। मात्र तीन विधायकों के साथ, जिनमें से दो पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं, विपक्ष में रहते हुए और बीते चुनावों में जमानत बचाने में असफल रहते हुए भी शिरोमणि अकाली दल (बादल) के लिए ये आंकड़े राहत वाले हैं।
वहीं भाजपा को भी संकेत है कि अकाली दल के साथ गठजोड़ के बिना पंजाब में सत्ता की ओर बढ़ पाना आसान नहीं है। ऐसे में उन्हें अपने बड़े नेताओं पंजाब प्रधान सुनील जाखड़ और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की बात पर विचार करना चाहिए।

आप को करनी होगी समीझा, बड़े नेता विफल रहे
आम आदमी पार्टी जीत का जश्न मना रही है। लेकिन इसके साथ ही विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवा के गांव संधवां, सांसद गुरमीत सिंह मीत हेर के गांव कुरड़ से और विधायक नरिंदर भराज के गांव भराज से आम आदमी पार्टी की हार हुई है।
जगदेव कलां चाहे चाहे पूर्व मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल के अपने हल्के में नहीं पड़ता, लेकिन ये उनका जद्दी गांव है और उनके उम्मीदवार की वहां हार हुई। एक्सपर्ट एस. प्रशोतम का कहना है कि बड़े नेताओं की हार का सबसे बड़ा कारण आपसी कॉओर्डिनेशन की कमी है।
आम आदमी पार्टी को बड़े नेताओं व विधायकों की समीक्षा करनी होगी, ताकि 2027 में बनने वाली नई विधानसभा में बड़े नेता नदारद ना दिखें।
कांग्रेस प्रधान पर उठ सकते हैं सवाल
कांग्रेस की अंतर कलह का असर इन परिणामों में भी साफ दिखा है। 2022 के बाद जो भी उप-चुनाव हुए, उनमें कांग्रेस को नुकसान ही हुआ है। ताजा उधारण तरनतारन चुनाव रही। जिसमें कांग्रेस के उम्मीदवार की जमानत तक जब्त हो गई।
इन जिला परिषद चुनावों में भी कांग्रेस मात्र 18 फीसदी और ब्लॉक समिति चुनावों में मात्र 21 फीसदी सीटों पर नजर आई है। साफ है कि अगर दिल्ली में बैठे नेता पंजाब कांग्रेस की अंतर कलह को मिटाने में कामयाब ना रहे तो 2027 में सीएम की कुर्सी हाथ से फिसल सकती है।
वहीं, कांग्रेस प्रधान पर भी पार्टी के में ही बैठे विरोधियों के सवाल उठाना लाजमी है। पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी जहां दावा कर चुके हैं कि उनकी विधानसभा सीट पर कांग्रेस मजबूत हुइ है, वहीं वड़िंग अपने गृह जिले श्री मुक्तसर साहिब से पार्टी को जिताने में असफल साबित हुए।
अकाली दल बादल हुआ मजबूत, अन्य ढेर
एक्सपर्ट एस. प्रशोतम के अनुसार, इन चुनावों में अकाली दल बादल एक बार फिर मजबूती से उभरा है। 2017 के बाद पहली बार अकाली दल को मिली इतनी वोटें साफ दिखाती हैं कि 2027 में जीत तो नहीं, लेकिन पार्टी 2027 में मजबूत विपक्ष बना सकती है। वहीं, उन पर सवाल उठाने वाली अन्य अकाली दल संगठन, जैसे- पुन: जीवित, वारिस पंजाब दे और सिमनरजीत सिंह मान की पार्टी अकाली दल अमृतसर, इन चुनावों में दिखे ही नहीं। अकाली दल बादल ने एक बार फिर दिखा दिया कि मजबूत होने के लिए सभी दलों को उन्हीं का दामन थामना होगा।

पॉलीटिकल एक्सपर्ट- एस. प्रशोत्म।
भाजपा ढूबती नैया को पार लगा सकता है गठजोड़
भाजपा ब्लॉक समिति चुनवों में मात्र 7 सीटों पर सिमट गई। गांवों में पकड़ बनाने की भाजपा की एक और कोशिश नाकामयाब होती दिखी। एक्सपर्ट का कहना है कि अगर इन्हें अपनी नैया पार लगानी है तो गठजोड़ ही एक मात्र रास्ता है।
भाजपा को अपने सीनियर नेताओं कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुनील जाखड़ की बात सुननी चाहिए, जो खुल कर गठजोड़ की वकालत कर रहे हैं। कैप्टन पहले ही कह चुके हैं कि भाजपा का आधार अकाली दल के साथ है और सुनील जाखड़ भी इसकी वकालत कर चुके हैं।

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