मनरेगा में फर्जी जॉब कार्ड हटाने में पंजाब अव्वल, छह सालों में हरियाणा-हिमाचल काफी पीछे
पंजाब मनरेगा योजना में फर्जी जॉब कार्ड हटाने में सबसे आगे है। पिछले छह वर्षों में, पंजाब ने इस मामले में हरियाणा और हिमाचल प्रदेश को पीछे छोड़ दिया है ...और पढ़ें

रोहित कुमार, चंडीगढ़ । महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में फर्जी और गलत जॉब कार्ड हटाने के मामले में पंजाब देश में सबसे आगे निकल गया है। केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले छह सालों में पंजाब में कुल 5,27,728 जॉब कार्ड रद्द किए गए हैं।
यह संख्या पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश—इन तीनों राज्यों में हटाए गए कुल जॉब कार्डों का करीब 82 प्रतिशत है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2019-20 से 2024-25 के बीच इन तीन राज्यों में कुल 6,43,483 जॉब कार्ड हटाए गए।
इस दौरान हिमाचल प्रदेश में 60,629 और हरियाणा में 55,126 जॉब कार्ड रद्द किए गए, जबकि पंजाब का आंकड़ा इन दोनों राज्यों से कहीं ज्यादा रहा। इससे साफ है कि मनरेगा में गड़बड़ियों को दूर करने के लिए सबसे बड़ी और सख्त कार्रवाई पंजाब में की गई है।
साल दर साल बढ़े आंकड़े
अगर बीते 6 सालों की तुलना की जाए तो भी पंजाब की बढ़त साफ नजर आती है। वर्ष 2019-20 में पंजाब में 16,675 जॉब कार्ड हटाए गए, 2020-21 में 14,330 कार्ड रद्द हुए। वहीं 2021-22 में यह संख्या अचानक बढ़कर 3.40 लाख से ज्यादा हो गई।
इसके बाद 2023-24 में 69,225 और 2024-25 में अब तक 20,981 जॉब कार्ड हटाए जा चुके हैं। हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में किसी भी साल इतनी बड़ी संख्या में जॉब कार्ड रद्द नहीं किए गए।
सिर्फ जॉब कार्ड ही नहीं, बल्कि अपात्र मजदूरों को हटाने में भी पंजाब सबसे आगे रहा है। वर्ष 2019-20 से 2023-24 के बीच पंजाब में 9,22,378 मजदूरों के नाम जॉब कार्डों से हटाए गए।
इसी अवधि में हिमाचल प्रदेश में 2,54,325 और हरियाणा में केवल 98,719 मजदूर हटाए गए। यह आंकड़े दिखाते हैं कि पंजाब में जांच और निगरानी ज्यादा गंभीर तरीके से की गई।

कार्ड हटाने का कारण फर्जी नाम-पते
केंद्र सरकार के अनुसार जॉब कार्ड हटाने के मुख्य कारणों में फर्जी या डुप्लीकेट नाम, गलत जानकारी, परिवार का स्थायी रूप से गांव छोड़ देना, गांव का शहरी क्षेत्र में शामिल होना या जॉब कार्ड पर दर्ज एकमात्र सदस्य की मृत्यु शामिल है।
सरकार ने यह भी साफ किया है कि इस प्रक्रिया में ध्यान रखा जाता है कि किसी भी पात्र और जरूरतमंद परिवार का जॉब कार्ड गलती से न हटे।
सरकार ने एनएमएमएस ऐप किया शुरू
मनरेगा में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमएमएस) ऐप लागू किया है। इसके तहत 1 जनवरी 2023 से मजदूरों की हाजिरी दिन में दो बार समय और लोकेशन के साथ फोटो के जरिए दर्ज की जा रही है। इससे फर्जी हाजिरी पर काफी हद तक रोक लगी है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने दोहराया है कि मनरेगा एक मांग आधारित योजना है और इसे लागू करने की जिम्मेदारी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की है। मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि योजना को और बेहतर और पारदर्शी बनाने के लिए आगे भी जरूरी बदलाव किए जा सकते हैं।

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