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    पराली जलाने से रोकने के लिए पंजाब सरकार ने कसी कमर, 500 करोड़ का एक्शन प्लान; रडार पर 11624 गांव

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 11:46 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पंजाब सरकार और जिला प्रशासन किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सक्रिय हैं। सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना बनाई है और पराली प्रोटेक्शन फोर्स का गठन किया है। अमृतसर जिला प्रशासन ने किसानों को सहायता प्रदान करने के लिए एक टास्क फोर्स बनाई है।

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    पराली जलाने से रोकने के लिए पंजाब सरकार ने कसी कमर। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, अमृतसर। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद पंजाब सरकार के साथ-साथ जिलों के प्रशासन ने भी किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कमर कसी हुई है। राज्य सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए 500 करोड़ रुपये का एक्शन प्लान तैयार किया है।

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    पराली जलाने से रोकने के लिए ‘पराली प्रोटेक्शन फोर्स’ बनाई है जिसमें 5,000 नोडल अधिकारी, 1500 क्लस्टर कोआर्डिनेटर व 1200 फील्ड अधिकारी शामिल किए गए हैं जिन्हें राज्य के 11,624 गांवों में नजर रखकर वहां पराली जलाने से रोकने का कार्य सौंपा गया है।

    ये अधिकारी प्रतिदिन गांव-गांव जाकर जांच कर रहे हैं और एक्शन टेकन रिपोर्ट मोबाइल एप से भेज रहे हैं। पराली जलाने में सबसे आगे अमृतसर के जिला प्रशासन ने डिप्टी कमिश्नर के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स बनाई है जिसमें ‘एयर केयर’ सेंटर के विशेषज्ञ सदस्यों को शामिल किया गया है।

    टास्क फोर्स का कार्य किसानों को हर प्रकार की सहायता देना है जिसमें उन्हें पराली प्रबंधन के लिए उपयोग में आने वाली मशीनरी प्रदान की जा रही है, इन-सीटू (खेतों में फसल के अवशेषों को मिलाना) व एक्स-सीटू (पराली को ईंधन के रूप में उपयोग करना) विधियों के संबंध में उनका समाधान किया जा रहा है तथा विभिन्न समूहों, किसानों व सेवा प्रदाताओं के बीच तालमेल प्रदान किया जा रहा है।

    टास्क फोर्स पराली जलने की घटनाओं की रीयल टाइम मानिटरिंग कर रही है तथा किसानों को त्वरित सहायता पहुंचा रही है। राज्य सरकार ने पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए 663 गांवों को हाटस्पाट घोषित किया है। सरकार की सख्ती के बावजूद पिछले छह दिनों में राज्य में पराली जलाने के 56 मामले सामने आ चुके हैं।

    पिछले वर्षों की तरह पराली जलाने के मामले में जिला अमृतसर इस बार भी सबसे आगे है। 32 मामलों के साथ सबसे अमृतसर जिला में रविवार को पराली जलाने के 3 और मामले दर्ज किए गए हैं। पराली जलाने के 48 मामले बढ़कर 56 पहुंचे गए हैं। अब तक 13 एफआइआर दर्ज की गई हैं। 13 किसानों की जमीनों पर रेड एंट्री दर्ज की गई है।

    किसानों का अपना दर्द पराली जलाने को लेकर किसानों का कहना है कि यदि वे खेतों की तैयारी जल्दी न करें तो खेतों में सब्जियां बीजने में देरी होने से बाजार में सब्जियों के भाव आसमान छूने लगते हैं। पराली बाजार में बिकती भी नहीं है तथा उसे संभालने के लिए प्रति एकड़ 5-6 हजार रुपया खर्च आता है।

    किसानों का कहना है कि कृषि जमीन के मुकाबले सरकार के पास केवल पांच प्रतिशत मशीनरी है जो खेतों से पराली उठाने में सहायक तो है परंतु पर्याप्त नहीं है। किसान कुलदीप सिंह ने कहा कि धान की 1121 व 1718 किस्म के बीज की पराली को खेतों में मिलाना आसान नहीं होता है।