'अमेरिकी सेना में सिखों को दाढ़ी रखने से रोकना धार्मिक...', SGPC के अध्यक्ष धामी ने विदेश मंत्री को लिखा पत्र
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने अमेरिकी रक्षा बलों में सिखों को दाढ़ी रखने से रोकने के फैसले पर चिंता जताई है। उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखकर इस मामले को अमेरिकी सरकार के समक्ष उठाने का आग्रह किया है। धामी ने कहा कि यह फैसला सिखों की धार्मिक आस्था और स्वतंत्रता पर हमला है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।

जागरण संवाददाता, अमृतसर। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने अमेरिकी रक्षा सचिव द्वारा अमेरिकी रक्षा बलों में सिखों को दाढ़ी रखने से रोकने संबंधी बयान के संबंध में भारतीय विदेश मंत्री डा. एस जयशंकर को पत्र लिखकर इस मुद्दे को अमेरिकी सरकार के समक्ष उठाने और इस पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।
पत्र में कहा गया है कि इस फैसले से सिखों की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंची है। इसे रोका जाना चाहिए और सिखों को पहले की तरह अपने धर्म का पालन करते हुए अमेरिकी सेना में सेवा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि अमेरिकी सरकार के किसी अधिकारी का ऐसा बयान सिखों की परंपराओं और मौलिक अधिकारों का अनादर है। सिखों ने अपनी योग्यता से पूरी दुनिया में अच्छे मुकाम हासिल किए हैं। उन्होंने अमेरिका के विकास में भी योगदान दिया है और अमेरिकी सेना में सिख पूरी निष्ठा से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। ऐसे में सैन्य ड्यूटी के दौरान सिखों को दाढ़ी रखने से रोकने का फैसला तर्कसंगत नहीं है।
एडवोकेट धामी ने कहा कि सिखों द्वारा अपने बाल न कटवाना उनके गुरुओं और धर्म के प्रति प्रतिबद्धता है और अमेरिकी रक्षा मंत्री द्वारा सिखों को दाढ़ी रखने से रोकने का कानून सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है। उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देश में सिख समुदाय के साथ इस तरह का भेदभाव ठीक नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के सर्वांगीण विकास में सिखों के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सिखों ने वहां रहते हुए बहुत मेहनत की है और देश की समृद्धि के लिए काम किया है। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय के रीति-रिवाजों और परंपराओं को दुनिया के किसी भी हिस्से में पेश करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सिखों ने पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है।
अमेरिका जैसे देश में, जो सिखों के जीवन-यापन के तरीके, पहचान और सम्मान को करीब से समझता है, सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाना ठीक नहीं है। उन्होंने अमेरिकी सरकार से ऐसा कोई निर्णय न लेने की अपील की तथा भारतीय विदेश मंत्री से भी अपील की कि वे इस मामले को तुरंत अमेरिकी सरकार के समक्ष उठाएं और इसका समाधान करें।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।