Sri Harmandir Sahib: श्री हरिमंदिर साहिब में पंगत में बैठाकर एक लाख भक्त छकते लंगर
Worlds Largest Langar is Made in Sri Harmandir Sahib भूखे को भोजन प्यासे को पानी को भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग माना गया है। इसी संकल्प को देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों की रसोई प्रतिदिन पूरा करती हैं।

विक्की कुमार, अमृतसर: अमृतसर में श्री हरिमंदिर साहिब देश-विदेश में लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है। अपने ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ यह स्थान सबसे बड़ी रसोई के लिए भी विश्व भर से लोगों को आकर्षित करता है। गुरु रामदासजी लंगर भवन में रोज औसत एक लाख लोग खाना खाते है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के यहां आने के बावजूद सारा काम इतनी तेजी व सलीके से होता है कि पता ही नहीं चलता कि एक लाख लोगों के लिए खाना तैयार हो गया।
आम दिनों में यहां 70 से 80 हजार लोग लंगर ग्रहण करते हैं, जबकि त्योहार व छुट्टियों के दिनों में यह संख्या डेढ़ लाख तक पहुंच जाती है। 24 घंटे चलने वाले इस लंगर में दाल, सब्जी, चावल रोटी, सलाद, आचार, खीर आदि व्यंजन परोसे जाते हैं। यह सारी व्यवस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा संचालित की जाती है ।
रोज दो लाख रोटियां, डेढ़ टन दाल व 25 क्विंटल अनाज: श्री हरिमंदिर साहिब के श्री गुरु रामदास जी लंगर भवन में चलने वाली रसोई में रोज करीब दो लाख रोटियां, डेढ़ टन दाल, 25 क्विंटल अनाज का इस्तेमाल होता है। यहां रोज 100 एलपीजी सिलेंडर और पांच हजार किलोग्राम लकड़ी का उपयोग किया जाता है। 24 घंटे चलने वाले लंगर के कारण कोई यहां से भूखा नहीं जाता। लंगर पंगत में बैठाकर परोसा जाता है। यहां सैकड़ों लोग हर समय सेवा करते हैं और लंगर की व्यवस्था करते हैं।
आटोमैटिक मशीन से बनती है रोटियां: यहां पहले सेवादार ही रोटियां बनाते थे। श्रद्धालुओं की संख्या बढऩे पर यहां एसजीपीसी की तरफ से मशीन लगवाई गई है। घंटे भर में करीब 25,000 रोटियां बन जाती हैं। दाल, सब्जी इत्यादि बनाने के लिए इस किचन में बड़े-बड़े पतीले और कड़ाहों का इस्तेमाल किया जाता है। इन कड़ाहों में एक बार में सात क्विंटल तक दाल पकाई जा सकती है।
सेवा से ही चलती है पूरी व्यवस्था: लंगर की पूरी व्यवस्था सेवा से ही चलती है। लंगर में इस्तेमाल होने वाली सामग्री से लेकर लंगर बनाने और वितरित करने तक यह सेवा भाव दिखता है। लोग यहां ट्रकों से टनों के हिसाब से सामग्री पहुंचा जाते हैं। लंगर बनाने के लिए अलग से सेवादार नहीं रखे जाते। लोग अपनी इच्छा से यहां सेवा करते हैं। आटा गूंथने, सब्जियां काटने, लंगर वितरित करने, लंगर हाल व बर्तनों की सफाई तक का सारा काम सेवा से ही होता है। एसजीपीसी सारी व्यवस्था को इतने सलीके से संचालित करती है कि कभी किसी काम में बाधा नहीं आती।
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