Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Pakistan Government नहीं कर रही गुरुद्वारों का रखरखाव, सरहद पार पुस्तक में इतिहासकार ने किया खुलासा

    By Jagran NewsEdited By: Nidhi Vinodiya
    Updated: Wed, 01 Feb 2023 06:09 PM (IST)

    भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद जो अंतहीन पीड़ा दोनों देशों के लोगों ने झेली उसके जख्म आज भी ताजा है। अपनों से बिछड़ने की पीड़ा घर-बार छूटने के दर्द के अ ...और पढ़ें

    Hero Image
    Pakistan Government नहीं कर रही गुरुद्वारों का रखरखाव, सरहद पार पुस्तक में इतिहासकार ने किया खुलासा

    अमृतसर, जागरण संवाददाता : भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद जो अंतहीन पीड़ा दोनों देशों के लोगों ने झेली, उसके जख्म आज भी ताजा है। अपनों से बिछड़ने की पीड़ा, घर-बार छूटने के दर्द के अतिरिक्त एक दर्द धर्म और आस्था से भी जुड़ा हैं। विभाजन के बाद पाकिस्तान में सैकड़ों मंदिर व गुरुद्वारे छूट गए। इन धार्मिक स्थलों के दर्शनों के लिए हर साल श्रद्धालुओं का जत्था पाकिस्तान जाता है। अफसोसनाक पक्ष यह है कि सरहद पार रह गए गुरुद्वारों का रखरखाव पाकिस्तान सरकार नहीं कर रही।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    588 गुरुद्वारे व 1221 मंदिर हैं, लेकिन रखरखाव महज 22 का 

    पाकिस्तान में 588 गुरुद्वारे हैं, व 1221 मंदिर हैं। पर इनमें से महज 12 गुरुद्वारों एवं दस मंदिरों का रखरखाव ही पाकिस्तान सरकार कर रही है। गुरुद्वारों के साथ लगती 109369 एकड़ जमीन में इवेक्यूई ट्रस्ट प्रापर्टी बोर्ड द्वारा 75055 एकड़ भूमि कृषि एवं 15849 एकड़ शहरी इलाकों में लीज पर दी गई है। 2015-18 में बोर्ड को इस जमीन से 1.08 अरब की आमदनी हुई थी। कड़वा सच यह है कि विभाजन के दौरान हुए दंगों में कई ऐतिहासक सिख यादगारें लुप्त हो गईं। इसके अलावा 1965-70 तथा कारगिल युद्ध के बाद इन धार्मिक स्थलों का रखरखाव बंद कर दिया गया। यहीं बस नहीं भारत पाकिस्तान सीमा के साथ सटी जमीन पर पाकिस्तान में स्थित गुरुधामों को ऐनमी प्रापर्टी यानी दुश्मन की जायदाद घोषित किया गया है। सीमा के समीप बने इन गुरुद्वारा साहिब के रखरखाव तो दूर, पाकिस्तानी सिखों को इनके दर्शन करने की अनुमति भी नहीं। पाकिस्तान में रह गए गुरुद्वारों की देखरेख के लिए पाकिस्तान सरकार ने ईटीपीबी का गठन किया था। यही बोर्ड गुरु धामों व धार्मिक यादगारों की बर्बादी का कारण बना है।

    न तो पाकिस्तान सरकार और न ही ईटीपीबी ले रहा सुध

    लाहौर की चूना मंडी स्थित गुरु रामदास जी के प्रकाश अस्थान के समीप 2011 तक गुरुद्वारा दीवानखाना शोभायमान था। ईटीपीबी ने यहां प्लाजा बनाने के लिए जगह बेच दी। इसके बाद गुरुद्वारे का अस्तित्व मिटा दिया गया। इसके अलावा लाहौर स्थित गुरुद्वारा शहीद गंज भाई मनी सिंह, जिला चक्कवाल स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा, जिला अटक स्थित गुरुद्वारा समाध बाबा थान सिंह, सरगोधा में स्थित गुरुद्वारा ब्लाक-2 सरगोधा, ऐमनाबाद स्थित गुरुारा खुई भाई लालो की, लाहौर स्थित गुरुद्वारा किला शेखुपुरा, गुरुद्वारा चुबच्चा साहिब, गुरुद्वारा लहूड़ा साहिब सहित सभी गुरुद्वारों की हालत दयनीय स्थिति में पहुंच चुकी है। न तो पाकिस्तान सरकार और न ही ईटीपीबी इवेक्यूइ ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड इनकी सुध ले रहा है।

    20 वर्षों तक शोध करके ‘सरहद पार गुरुधाम’ पुस्तक प्रकाशित की

    इतिहासकार और शोधकर्ता सुरेंद्र कोछड़ ने 20 वर्षों तक शोध करके ‘सरहद पार गुरुधाम’ पुस्तक प्रकाशित की है। जिसमें देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान में रह गए 300 से अधिक गुरुद्वारों और सिख स्मारकों की ऐतिहासिक और उनकी वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी तस्वीरों सहित प्रकाशित की गई है। कोछड़ का कहना है कि पुस्तक में गुरुद्वारों की तस्वीरें, वर्तमान स्थिति और इतिहास को प्रकाशित करते समय पाक के राज्य पंजाब, सिंध, ब्लूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, अधिकृत कश्मीर के विभिन्न गांवों शहरों सहित कबायली क्षेत्रों रख्ख टोपी, नौशहरा, हंगू, कुरम एजेंसी, इब्राहिम ज़ई, मलाणा, नरयाब, मलिकेल, बट्टाग्राम, शुमलई, जमरोद, हज़ारा डिवीजन, ज़ियारत, डेरा बुग्ती, रावलकोट, सिकरदू, नलूची, अली बेग, गुज़रबंदी आदि क्षेत्रों के कई सीमावर्ती गांवों के उन ऐतिहासिक गुरुद्वारों और सिख स्मारकों को भी शामिल किया है। इनके जिनके अस्तित्व या इतिहास के बारे में अधिकांश पाकिस्तानी सिख समुदाय या संबंधित विभाग के अधिकारियों को भी जानकारी नहीं है।

    पाकिस्तान में गुरुद्वारों व मंदिरों का अस्तित्व हमेशा खतरे में

    अगस्त 2016 में पाकिस्तान के एक अंग्रेजी और उर्दू अखबार में ईटीपीबी के तत्कालीन चेयरमैन के संदर्भ से प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान में कुल 1221 हिंदू मंदिर और 588 गुरुद्वारे हैं। जिसमें से सिर्फ 12 गुरुद्वारों और 10 मंदिरों यानी अल्पसंख्यकों के 1809 धार्मिक स्थलों में से सिर्फ 22 की देखरेख बोर्ड कर रहा है। साल 2021 में ईटीपीबी ने दावा किया कि पाकिस्तान में केवल 105 गुरुद्वारे हैं, जिनमें से 18 आबाद हैं। इससे साफ है कि पाकिस्तान में गुरुद्वारों व मंदिरों का अस्तित्व हमेशा खतरे में रहा है।