नेपाल हिंसा: अपनों से संपर्क टूटने पर अमृतसर में चिंतित नेपाली समुदाय, भारत से लगाई मदद की गुहार
अमृतसर में नेपाल में गृहयुद्ध जैसे हालातों के कारण नेपाली समुदाय चिंतित है। जीटी रोड स्थित एक परिवार अपने रिश्तेदारों से संपर्क न होने के कारण परेशान है। लक्ष्मी राणा ने बताया कि नेपाल में हालात बिगड़ रहे हैं और संचार बाधित हो गया है। उन्होंने भारत सरकार से मदद और हस्तक्षेप की अपील की है ताकि नेपाली समुदाय को सुरक्षा मिल सके।

जागरण संवाददाता, अमृतसर। भारत के पड़ोसी देश नेपाल में बदलते राजनीतिक समीकरणों के कारण पैदा हुए गृहयुद्ध जैसे हालात का असर भारत में भी देखने को मिल रहा है। क्योंकि भारत में कई व्यवसायों के प्रचार-प्रसार और विस्तार में नेपाली समुदाय का बहुत बड़ा योगदान है।
नेपाल के इन हालातों को देखते हुए, जीटी रोड आजाद रोड छेहरटा स्थित नेपाली मूल के एक परिवार को वहां रहने वाले अपने कई रिश्तेदारों और दोस्तों से कुशलक्षेम के संदेश न मिलने के कारण काफी परेशानी से गुजरना पड़ रहा है।
लक्ष्मी राणा पत्नी अभी राणा ने बताया कि उनके माता-पिता महेंद्र नगर राजीपुर नेपाल से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन आजीविका की खातिर 1998 में उत्तराखंड के रुदरपुर शहर आ गए थे। वह रुदरपुर में पली-बढ़ीं और फिर 2019 में उनकी शादी अमृतसर के छेहरटा इलाके के आजाद रोड में अभी राणा से हुई।
अब वह अपनी सास, पति, देवर और छोटे बच्चों के साथ यहां रह रही हैं। उनके पति अभी राणा एक प्राइवेट नौकरी करके परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि नेपाली गृहयुद्ध छिड़ने से पहले वह नेपाल में रहने वाले अपने रिश्तेदारों, खासकर अपनी नानका परिवार के सभी सदस्यों से अक्सर मोबाइल फोन के जरिए बात करती थीं और उनका हालचाल भी जानती थीं। लेकिन अब उनसे बात नहीं हो रही है।
जिसे लेकर वह चिंतित और निराश हैं। उन्हें वहां के लोगों की जिंदगी का भय सता रहा है। लक्ष्मी राणा ने बताया कि इस गृहयुद्ध में पूरे देशवासियों के बड़े पैमाने पर जान-माल के नुकसान की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उनके अनुसार, दुश्मनी और बदले की भावना में नेपाली बेहद जिद्दी और क्रूर होते हैं। जबकि करुणा और मानवता के मामले में वे किसी से पीछे नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि नेपाली दोस्तों के दोस्त और दुश्मनों के दुश्मन होते हैं। उन्होंने नेपाल में गृहयुद्ध को टालने के लिए ईश्वर से प्रार्थना भी की और भारत सरकार से मदद और हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस समय वे बेबस और लाचार हैं, अब देखना यह है कि भारत सरकार इन पीड़ित नेपालियों का दामन थामने के लिए आगे आती है या नहीं।
गौरतलब है कि अगर नेपाल में गृहयुद्ध नहीं रुका, तो आर्थिक संकट से जूझ रहे नेपाली समुदाय को अपनी सरल और आरामदायक जीवनशैली बचाने के लिए कुछ न कुछ सोचना ही होगा।
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