Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    'लिखे जो खत तुझे...', आवाज के जादूगर मोहम्मद रफी का अमृतसर की गलियों में बीता बचपन, भाई-बहन प्यार से बुलाते थे 'फीकू'

    Updated: Wed, 31 Jul 2024 04:28 PM (IST)

    हिंदी सिनेमा में अपने सुरों से चार-चांद लगाने वाले गायकों में मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi Death Anniversary 2024) का नाम भी शुमार है। पंजाब के लोग आज भी खुद को खुशनसीब समझते हैं कि मोहम्मद रफी पंजाब के अमृतसर के अंतर्गत मजीठा से बिलोंग करते थे। आज उनकी पुण्यतिथि है इस अवसर पर आइए पंजाब से जुड़े उनके किस्सों के बारे में जानते हैं।

    Hero Image
    मोहम्मद रफी मजीठा का गांव कोटला सुल्तान में जन्मे थे (फाइल फोटो)

    विपिन कुमार राणा, अमृतसर। हिंदी फिल्म जगत के सुर सम्राट मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi Death Anniversary 2024) की बुधवार को 44वीं पुण्यतिथि है।

    अपनी मीठी और दिल में उतर जाने वाली सुरीली आवाज में अनगिनत गीतों से उन्होंने भारत के जन-जन के मन में स्थान बनाया। 24 दिसंबर, 1924 को पंजाब के अमृतसर जिले के मजीठा का गांव कोटला सुल्तान में इस स्वर्गिक स्वर वाले गायक का जन्म हुआ।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बचपन का नाम था 'फीकू'

    उनकी यादगार के नाम पर स्कूल का कमरा है, जहां वह पढ़े थे और स्कूल में ही उनका बुत लगाया हुआ है। गांव उन्हें अभी ‘नहीं भुला पाया है।’ अली मोहम्मद के घर 24 दिसंबर, 1924 को अली मोहम्मद के घर हुआ। छह बहन-भाइयों में रफी के बचपन का नाम फीकू था।

    गांववासी गुरमीत सिंह समरा कहते हैं कि हम खुश किस्मत हैं कि हम खुशकिस्मत हैं कि रफी हमारे गांव के हैं, हम उनके गांव के नहीं।

    गांव में उनकी बड़ी यादगार बननी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियां उन्हें याद रखें लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ है। हम सरकारों को जमीन देने के लिए तैयार हैं पर वह भी पहल करे। रफी जी को भारत रत्न दिया जाए।

    शहंशाह-ऐ-तरन्नुम से भी थे मशहूर

    मोहम्मद रफी को शहंशाह-ऐ-तरन्नुम की उपाधि भी दी गई है। उन्होंने अपने करियर में हजारों गाने गाए हैं। इनमें- आने से उसके आए बहार, बहारों फूल बरसाओं, आज मौसम बड़ा बईमान है, लिख जो खत तुझे, बागों में बाहर है, तुमने पुकारा और हम चले आए, ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं जैसे हजारों गाने एवरग्रीन हैं। 

    अमिताभ बच्चन के फैन थे रफी साहब

    ऐसा माना जाता है कि रफी साहब अमिताभ बच्चन के बहुत बड़े प्रशंसक थे। उन्हें अमिताभ बच्चन की दीवार मूवी काफी पसंद आई थी।

    साल 1980 में नसीब फिल्म में अमिताभ के साथ युगल गीत गाया (चल-चल मेरे भाई....) उन्हें यह अवसर मिला, इस बात से रफी साहब को बहुत खुशी हुई।

    जब वह घर पहुंचे तो उन्होंने इसके बार में पूरे परिवार को बताया। उन्हें अमिताभ और धर्मेंद्र की शोले फिल्म भी बहुत पसंद आई थी।

    यह भी पढ़ें- जब पहली बार रफी, किशोर और मुकेश ने एक साथ छेड़े थे सुर, 47 साल पुराने गाने से पूरी हुई थी फैंस की मुराद