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    डोप टेस्ट करवाने सिविल अस्पताल पहुंचा व्यक्ति, तीन साल पुरानी रिपोर्ट दिखाई तो निकली फर्जी

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 02 Feb 2022 07:00 AM (IST)

    लाइसेंसी हथियार धारकों के लिए शुरू किए गए डोप टेस्ट की प्रक्रिया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है।

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    डोप टेस्ट करवाने सिविल अस्पताल पहुंचा व्यक्ति, तीन साल पुरानी रिपोर्ट दिखाई तो निकली फर्जी

    नितिन धीमान, अमृतसर

    लाइसेंसी हथियार धारकों के लिए शुरू किए गए डोप टेस्ट की प्रक्रिया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। डोप टेस्ट की हजारों फर्जी रिपो‌र्ट्स न केवल तैयार हुई, अपितु इनके आधार पर नए असलहा अथवा पुराने असलहा रिन्यू भी किए जा चुके हैं। अब एक और मामला सिविल अस्पताल में सामने आया है। एक बलबीर सिंह नामक शख्स असलहाधारक डोप टेस्ट करवाने पहुंचा। लैबोरेट्री में कार्यरत टेक्नीशियन राजेश शर्मा ने उससे आधार कार्ड मांगा तो उस पर उसका पता वार्ड चार राजासांसी दर्ज था। राजेश शर्मा ने बलबीर से कहा कि उसका डोप टेस्ट सिविल अस्पताल अजनाला में होगा। इस पर बलबीर ने कहा कि तीन साल पहले वह सिविल अस्पताल अमृतसर से ही नेगेटिव रिपोर्ट लेकर गए थे।

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    राजेश के अनुसार जब उन्होंने पुरानी रिपोर्ट देखी तो वह फर्जी थी। इस पर पैथोलाजिस्ट और टेस्ट करने वाले मेडिकल लैब टेक्नीशियन के हस्ताक्षर फर्जी पाए गए। बलबीर से पूछा तो उसने बताया कि उस समय मेरा टेस्ट नहीं हुआ था। मुझे एक गन हाउस के संचालक ने यहां भेजा था। सिविल अस्पताल अमृतसर में एक कर्मचारी मिला था। उसने मेरा यूरिन सैंपल भी नहीं लिया। कुछ देर बाद रिपोर्ट थमा दी। राजेश ने जब उससे पूछा कि फर्जी रिपोर्ट के लिए कितने पैसे दिए थे तो बलबीर कुछ कहे बगैर वहां से चला गया। पकड़ा गया था एक कर्मचारी

    वर्ष 2018 में सिविल अस्पताल का एक कांट्रैक्ट कर्मचारी फर्जी रिपो‌र्ट्स तैयार करते पकड़ा गया था। बलबीर को फर्जी रिपोर्ट देने वाला यही कर्मचारी बताया जा रहा है। इस कर्मचारी के पास पैथोलाजिस्ट की जाली मुहरें, ओपीडी स्लिप बरामद हुई थीं। यह फर्जी रिपोर्ट तैयार करता था। अस्पताल प्रशासन ने उसे नौकरी से निकाल दिया था। 29 जनवरी को भी डोप टेस्ट की रिपो‌र्ट्स वेरिफिकेशन में निकलीं थी फर्जी

    बीती 29 जनवरी को डिप्टी कमिश्नर कार्यालय द्वारा डोप टेस्ट की दो नैगेटिव रिपोट्रर्स की वैरिफिकेशन करवाई गई थी। ये रिपोर्ट फर्जी पाई गई थीं। रिपोर्ट पर अंकित ओपीडी नंबर, डाक्टर के हस्ताक्षर फर्जी था। इस प्रकार की अनेकानेक रिपो‌र्ट्स हैं जो बाहर से तैयार करवाई गईं। इनकी वेरिफिकेशन होनी चाहिए। कोट्स

    हम पुलिस को सूचित कर रहे हैं। सिविल अस्पताल में डोप टेस्ट की प्रक्रिया बेहद पारदर्शी ढंग से चल रही है। असलहा धारक किसी के बहकावे में न आएं। सरकार ने टेस्ट के लिए 1500 रुपये फीस निर्धारित की है। फीस अदा करने के बाद आवेदक लैबोरेट्री से टेस्ट करवाएं।

    - डा. चंद्रमोहन, एसएमओ सिविल अस्पताल, अमृतसर