रफी साहब की याद में म्यूजियम बनाया जाए
। प्रसिद्ध गायक मोहम्मद रफी का जिक्र आते ही जिला अमृतसर के वासियों का सिर फº से ऊंचा हो जाता है।
संवाद सूत्र, मजीठा
प्रसिद्ध गायक मोहम्मद रफी का जिक्र आते ही जिला अमृतसर के वासियों का सिर फº से ऊंचा हो जाता है। रफी साहब का पैतृक गांव कोटला सुल्तान सिंह है। यह गांव उनकी कुछ यादों का संजोये बैठा है।
दशमेश सीसे स्कूल में मोहम्मद रफी की याद में सुंदर पार्क और उनका बुत वहां मौजूद है। लेकिन दुख की बात है कि जिस सरकारी एलिमेंट्री स्कूल में रफी साहब पढ़ते रहे उसका नाम उनके नाम पर रखा जाना तो दूर की बात उस स्कूल की हालत भी मौजूदा समय में दयनीय है।
मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को गांव कोटला सुल्तान सिंह में हुआ। उनके पिता का नाम हाजी अली मोहम्मद और माता का नाम अल्ला रक्खी था। परिवार में नौ सदस्य थे। इसमें मोहम्मद रफी के बड़े भाई मोहम्मद दीन, मोहम्मद शफी, मोहम्मद इस्माइल व मोहम्मद इब्राहिम के अलावा दो बहनें चिराग बीबी व रेशमा बीबी शामिल थे। रफी साहब को घर में फिक्को कह कर बुलाया जाता था। वह अपने गांव के ही सरकारी एलिमेंट्री स्कूल में चौथी कक्षा तक पढ़े। रफी साहब जब 12 साल के हुए तो पूरा परिवार गांव छोड़ कर लाहौर चला गया। तब कोटला सुल्तान सिंह के वासियों को क्या पता था कि मीठी आवाज का मालिक यह किशोर एक दिन गायकी के क्षेत्र में दुनिया भर में नाम कमाएगा और मजीठा के गांव का नाम रोशन करेगा। वर्ष 1980 की 31 जुलाई को मुंबई में मोहम्मद रफी का निधन हो गया। तब वह 55 साल के थे।
गांव कोटला सुल्तान सिंह के वासियों ने कहा कि इस महान गायक के नाम पर बड़ा गेट स्थापित किया जाना चाहिए था। ताकि सड़क पर गुजरते हुए हर राहगीर को पता चलता यह मोहम्मद रफी का गांव है। उनकी सरकार से मांग है कि रफी साहब की याद में गांव में म्यूजियम बनाया जाए।
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