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    जिस गांव में नहीं था हॉकी का नाम, वहां के खिलाड़ी को सम्मान; जानिए खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड में कितनी मिलती है राशि

    खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कारों की घोषणा से खेल जगत में खुशियों का माहौल है। अमृतसर के हरमनप्रीत सिंह को खेल रत्न और जर्मनप्रीत सिंह व सुखजीत सिंह को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। हरमनप्रीत के पिता सर्बजीत और मां राजविंदर कौर बेटे की इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं। जर्मनप्रीत सिंह के घर में भी खुशी का माहौल है।

    By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Fri, 03 Jan 2025 01:20 PM (IST)
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    पंजाब के खिलाड़ियों ने गाड़ दिए झंडे, एक को खेल रत्न और दो को मिलेगा अर्जुव पुरस्कार।

    जागरण संवाददाता, अमृतसर। केंद्र सरकार ने वीरवार को खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की। अमृतसर के गांव तिम्मोंवाल के रहने वाले भारतीय हॉकी टीम के कप्तान ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह को खेल रत्न, अमृतसर के ही गांव रजधान के रहने वाले जर्मनप्रीत सिंह और जालंधर के गांव धनोवाली के रहने वाले सुखजीत सिंह को अर्जुन अवार्ड देने की घोषणा से उनके परिवार व खेल प्रेमियों में खुशी की लहर है।

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    किडनी की बीमारी से पीड़ित हरमनप्रीत के पिता सर्बजीत और मां राजविंदर कौर बेटे को खेल रत्न अवार्ड मिलने की घोषणा से बेहद खुश हैं। बेटे की इस प्राप्ति की खुशी उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी। गुरु साहिब का शुकराना करते हुए हरमनप्रीत के पिता ने कहा कि गांव में कोई हॉकी को जानने वाला नहीं था।

    हरमनप्रीत ने जंडियाला के निजी स्कूल में शिक्षा प्राप्त करते समय जब इस खेल को चुना तो किसी ने भी यह सोचा भी नहीं था कि वह देश का प्रतिनिधित्व करेगा और खेल रत्न अवार्ड भी प्राप्त करेगा। दूसरी ओर जर्मनप्रीत सिंह का संबंध अमृतसर के उस गांव रजधान से है, जिसने देश को कई साइक्लिस्ट दिए हैं। जर्मनप्रीत सिंह के घर में भी आवर्ड की घोषणा के बाद खुशी का माहौल है।

    पैरालिसिस को मात देकर हॉकी में चमके सुखजीत

    भारतीय हॉकी टीम के फारवर्ड सुखजीत सिंह के जीवन में एक समय ऐसा भी था जब उनको भारत के लिए खेलने का सपना टूटता नजर आता था। 2018 में उन्हें भारतीय टीम के संभावित खिलाड़ियों में चुना गया था। पूरा परिवार खुश था, लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन नहीं टिक सकी।

    सुखजीत को तैयारी कैंप में रीढ़ की हड़्डी में ऐसी चोट लगी कि वह चार महीने तक बिस्तर से उठ नहीं पाए। दाईं टांग में पैरालिसिस हो गया। पिता अजीत सिंह ने बताया जब वह कैंप से लौटे सुखजीत को अमृतसर एयरपोर्ट लेने पहुंचे तो वह व्हीलचेयर पर था। मैं थोड़ा मायूस हुआ लेकिन बेटे का हौसला बढ़ाया।

    पीएपी में सहायक सब इंस्पेक्टर (एएसआई) अजीत सिंह पंजाब पुलिस हॉकी टीम के सदस्य रहे हैं। उनकी चाहत थी जो वह न कर सके, बेटा करे। देश के लिए खेले। सुखजीत को चोट लगने के बाद उन्होंने उसे ट्रेनिंग देकर दोबारा पैरों पर खड़ा किया। इसके बाद सुखजीत ने 2022 में भारतीय टीम में जगह बनाई और मेरा सपना साकार किया।

    पिता के सपने को पूरा किया

    सुखजीत सुखजीत सिंह ने बताया कि जब चोट लगी तब ऐसा लग रहा था कि हॉकी नहीं खेल पाऊंगा। पिता के विश्वास व उनकी कड़ी मेहनत ने दोबारा मैदान में पुहंचाया। आज खुशी है कि मैंने पिता के सपने को पूरा कर दिखाया।

    • खेल रत्न पुरस्कार: एक मेडल, प्रशस्ति पत्र व 25 लाख रुपये।

    • अर्जुन पुरस्कार : पांच लाख, अर्जुन की मूर्ति व प्रशस्ति पत्र।

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