Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Golden Temple Route: भारत के मशहूर धार्मिक स्थलों में शुमार है स्वर्ण मंदिर, जानिए यहां पहुंचने के बेस्ट रूट

    By Gurpreet CheemaEdited By: Gurpreet Cheema
    Updated: Tue, 18 Jul 2023 03:31 PM (IST)

    स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। सिर्फ भारत ही नहीं दुनियाभर के लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं। अगर आप भी गोल्डन टेंपल या स्वर्ण मंदिर जाने के बारे में सोच रहे हैं तो यहां आपको इससे जुड़ी सभी जानकारियां मिलेंगी। साथ ही यहां पहुंचने के लिए आप बेस्ट रूट के बारे मे भी जानेंगे।

    Hero Image
    भारत के मशहूर धार्मिक स्थलों में शुमार है स्वर्ण मंदिर, जानिए यहां पहुंचने के बैस्ट रूट

    अमृतसर, ऑनलाइन डेस्क। स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) ऐतिहासिक तीर्थ स्थलों में से एक है। इसे हरमंदिर साहिब और दरबार साहिब के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही ये सिख धर्म का सबसे बड़ा आस्था का केंद्र भी है। गुरुद्वारे में सिखों के 5 तख्तों में से एक अकाल तख्त मौजूद है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ये गुरुद्वारा पंजाब के अमृतसर के बीच में मौजूद है। वैसे तो स्वर्ण मंदिर संगमरमर से बना हुआ है, लेकिन इसकी दीवारों पर सोने की पत्तियों की नक्काशी की गई है। इसकी वजह से इसे स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है।

    स्वर्ण मंदिर कैसे पहुंचे?

    अगर आप स्वर्ण मंदिर जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो यहां हवाई, सड़क और रेलमार्ग तीनों ही तरह से पहुंचा जा सकता है।

    हवाई मार्ग- हरमिंदर साहिब जाने के लिए सबसे नजदीक अमृतसर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जहां से गुरुद्वारे के लिए डायरेक्ट टैक्सी की सुविधा है। एयरपोर्ट के पास आपको कई होटल भी मिलेंगे, जहां आप रुक सकते हैं।

    रेल मार्ग- अमृतसर का रेलवे स्टेशन भी गुरुद्वारे से काफी नजदीक है। अगर दिल्ली से आप आने के बारे में सोच रहे हैं तो शताब्दी या फिर शान-ए-पंजाब से डायरेक्ट यहां पहुंच सकते हैं। अमृतसर स्टेशन के बाहर ही आपको टैक्सी, ऑटो और रिक्शा खड़े मिलेंगे। ऐसा भी हो सकता है कि जब आप वहां पहुंचे तो आपको कार सेवा मिल जाए, जो कि गुरुद्वारा कमेटी की तरफ से चलाई जाती है।

    सड़क मार्ग- अमृतसर में खास बात ये है कि आपको यहां सभी जगह अच्छे रोड मिलेंगे। गुरुद्वारा साहिब नेशनल हाइवे से कुल एक किलोमीटर की दूरी पर है। वहीं, अगर आप दिल्ली से यहां पहुंचना चाहते हैं तो 500 किलोमीटर की दूरी तय कर आपको पहुंचना होगा।

    हरमंदिर साहिब का नाम स्वर्ण मंदिर कैसे पड़ा?

    सिक्ख धर्म में दस गुरु हुए हैं। इनमें चौथे सिख गुरु श्री रामदास साहिब ने 15वीं शताब्दी में स्वर्ण मंदिर की नींव रखी थी, फिर बाद में पांचवें गुरु श्री अर्जन देव ने 5 दिसंबर 1588 को इसका निर्माण कार्य शुरु करवाया था। हालांकि, उस समय इसमें नक्काशी का काम नहीं किया गया था।

    बाद में दरबार साहिब को सिख साम्राज्य (1799-1849) के संस्थापक और शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत ने संगमरमर और तांबे का बनवाया, फिर इसके बाद साल 1830 में इसके गर्भगृह को सोने की पत्तियों से मंढा गया, जिसके बाद इसे स्वर्ण मंदिर से जाना गया। खास बात ये है कि गुरुद्वारे में 500 किलो सोना लगा हुआ है।

    एक लाख से ज्यादा लोग हर दिन करते हैं लंगर

    स्वर्ण मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा लंगर लगाया जाता है। यहां रोजाना एक लाख से ज्यादा लोग आकर साथ बैठकर लंगर चखते हैं। इसके लिए लंगर हॉल के किचन में खास तरह की देग और मशीनों का इस्तेमाल भी होता है।

    यहां बनने वाला लंगर पूरी तरह से शाकाहारी होता है। रोटियों के लिए खास इलेक्ट्रिक मशीन का उपयोग होता है, जिसमें एक घंटे में 3 हजार से 4 हजार रोटियां तैयार हो जाती हैं। हर दिन यहां करीह दो लाख से अधिक रोटियां बनाई जाती हैं।

    हरमंदिर साहिब के हैं चार प्रवेश द्वार

    स्वर्ण मंदिर में जब आप दर्शन के लिए जाएंगे तो आपको यहां चार प्रवेश द्वार मिलेंगे। चारों ही द्वार अपनी सिख स्थापत्य कला के लिए जाने जाते हैं। दरबार साहिब सरोवर के बीचों-बीच स्थित है। सरोवर में सुंदर मछलियां भी हैं और श्रद्धालु पवित्र सरोवर में डुबकी लगाकर दर्शन भी करते हैं। इसके अलावा गुरुद्वारे में एक बेरी वृक्ष भी है जिसे श्रद्धालु यहां देखने आते हैं।

    ऐसा माना जाता है कि स्वर्ण मंदिर के निर्माण के समय बाबा बुड्ढा इसी पेड़ के नीचे से काम पर नजर रखते थ। इसलिए इसे बेर बाबा बुड्ढा नाम दिया गया है।

    अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

    अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर हवाई, सड़क और रेलमार्ग तीनों ही तरह से पहुंचा जा सकता है।