एेसी तो नहीं होती मां, चार दिन की बच्ची को सूखे कुएं में फेंका
एक नवजात बच्ची को उसको जन्म देने वाली मां ने ही ऐसा दर्द दिया कि जिसने भी सुनाओ उसका दिल कांप गया। चार दिन की इस बच्ची को सूखे कुएं में फेंक दिया गया। बच्ची की हालत नाजुक है।
जेएनएन, अमृतसर। नवरात्र में लोग कन्या पूजन करते हैं। छाेटी कन्या को मां अंबे का स्वरूप मानते हैं, लेकिन पंजाब के नवांशहर में महज चार दिन की बच्ची को पत्थर दिल मां ने कुएं में फेंक दिया। सूखे कुएं में फेंके जाने से यह बच्ची जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही है। उसे ममता की जगह ऐसा दर्द मिला जिसके बारे में सोच कर ही हृदय कांप उठता है। उसे इलाज के लिए यहां गुरु नानक देव अस्पताल में लाया गया है। एेसे में यह मासूम शायद माता अंबे से यही गुहार कर रही होगी, अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो।
नवांशहर के गांव थोखड़ा में कुएं में फेंकी गई चार दिन की अबोध बच्ची जिंदगी से जद्दोजहद कर रही है। बुधवार को उसे गुरुनानक देव अस्पताल लाया गया। गहरे कुएं से तो उसे जिंदा निकाल लिया गया, पर अब भी उसके सिर पर मौत साये की तरह मंडरा रही है।
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कुएं में बच्ची के शरीर पर कीड़े और चिट्टियां रेंग रही थीं। शरीर के कई हिस्सों में किसी जानवर के काटे जाने के निशान थे। उसकी धड़कनें असामान्य हैं और पूरे शरीर में संक्रमण फैल चुका है। बेरहम मां और उसके परिजनों ने इस बच्ची को बोरी में बंद कर कुएं में फेंका या फिंकवाया था। दुधमुंही बच्ची दो दिन तक कुएं में ही तड़पती रही।
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कुएं से नवजात बच्चे की रोने की आवाज सुनाई देने पर एक किसान ने झांक कर देखा तो उसे पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने बच्ची को बाहर निकाला। दो दिन तक कुएं में रहने के कारण बच्ची की हालत खराब थी।
पुलिस ने उसे जालंधर के सिविल अस्पताल में की बच्चा वार्ड में दाखिल करवाया था। जांच के दौरान बच्ची के पैर में काुी संक्रमण पाया गया। ऐसे में डॉक्टरों ने पुलिस व सामाजिक सुरक्षा विभाग के अधिकारियों से कहा कि या तो बच्ची का पैरा काटा जाए या फिर उसे पीजीआई या गुरुनानक देव अस्पताल में भेजा जाए।
सामाजिक सुरक्षा विभाग के अधिकारियों के कहने पर डॉक्टरों ने उसे गुरुनानक देव अस्पताल में रेफर कर दिया।
जीएनडीएच के बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर में दाखिल इस बच्ची को देखकर हर शख्स की आंखें नम हो गईं। अस्पताल के डॉक्टर करनैल सिंह के अनुसार बच्ची की हालत बहुत नाजुक थी। शरीर पर बाइट माक्र्स थे। संभवत: कुएं में किसी जानवर ने उसे काटा हो।
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उन्होंने बताया कि उसके हाथ-पैरों से कीड़े हटाकर एंटी बायोटिक दवाओं का लेप किया गया है। दो दिन तक दूध न मिलने के कारण बच्ची का वजन भी काफी घट गया है और यह महज 1.8 किलोग्राम रह गया है। डॉक्टरों ने अपना काम कर दिया है, अब ईश्वर का आसरा है। सामाजिक सुरक्षा विभाग नवांशहर के कर्मचारी हरिंदर सिंह व वरिंदर सिंह ने बताया कि नवांशहर पुलिस मामले की जांच कर रही है। इस घिनौने कृत्य को जिसने भी अंजाम दिया है, वह माफी के काबिल नहीं है।