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    'पहले पत्नी से इजाजत लेकर आओ, फिर भाई को देना किडनी'

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Wed, 14 Jun 2017 11:50 AM (IST)

    कोई व्‍यक्ति अपने परिजन को किडनी देना चाहता है तो उसे पत्‍नी की सहमति भी लेनी होगी। पत्‍नी अगर अलग भी रह रही हो तो भी उसकी इजाजत लेनी होगी।

    'पहले पत्नी से इजाजत लेकर आओ, फिर भाई को देना किडनी'

    अमृतसर, [नितिन धीमान]। अगर आप अपने किसी परिजन को किडनी दान करना चाहते हैं तो पहले इसकी पत्‍नी से इजाजत लेनी पड़ेगी, चाहे पत्‍नी अलग क्‍यों नहीं रह रही हो। इस बारे में यहां किडनी प्रत्‍यारोपण के एक मामले में खुलासा हुआ है। जालंधर के खैहरा मझा में रहने वाला विजय कुमार लंबे समय से किडनी फैल्योर की समस्या से जूझ रहे हैं। उनके भाई पन्नालाल अपनी किडनी देकर उनकी जान बचाना चाहते हैं। वह इसके लिए गुरु नानकदेव पहुंचे, लेकिन उन्‍हें इसके लिए मना कर दिया गया। उन्‍हें प‍हले पत्‍नी की लिखित इजाजत लाने को कहा गया।

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    सगे भाई को किडनी देना चाहता था जालंधर के खैहरा मझा का पन्नालाल

    दिलचस्प बात यह है कि पन्नालाल की पत्नी कुछ वर्ष पूर्व उससे अलग रह रही है। ऐसे में उसके सामने विकट स्थिति खड़ी हाे गई कि वह पत्‍नी की इजाजत कैसे लाए। अस्‍पताल के किडनी ट्रांस्प्लांट आॅथोराइजेशन कमेटी का कहना है कि उसके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है।

    दरअसल, गुरुनानक देव अस्पताल में हुई किडनी कमेटी की बैठक में पहुंचे पन्नालाल ने अधिकारियों से अनुरोध किया कि वह अपने भाई विजय कुमार को अपनी एक किडनी देना चाहता है। उसके भाई की हालत ठीक नहीं है। अब तक वह डायलिसिस करवाकर उसे जीवित रखे हुए थे। डॉक्टरों ने साफ कर दिया है कि किडनी ट्रांस्प्लांट ही आखिरी उम्मीद है।

    पन्‍नालाल ने इस संबंध में किडनी ट्रांस्प्लांट आॅथोराइजेशन कमेटी  के समक्ष दस्‍तावेज भी रखे। कमेटी के चेयरमैन डॉ. रामस्वरूप शर्मा ने विजय कुमार से संबंधित सभी दस्तावेज की जांच की। इन दस्तावेजों में पन्नालाल की पत्नी की स्वीकारोक्ति का प्रमाण नहीं था। असल में किडनी ट्रांस्प्लांट की औपचारिकताएं पूरी करते वक्त यह देखा जाता है कि यदि विवाहित पुरुष अपने किसी परिचित को किडनी देने को राजी है तो उसकी पत्नी को ऐतराज नहीं होना चाहिए। इसी प्रकार यदि महिला किडनी देना चाहती है तो उसका पति इस पर सहमति रखता हो।

    चेयरमैन डॉ. रामस्वरूप शर्मा ने पन्नालाल से कहा कि वह अपनी पत्नी को कमेटी के सम्मुख प्रस्तुत करे। पन्नालाल ने कहा कि उसकी पत्‍नी उससे काफी अरसा पहले अलग होकर चली गई थी।  दो बच्चे भी उसके पास हैं। हमने उसे लौट आने को भी कहा, पर वह नहीं आई।

    इस पर डॉ. शर्मा ने साफ कर दिया कि अगर वह नहीं आ सकती तो उससे एफिडेविट लिखवाया जाए कि उसे अपने पति के किडनी देने पर आपत्ति नहीं है। यदि ऐसा भी संभव नहीं तो तलाक का दस्तावेज कमेटी के सम्मुख रखा जाए। कमेटी के इस फैसले के बाद यह परिवार जालंधर लौट गया है। डॉ. शर्मा ने कहा कि फिलहाल इस केस को स्वीकृति नहीं दी गई है।

    इधर, कमेटी ने सोमवार को चार अन्य केसों को स्वीकृति दी है। इनमें किडनी फैल्योर से जूझ रहे तरनतारन के इंद्रजीत सिंह को उसकी मां रंजीत कौर किडनी देगी। हाेशियारपुर के प्रवीण सिंह को उसकी बहन वीना कुमारी किडनी देकर जीवनदान देगी। पठानकोट के सतिंदर सिंह को उसका साला मोती सागर और जालंधर के राजिंदर कुमार को उसकी सास कृष्णा गांधी और कपूरथला निवासी सुरजीत लाल को उसके पिता मलकीत चंद अपनी किडनी देंगे।