बड़े शातिर निकले ये ठग, Film Special-26 की तर्ज पर ठग लिए दो करोड़ रुपये
अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म स्पेशल-26 की तर्ज पांच लोगों ने एक करोड़ 94 लाख रुपये की ठगी कर दी। दो लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जबकि तीन फरार हैं।
अमृतसर [नवीन राजपूत]। अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म 'स्पेशल-26' की तर्ज पर शहर में लाखों रुपयों की ठगी करने की वारदातों को अंजाम देने के आरोप में पुलिस ने दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। अदालत ने दोनों आरोपितों बसंत एवेन्यू निवासी मैनुअल मसीह उर्फ मन्नु और फतेहगढ़ चूडिय़ां रोड निवासी अश्वनी कुमार को दो दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। तीन आरोपित बलबीर सिंह, पवन कुमार व हीरा सिंह अभी फरार हैं।
सुल्तानविंड थाना पुलिस ने 2018 में पांचों आरोपितों के खिलाफ एक करोड़ 94 लाख रुपये की ठगी के आरोप में केस दर्ज किया था। एसीपी सुशील कुमार ने बताया कि सभी आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी के चार-पांच मामले दर्ज हैं। नामजद पांचों आरोपित पुलिस के लिए काफी सिरदर्द बन चुके हैं। इनके खिलाफ अमृतसर में ही नहीं, बल्कि देहाती, तरनतारन में भी धोखाधड़ी के आधा दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं।
जांच में सामने आया कि सेवानिवृत फौजी से ठगी करने के लिए सभी आरोपितों ने अपने नाम बदल लिए थे। यह फिल्म स्पेशल 26 के सभी किरदारों से कहीं भी कम नहीं हैं। उन्होंने अपने आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंक खाते भी फर्जी खुलवाए थे। बलबीर सिंह सहोता बना विजय शर्मा, अश्वनी कुमार बना अशोक गुप्ता, मैनुअल मसीह बना अमर मजीठिया, हीरा सिंह बना राजबीर सिंह और पम्मू बना पवन शर्मा।
पवन की हुई थी कंडीशनल जमानत
पवन काफी शातिर है। बुजुर्ग फौजी के प्रयासों से पुलिस ने उसे किसी तरह से पकड़ लिया। जमानत हासिल करने के लिए आरोपित ने कोर्ट में अर्जी दायर की। आरोपित ने पुलिस की हाजिरी में कोर्ट से कहा था कि वह ठगी के पैसे शिकायतकर्ता को लौटा देगा। इसके साथ ही अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी में भी पुलिस की सहायता करेगा। जमानत मिलने के बाद आरोपित भूमिगत हो गया और अन्य चार आरोपितों को पकड़वाने की बजाय फरार होने में सहायता करने लगा। आरोपित ने कोर्ट को भी गुमराह किया और पीडि़त के पैसे भी नहीं लौटाए।
तरनतारन का डीएसपी ले रहा केस में विशेष रुचि
रवैल सिंह ने आरोप लगाया कि सारे मामले में तरनतारन जिला में तैनात एक डीएसपी की विशेष रुचि है। डीएसपी कुछ आरोपितों की सहायता कर रहा है। जब पुलिस दोनों आरोपितों को पकडऩे गई तो एक आरोपित ने अपने मोबाइल से उस डीएसपी की बात करवा दी। डीएसपी ने पुलिस दल को यहां तक कह दिया कि उनकी (पुलिस दल) हिम्मत कैसे हुई कि वह दोनों को पकडऩे पहुंच गए हैं। पूर्व फौजी ने डीजीपी दिनकर गुप्ता से इंसाफ की गुहार लगाई है कि सारे मामले की जांच करवाकर डीएसपी के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। उन्होंने मांग की है कि डीएसपी के मोबाइल नंबर और आरोपितों के मोबाइल नंबर की डिटेल निकलवाई जाए।
यह है मामला
मानांवाला के रवैल सिंह सेना से काफी पहले रिटायर्ड हो चुके हैं। उनकी अपनी जमीन है। वह पाकिस्तान के खिलाफ 1971 की जंग में भी हिस्सा ले चुके हैं। अब बेटों के साथ खेती करते हैं। साल 2016 में उनकी मुलाकात उक्त पांचों आरोपितों के साथ हुई थी। आरोपितों ने उनके घर आना जाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे घर के भेद लेने शुरू कर दिए। वह जान गए थे कि उनके बैंक खाते में लाखों रुपये हैं। उस दौरान उन्होंने जमीन का कुछ हिस्सा भी बेचा था। आरोपितों ने उन्हें बताया कि अजनाला में वह उन्हें काफी सस्ती जमीन दिलवा देंगे। वह खेतीबाड़ी के लिए जमीन लेने के लिए तैयार हो गए।
घटना वाले दिन उन्हें सभी आरोपित अजनाला में ले गए। लगभग 1.96 करोड़ रुपये वह जमीन खरीदने के लिए अपने एक अन्य रिश्तेदार को साथ लेकर चले गए। आरोपितों ने किसी तरह उनसे पैसे ले लिए और फिर कभी नहीं मिले। इसके बाद उन्होंने अमृतसर देहाती और अमृतसर कमिश्नरेट के पुलिस अधिकारियों के चक्कर लगाए। कोई उनकी बात सुनने को तैयार नहीं था। कई बार तत्कालीन पुलिस कमिश्नर सुधांशु शेखर श्रीवास्तव से मिलकर सारी घटना की जानकारी दी गई थी।
साल 2018 में सुल्तानविंड थाने ने पांचों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। आरोपित काफी शातिर थे। निचले स्तर के अफसरों को घूस खिलाकर गिरफ्तारी से बचते रहे। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट तक वह जमानत लेने के लिए गए, लेकिन कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानतें निरस्त कर दी।
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