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    रावी की बाढ़ से अमृतसर के खेतों में जमी रेत-गाद, गेहूं की बुआई लटकी; बीज-खाद की किल्लत से किसान परेशान

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 08:46 PM (IST)

    रावी नदी में बाढ़ के कारण अमृतसर के रमदास और अजनाला इलाके में किसानों की जमीनें डूब गईं। खेतों में रेत और गाद जमा होने से गेहूं की बुआई में देरी हो रही है। किसान समाजसेवी संस्थाओं और किसान संगठनों की मदद से खेतों को तैयार कर रहे हैं, लेकिन बीज और खाद की चिंता बनी हुई है। कृषि विभाग ने किसानों को नवंबर तक बुआई करने की बात कही है।

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    समाजसेवी संस्थाएं व किसानों के संगठन जेसीबी और ट्रैक्टर की मदद से खेत कर रहे तैयार (फोटो: जागरण)

    हरदीप रंधावा, अमृतसर। रावी दरिया का जलस्तर बढ़ने से रमदास और अजनाला इलाके में आई बाढ़ के कारण किसानों की जमीनें पूरी तरह से पानी में डूब गईं थी। काफी जगह से पानी तो अब उतर चुका है लेकिन फिलहाल किसानों के लिए गेहूं की बिजाई का काम लगभग मुश्किल ही लग रहा है।

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    इसका कारण ये है कि जमीन से पानी अभी पूरी तरीके से निकला नहीं है। खेतों में रेत और गाद उठाने का काम अब भी चल रहा है। किसानों का कहना है कि समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से जेसीबी और ट्रैक्टर की मदद से खेतों को तैयार किया जा रहा है, मगर ज्यादा रेत और गाद होने के कारण समय लग रहा है।

    ऐसे में लग रहा है कि गेहूं की बिजाई में देरी हो सकती है। किसानों का कहना है कि गेहूं का बीज व खाद लेने की चिंता भी उन्हें सता रही है, क्योंकि बाढ़ के कारण उनका बहुत नुकसान हो चुका है। वहीं, इस बारे में कृषि अधिकारी का कहना है कि गेहूं की फसल लगाने में पूरा नवंबर महीना पड़ा है। देरी हो सकती है, लेकिन फसल लग जाएगी।

    बाढ़ आई को लगभग दो महीने बीत चुके हैं। आज भी बहुत सी परेशानियां हो रही हैं। अपने घर में अगली फसल के लिए बीज रखा था, जोकि बाढ़ के पानी से खराब हो चुका है।

    खेतों में अगली फसल बीजने के मकसद से सिर्फ बीज ही नहीं बल्कि खाद भी जरूरी है, जो लेना मुश्किल ही नजर आ रहा है।
    विलियम मसीह जट्टा, किसान

    बाढ़ के कारण हुए नुकसान में समाजसेवी संगठनों के साथ ही साथ किसान संगठनों ने बहुत साथ दिया है। भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुरिया का बहुत अहम रोल रहा है, जो आज भी गांव गग्गोमाहल के साथ थोबा व रमदास में खेतों को ठीक करने में रोल निभा रही है।
    हरमीत सिंह, किसान

    सरकार से कोई सहयोग नहीं मिला है। भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुरिया ने किसानों से वादा किया था कि किसी भी किसान को खेतों को ठीक करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी जाएगी। पांच-साढ़ पांच फुट रेत खेतों में जमा हो गई थी, जिसे हटाने में किसानी संगठन खुद ही खर्च उठा रहे हैं।
    बलदेव संधू, किसान

    पंजाब सरकार के आदेशानुसार रावी दरिया में आई बाढ़ के कारण अजनाला के साथ ही साथ बाबा बकाला में बाढ़ प्रभावित किसानों को बीज मुहैया करवाया जा रहा है।

    उसमें 826 के साथ ही 222 नंबर का बीज किसानों में बांटा जा रहा है। धान के बाद अगली फसल बीजने के लिए पूरा नवंबर काफी है।
    गुरसाहिब सिंह, चीफ एग्रीकल्चर आफिसर, अमृतसर