मेयर चुनाव से पहले कांग्रेस की बढ़ी टेंशन, हॉर्स ट्रेडिंग का सता रहा डर; पार्षदों को हिमाचल शिफ्ट करने की तैयारी
अमृतसर नगर निगम में मेयर बनाने की लड़ाई में कांग्रेस ने एआईसीसी के पूर्व प्रभारी हरीश चौधरी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस को डर है कि सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी हार्स ट्रेडिंग कर सकती है। कांग्रेस के पास 41 पार्षद हैं जबकि आप के पास 24 पार्षद और 7 विधायक हैं। कांग्रेस का आरोप है कि आप अधिसूचना जारी नहीं कर रही है ताकि हार्स ट्रेडिंग की जा सके।
कैलाश नाथ, अमृतसर। अमृतसर नगर निगम में मेयर बनाने की लड़ाई बेहद रोचक हो गई है। सबसे अधिक पार्षद लेकर भी कांग्रेस को ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ का डर सता रहा है। यही कारण हैं कि मेयर पद के चुनाव में पहली बार ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की एंट्री हुई है।
एआईसीसी ने प्रदेश के पूर्व प्रभारी हरीश चौधरी को पार्षदों को खरीद-फरोख्त से बचाने और मेयर बनाने के लिए मैदान में उतारा है। माना जा रहा हैं कि अमृतसर में हाउस गठन की अधिसूचना से पहले कांग्रेस अपने पार्षदों को हिमाचल प्रदेश में शिफ्ट कर सकती है।
पंजाब के इतिहास में पहली बार
ऐसा भी पंजाब के इतिहास में पहली बार होगा। हालांकि, इससे पहले चंडीगढ़ में यह कहानी लिखी जा चुकी है। पार्षदों को बचाने के लिए पिछले वर्ष आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अपने पार्षदों को पंजाब शिफ्ट कर दिया था। क्योंकि पंजाब में आप की सरकार थी।
हरीश चौधरी कहते हैं ‘सरकार पुलिस पावर और पैसे का दुरुपयोग कर रही है। सरकार हरेक प्रकार के हथकंडे अपना रही है। इसके बावजूद अमृतसर में कांग्रेस अपना मेयर बनाएगी।
85 पार्षदों में 41 पार्षद कांग्रेसी
बता दें कि 85 पार्षदों और 7 विधायकों समेत 92 सदस्यों वाले हाउस में कांग्रेस के पास 41 पार्षद हैं। जबकि सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के 24 पार्षद जीते थे। पांच पार्षदों को आप ने ज्वाइन करवा लिया। जबकि उसके पास 7 विधायक भी है।
कांग्रेस का आरोप हैं कि ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ के जुगत में लगी आप तभी अमृतसर के हाउस को लेकर अधिसूचना जारी नहीं कर रही है। यही नहीं पहले नगर निगम में पांच विधान सभा क्षेत्र अमृतसर केंद्रीय, अमृतसर पश्चिमी, अमृतसर उत्तर, अमृतसर पूर्वी और अमृतसर दक्षिण ही आता था। इस बार इसमें दो और विधान सभा क्षेत्र अटारी और जंडियाला को भी जोड़ दिया गया है।
अमृतसर में मेयर के लिए जादुई अंक 47
वहीं, एआईसीसी की ओर से अमृतसर में आब्जॉर्बर लगाने को लेकर प्रदेश नेतृत्व पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योंकि अमृतसर हमेशा से कांग्रेस का मजबूत क्षेत्र रहा है। इसके बावजूद कांग्रेस अमृतसर में मेयर के लिए जादुई अंक 47 को छू नहीं पा रही है।
हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि एआईसीसी के हस्तक्षेप से पार्षदों को एकजुट रखने व जरूरत पड़ने पर उन्हें हिमाचल प्रदेश में शिफ्ट करना आसान हो जाता है। चूंकि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। ऐसे में हरीश चौधरी के आने से हिमाचल में पार्षदों को ले जाना कांग्रेस के लिए आसान होगा। इसी कारण से इस मामले में एआईसीसी ने हस्तक्षेप किया है।
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