अमृतसर में दशहरे की वो मनहूस रात, 7 साल पहले 59 लोगों के लिए 'मौत' बनकर दौड़ी थी ट्रेन, रूह कंपा देता है हादसा
अमृतसर रेल हादसे को सात साल बीत चुके हैं जिसमें 59 लोगों की जान गई थी। पीड़ितों को अभी तक इंसाफ नहीं मिला है क्योंकि आरोपितों की सरकार में अच्छी पहुंच है। कई जांचें हुईं पर कुछ नहीं निकला। अब तक केवल चार गवाह पेश हुए हैं जबकि 396 के बयान दर्ज होने बाकी हैं। मानवाधिकार संगठन का कहना है कि इंसाफ मिलने में सौ साल लग सकते हैं।

नवीन राजपूत, अमृतसर। 19 अक्टूबर, 2018 को दशहरे वाले दिन हुए दर्दनाक और भयानक रेल हादसे को सात साल बीच चुके हैं।
रेल ट्रैक पर खड़े होकर दशहरा देख रहे सैकड़ों लोग दो रेलगाड़ियों की चपेट में आ गए थे। इस हादसे में 59 लोगों की जान गई और सैकड़ों जख्मी हुए थे। आज तक किसी भी पीड़ित को इंसाफ नसीब नहीं मिला। कारण यह है कि हादसे के जिम्मेदार आरोपित सरकार में खासी पहुंच रखते हैं।
केवल एफआईआर दर्ज कराने के लिए तीन इन्वेस्टिगेशन करवाई गईं। रेलवे विभाग, जीआरपी द्वारा जांच की गई, लेकिन बना कुछ भी नहीं। आखिर में डिवीजन कमिश्नर जालंधर (न्यायिक जांच) करवाई गई और दो महीने बाद इसे पूरा किया गया।
हैरानी है कि दो साल तक तो इस जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक ही नहीं किया गया। इसके बाद जीआरपी द्वारा हादसे का केस दर्ज किया गया।
396 लोगों के दर्ज नहीं हुआ बयान
वर्तमान में इस मामले की सुनवाई न्यायाधीश हिना अग्रवाल की अदालत में विचाराधीन है। 29 अक्टूबर को इस मामले में सुनवाई होनी है। कोर्ट में अब तक चार गवाह ही पूरे हो सके हैं, जबकि पांचवें की गवाही पूरी कराई जा रही है।
इस मामले में कुल 400 गवाह हैं और शेष 396 गवाहों के बयान दर्ज किए जाने बाकी हैं। इसके बाद चार्ज फ्रेम होना है और फिर कोर्ट अगली कार्रवाई शुरू कर पाएगी। कोर्ट ने इस तारीख पर मामले की एसआइटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) को बुलाया गया है।
सात लोगों को बनाया गया था आरोपित
डिवीजनल कमिश्नर जालंधर द्वारा की गई जांच पर जीआरपी थाने की पुलिस ने इस दशहरा कमेटी के आयोजक व कांग्रेस पार्षद मिट्ठू मदान उर्फ सौरभ मदान (दशहरा कमेटी के प्रधान), उसके भाई दीपक कुमार (कोषाध्यक्ष), राहुल कल्याण (महासचिव), करण भंडारी, काबुल सिंह, दीपक गुप्ता और भूपिंदर सिंह को आरोपित बनाया गया था।
मामले में नगर निगम और पुलिस विभाग के दर्जनभर कर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच की गई थी। ट्रायल कोर्ट में उक्त विभाग के कर्मियों और अफसरों को आरोपित बनाया जाना शेष है।हादसे की
जिम्मेदारी एक दूसरे पर थोपते रहे विभाग
बता दें जोड़ा फाटक के पास हुए इस भयानक रेल हादसे की जिम्मेदारी सरकारी विभाग एक दूसरे पर डालते रहे। नगर निगम द्वारा यहां दशहरा मनाने की अनुमति कैसे दी गई। फिर पुलिस विभाग द्वारा सुरक्षा को लेकर क्या जांच की गई। सुरक्षा की व्यवस्था कैसे की गई।
दमकल विभाग की गाड़ियां निगम द्वारा कैसे तैनात की गईं। उक्त स्थल पर कांग्रेस के पूर्व सांसद व विधायक नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी विधायक नवजोत कौर सिद्धू के लिए आयोजन करवाया गया था। वह मुख्य मेहमान के रूप में पहुंचीं थी।
मानवाधिकार संगठन के चीफ इन्वेस्टिगेटर एडवोकेट सरबजीत सिंह वेरका ने कहा कि जिस रफ्तार से ट्रायल चल रहा है। ऐसा प्रतीक होता है कि पीड़ितों को इंसाफ मिलने में सौ साल इंतजार करना होगा। घटना के सात साल बीतने पर भी पीड़ितों को नौकरियां नहीं मिलीं और वह राजनीति का शिकार हो रहे हैं।
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