Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Amritsar News : स्वास्थ्य विभाग की प्रमाणिकता न होने की बावजूद चल रहे हैं अवैध सेंटर, अप्रशिक्षित कर रहे उपचार

    By Jagran NewsEdited By: Jagran News Network
    Updated: Fri, 07 Apr 2023 11:15 AM (IST)

    दैनिक जागरण द्वारा यह मामला लगातार उजागर किया जा रहा है। सिविल सर्जन डॉ. चरणजीत सिंह ने कहा कि सभी ब्लाकों के एसएमओ से बैठक कर उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने अपने क्षेत्र में स्थित अस्पतालों नर्सिंग होम व क्लीनिकों की जांच करें।

    Hero Image
    अमृतसर में 200 से अधिक अवैध निजी अस्पताल व क्लीनिक हैं।

    अमृतसर, जागरण संवाददाता। जिले के कुछ अस्पतालों व क्लीनिकों में चिकित्सा के नाम मरीजों का आर्थिक व मानसिक शोषण हो रहा है। 200 से अधिक अवैध निजी अस्पताल व क्लीनिक यहां हैं। खास बात यह है कि न तो प्रशासन को इसकी खबर है और न ही सरकार को। हर मोहल्ले में अस्पताल व क्लीनिक खुले हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी न तो यहां तक पहुंचते हैं, कार्रवाई तो दूर की बात है। अस्पताल व क्लीनिकों के अलावा अवैध फिजियोथेरेपी सेंटर भी खुले हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अप्रशिक्षित लोग कर रहे डिलीवरी

    मजीठा रोड पर एक संकरी गली में छोटा सा नर्सिंग होम चल रहा है। यहां गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी की जाती है। अप्रशिक्षित लोग दस से पंद्रह हजार रुपये लेकर डिलीवरी की प्रक्रिया को अंजाम दे रहे हैं। एक महिला दाई है। उसके पास न तो स्वास्थ्य विभाग की प्रमाणिकता है और न ही योग्यता। इस प्रकार के अनेकानेक नर्सिंग होम जिले में हैं जो न केवल नियमों को तार-तार कर रहे हैं, बल्‍क‍ि जिंदगियों से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। अफसोसजनक पक्ष यह है कि कुछ एक अल्ट्रासाउंड सेंटरों का औपचारिक निरीक्षण व मेडिकल स्टोरों में दवाओं की जांच कर स्वास्थ्य विभाग व ड्रग विभाग के अधिकारी रिपोर्ट तैयार करते हैं। आज तक एक भी अस्पताल या नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई।

    क्‍या कहते हैं ज‍िम्‍मेदार ?

    दैनिक जागरण द्वारा यह मामला लगातार उजागर किया जा रहा है। सिविल सर्जन डॉ. चरणजीत सिंह ने कहा कि सभी ब्लाकों के एसएमओ से बैठक कर उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने अपने क्षेत्र में स्थित अस्पतालों, नर्सिंग होम व क्लीनिकों की जांच करें। यदि कोई भी सेंटर अनाधिकृत पाया जाता है तो उसके खिलाफ तत्काल जानकारी दें। ऐसे केंद्रों को हम बंद करेंगे। रतन सिंह चौक स्थित दालम क्लीनिक को बंद कर दिया गया है। अब हमारी टीमें सभी सेंटरों की जांच करेंगी।

    ग्रामीण क्षेत्रों में आरएमपी डॉक्टर भी मरीजों की जान जोखिम में डाल रहे

    दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में आरएमपी डॉक्टर भी मरीजों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। मरीजों को सटीरायड देकर ठीक करने का दावा किया जाता है। यह उनकी सेहत के लिए बहुत हानिकारक है। चिकित्सा को धंधा बनाने वाले कुछ लोग छोटी मोटी बीमारियों का उपचार अपने अस्पताल या क्लीनिक में करते हैं। गंभीर मरीजों को उन अस्पतालों में भेजा जाता है जहां से इन्हें मोटा कमीशन प्राप्त हो। निजी लैबोरेट्री संचालकों से भी इनकी सांठगांठ है।

    सरकारी डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ चला रहा निजी अस्पताल

    कुछ ऐसे अस्पताल व क्लीनिक ऐसे भी हैं जिनके मालिक स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी ही हैं। उदाहरण के तौर पर सिविल अस्पताल में कार्यरत एक मेल नर्सिंग स्टाफ वेरका में निजी अस्पताल चला रहा है। उसकी साथी एक महिला है जो वेरका अस्पताल में गायनोकोलाजिस्ट के रूप में सेवाएं दे रही हैं। सरकारी अस्पतालों में नौकरी कर मोटा वेतन पाने वाले ये दोनों स्वास्थ्य कर्मी स्वास्थ्य विभाग के नाक के नीचे अच्छा खासा अस्पताल चला रहे हैं।

    नर्सिंग स्टाफ ही कर रहा मरीजों का ऑपरेशन

    खास बात यह है कि मेल नर्सिंग स्टाफ इतना ''काबिल'' बन चुका है कि मरीजों की चीरफाड़ यानी ऑपरेशन भी कर रहा है। वर्ष 2022 में ज्योति नामक एक महिला ने उपरोक्त गायनी डॉक्टर पर आरोप लगाया था कि उसने उसे निजी अस्पताल में आकर डिलीवरी करवाने को कहा। ज्योति ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को शिकायत भेजी थी। मामले की जांच भी हुई, पर जांच अधिकारियों ने लीपापोती कर डॉक्टर के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं जुटाए। जांच टीम ने डॉक्टर और ज्योति के बीच समझौता करवाया और रिपोर्ट तैयार की कि अब ज्योति ने अपनी शिकायत वापस ले ली है।

    सरकारी डॉक्‍टर शाम के समय न‍िजी अस्‍पतालों में कर रहे प्रैक्‍ट्रि‍स

    वास्तविक स्थिति यह है कि जिले के कुछ सरकारी डॉक्टर भी शाम के समय निजी अस्पतालों में प्रैक्टिस कर रहे हैं। सरकार की नियमावली के अनुसार, सरकारी डॉक्टर निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकते। इसके लिए सरकार उन्हें नान प्रैक्टिस अलाउंस देती है। सरकार से अलाउंस लेने के बावजूद भी अधिकांश सरकारी डॉक्टर सरकारी अस्पताल में काम खत्म करने के बाद निजी अस्पतालों में पहुंच रहे हैं।