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    अमृतसर: 328 गुरु ग्रंथ साहिब स्वरूप गायब होने के मामले में बड़ा एक्शन, पंजाब सरकार ने जांच के लिए बनाई SIT

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 09:19 AM (IST)

    पंजाब सरकार ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 328 स्वरूपों के गायब होने के मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। यह एसआईटी पुलिस कमिश्नर अमृतसर की निग ...और पढ़ें

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    328 स्वरूप गायब होने का मामला, एसआईटी करेगी जांच (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, अमृतसर। श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 328 स्वरूपों गायब हुए या फिर रिकार्ड में अनियमितताएं हुईं, इस संवेदनशील मामले की जांच अब विशेष जांच टीम (एसआईटी) करेगी।

    धार्मिक आस्था से जुड़े इस प्रकरण ने न केवल अमृतसर बल्कि पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी है। बढ़ते दबाव और निष्पक्ष जांच की मांग के बीच पंजाब ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन ने उच्चस्तरीय एसआईटी का गठन किया है।

    एसआईटी में एआईजी (विजिलेंस) एसएएस नगर मोहाली जगतप्रीत सिंह को चेयरमैन बनाया गया है। टीम में अमृतसर, पटियाला और लुधियाना के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया है।

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    एसआईटी अमृतसर के पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर की प्रत्यक्ष निगरानी में काम करेगी। जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त अधिकारियों को भी जांच में शामिल किया जा सकेगा।

    पुलिस अधिकारियों के अनुसार एसआईटी 328 स्वरूपों के रखरखाव, उनके स्थानांतरण, रिकार्ड और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की गहन जांच करेगी। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि यह चूक प्रशासनिक लापरवाही है या इसके पीछे कोई संगठित साजिश है

    दरअसल, 2015-2016 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रकाशन विभाग से 328 पावन स्वरूप गायब हुए थे। इसके बाद सिख समुदाय में विवाद खड़ा हो गया था।

    सत्कार कमेटी ने इस मामले के विरोध में श्री हरिमंदिर साहिब के गलियारा में चार वर्ष तक धरना भी लगाया और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की थी।

    उस समय श्री ग्रंथ साहिब के स्वरूपों की संख्या में भारी अंतर पाया गया। रजिस्टरों में दर्ज संख्या और मौके पर मौजूद स्वरूपों का मिलान करने पर 328 स्वरूप गायब पाए गए।

    न तो उनके सुरक्षित स्थानांतरण का कोई स्पष्ट रिकार्ड मिला और न ही यह पता चल सका कि ये स्वरूप किसके निर्देश पर और कहां ले जाए गए।

    मामले की गंभीरता को देखते हुए 7 दिसंबर 2025 को थाना सी डिवीजन में एफआईआर नंबर 168 दर्ज की गई। इसमें एसजीपीसी के 16 कर्मचारियों को नामजद किया गया था।

    पुलिस का मानना है कि यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित साजिश और रिकॉर्ड में हेरफेर का मामला भी हो सकता है। एफआईआर के बाद स्थानीय स्तर पर शुरू हुई जांच के दौरान जैसे-जैसे तथ्य सामने आते गए, मामला और संवेदनशील होता चला गया।

    सिख संगत और धार्मिक संगठनों में रोष फैल गया। निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच की मांग को लेकर लगातार आवाज उठने लगी। संगत ने इसे सीधे आस्था और मर्यादा से जुड़ा मामला बताते हुए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

    मामले की गंभीरता और सामाजिक प्रभाव को देखते हुए ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन, पंजाब ने एसआईटी का गठन किया। हालांकि एसजीपीसी ने इस एफआईआर का विरोध किया है।

    श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज एवं एसजीपीसी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी इसे राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं।

    साथ ही कहा कि एसजीपीसी अपने आंतरिक मामलों की जांच करने में सक्षम है। किसी तरह का राजनीतिक एवं पुलिस हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए था।

    नितिन धीमान