VIDEO: ऑपरेशन ब्लू स्टार को हुए 41 साल, गोल्डन टेंपल पहुंचे सिमरनजीत मान के समर्थकों ने लगाए खालिस्तान जिंदाबाद के नारे
पंजाब के अमृतसर में ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी पर शिरोमणि अकाली दल (मान गुट) के नेता सिमरनजीत सिंह मान गोल्डन टेंपल पहुंचे। इस बीच उनके समर्थकों ने खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए। बता दें कि साल 1984 में जरनैल सिंह भिंडरांवाले के अंत के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया था।

एएनआई, अमृतसर। ऑपरेशन ब्लू स्टार को 41 साल हो गए हैं। साल 1984 में इस अभियान में जरनैल सिंह भिंडरांवाला के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। ऑपरेशन में सेना ने भिंडरांवाला को मार गिराया था। ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर आज शिरोमणि अकाली दल (मान गुट) के नेता सिमरनजीत सिंह मान गोल्डन टेंपल पहुंचे। इस बीच उनके समर्थकों ने परिसर में खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए।
#WATCH | अमृतसर, पंजाब: ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी और ऑपरेशन के दौरान मारे गए जरनैल सिंह भिंडरावाले की पुण्यतिथि पर शिरोमणि अकाली दल (मान गुट) के नेता सिमरनजीत सिंह मान के स्वर्ण मंदिर पहुंचने पर लोगों ने 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 6, 2025
ऑपरेशन ब्लू स्टार 1 से 10 जून 1984… pic.twitter.com/0Z9OpaUQgd
'ये नारे दुनिया भर में लगते रहे हैं'
ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार जसबीर सिंह रोडे ने कहा कि आज तक सरकार के पास इस बात का जवाब नहीं है कि सिखों के ऐसे पवित्र स्थान पर हमला क्यों किया गया। सिख अपने अधिकारों की मांग कर रहे थे। उन्होंने भारत सरकार के खिलाफ हमले की घोषणा नहीं की थी। फिर बिना किसी नोटिस या चेतावनी के हम पर हमला किया गया। यह अटैक ऐसा था जैसे दुश्मन देशों पर किया जाता है। आज देश भर से लोग उन लोगों को श्रद्धांजलि देने आए हैं, जिन्होंने हमारे धर्म की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी।
'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाने वाले लोगों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ये नारे यहां और दुनिया भर में हमेशा से लगते रहे हैं। इसमें कुछ भी नया नहीं है।
1984 में चला था ऑपरेशन ब्लू स्टार
एक जून से छह जून के बीच साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जरनैल सिंह भिंडरांवाला के खिलाफ ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया था। इस ऑपरेशन में चार अधिकारी सहित 83 जवान बलिदान हुए थे। जबकि 514 उग्रवादी और नागरिक मारे गए। अभियान में गोल्डन टेंपल में मौजूद अकाल तख्त को भी भारी नुकसान पहुंचा था। यही कारण रहा कि इंदिरा गांधी के इस एक्शन से सिखों में आक्रोश भी था और इसके परिणाम भी काफी भयावह रहे।
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