Amritsar Health System: मेडिसिन डाक्टर वीआइपी ड्यूटी पर, दिनभर इंतजार करते रहे मरीज
सिविल अस्पताल में मंगलवार को मरीज इलाज के लिए तरस गए। मेडिसिन आर्थो स्किन और चेस्ट एंड टीबी विभागों में मरीजों को डाक्टर नहीं मिले। बेबस मरीज ईएनटी विभाग के डाक्टर सुमित के कमरे के बाहर खड़े रहकर उनसे ही जांच करवाने की गुहार लगाते रहे।
नितिन धीमान, अमृतसर। सिविल अस्पताल में मंगलवार को मरीज इलाज के लिए तरस गए। मेडिसिन, आर्थो, स्किन और चेस्ट एंड टीबी विभागों में मरीजों को डाक्टर नहीं मिले। वहीं मरीजों को जानकारी भी नहीं दी गई कि डाक्टर आएंगे या नहीं? बेबस मरीज ईएनटी विभाग के डाक्टर सुमित के कमरे के बाहर खड़े रहकर उनसे ही जांच करवाने की गुहार लगाते रहे।
दरअसल, आर्थो विभाग के डाक्टर धर्मेंद्र को मंगलवार को अदालत में पेश होना था। ऐसे में वह नहीं आए। इसी प्रकार दूसरे आर्थो डाक्टर गुरविंदर भी किसी विभागीय केस के चलते अदालत में चले गए। तीसरे आर्थो डाक्टर साहिल आपरेशन थिएटर में मरीजों की सर्जरी कर रहा था। ऐसे में आर्थो विभाग की ओपीडी बंद होकर रह गई।
ओपीडी के बाहर खड़े रहे 50 से अधिक मरीज
ओपीडी के बाहर 50 से अधिक मरीज खड़े रहे। इनमें बुजुर्ग व महिलाएं भी थीं। घुटनों की तकलीफ से जूझ रहे मरीज सहारे से खड़े थे। वहीं मंगलवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी शहर पहुंचे। उनके आगमन से पूर्व ही मेडिसिन विभाग के डाक्टर को उनकी ड्यूटी में लगा दिया गया।
वहीं दूसरे मेडिसिन डाक्टर की ड्यूटी मंगलवार को अजनाला सिविल अस्पताल में थी। ऐसे में मेडिसिन विभाग भी पूरी तरह बंद रहा। वहीं इस पर अस्पताल के एसएमओ डा. राजू चौहान का कहना है कि ईएनटी विभाग के डाक्टर ने अधिकतर मरीजों की जांच की है। कुछ डाक्टर प्रतिनियुक्ति पर लगाए गए हैं, जो मंगलवार को दूसरे स्टेशनों पर ड्यूटी कर रहे थे।
मेडिसिन विभाग भी पूरी तरह रहा बंद
मेडिसिन विभाग में हृदय, किडनी, लिवर व पेट से संबंधित कई बीमारियों का उपचार किया जाता है। यह इतना महत्वपूर्ण विभाग है कि प्रतिदिन 300 से अधिक मरीजों की यहां जांच की जाती है। इसके अलावा पोस्टमार्टम व डायलिसिस की प्रक्रिया ये भी मेडिसिन डाक्टर ही करते हैं। छाती और चमड़ी के रोग के मरीजों की भी जांच नहीं हो सकी सिविल अस्पताल का तीसरा महत्वपूर्ण विभाग है चेस्ट एंड टीबी।
इस विभाग में डा. विजय गोटवाल इंचार्ज है। स्वास्थ्य विभाग ने डा. विजय को तीन दिन सिविल अस्पताल में, जबकि तीन दिन टीबी अस्पताल में मरीजों की जांच का जिम्मा सौंपा है। मंगलवार को उनकी ड्यूटी टीबी अस्पताल में थे, ऐसे में सिविल अस्पताल में छाती रोगों से संबंधित मरीजों की जांच नहीं हो सकी।
खाली पदों को भरे सरकार
इंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन स्वास्थ्य विभाग के चेयरमैन राकेश शर्मा ने कहा कि यह बहुत ही अफसोसनाक है कि सिविल अस्पताल में मरीजों को डाक्टर नहीं मिले। वीआइपी ड्यूटी से ज्यादा जरूरी मरीजों का दर्द कम करना है।
डाक्टरों से केवल मरीजों की जांच का काम लिया जाए। सरकार ऐसा नहीं करती। सिविल अस्पताल में इमरजेंसी मेडिकल आफिसरों के नौ पद खाली हैं। यदि सरकार इनकी तैनाती कर दे तो ऐसी स्थिति में मरीजों की जांच की जा सकती है।
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