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भारतीय इंजीनियर का दावा, 5 दिनों में निकाल सकते हैं थाईलैंड की गुफा में फंसे बच्चे

अमृतसर के इंजीनियर जसवंत सिंह गिल ने कहा है कि वह थाईलैंड की गुफा में फंसे 12 खिलाडिय़ों और कोच को सुरक्षित बाहर निकाल सकते हैं। गिल ने कोयला खदान में फंसे 65 लोगों को निकाला था।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 07 Jul 2018 07:53 PM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 08:04 AM (IST)
भारतीय इंजीनियर का दावा, 5 दिनों में निकाल सकते हैं थाईलैंड की गुफा में फंसे बच्चे
भारतीय इंजीनियर का दावा, 5 दिनों में निकाल सकते हैं थाईलैंड की गुफा में फंसे बच्चे

अमृतसर, [नितिन धीमान]। अमृतसर के एक इंजीनियर जसवंत सिंह गिल ने दावा किया है कि यदि थाईलैंड सरकार इजाजत दे तो वह वहां गुफा में फंसे 12 खिलाडिय़ों और कोच को सुरक्षित बाहर निकाल सकते हैं। थाईलैंड की दुर्गम गुफा में 23 जून से फंसे फुटबॉल टीम के 12 खिलाडिय़ों व कोच को निकालने की तमाम कोशिशें निरर्थक साबित हुई हैं। पूरा विश्व इनकी सलामती के लिए दुआएं कर रहा है। गुफा में पानी होने की वजह से रेस्क्यू टीम असहाय है। अंदर फंसे खिलाड़ी किस हाल में हैं, इसके अभी तक सिर्फ कयास ही लगाए जा रहे हैं।

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29 वर्ष पूर्व रानीगंज में कोयले की खदान से 65 लोगों को बचाय 

इंजीनियर जसवंत सिंह वही शख्स हैं जिन्होंने 1989 में अदम्य साहस का परिचय देते हुए बंगाल के रानीगंज में कोयले की खान में फंसे 65 मजदूरों को जीवित बाहर निकाला था। इस अनुभवी इंजीनियर ने कहा कि उन्होंने रानीगंज में कैप्सूल तकनीक के जरिए मजदूरों को निकाला था, लेकिन थाईलैंड में फंसे खिलाडिय़ों को निकालने में यह तकनीक कारगर नहीं होगी। गुफा के जिस हिस्से में खिलाड़ी फंसे हैं, वहां तक पहुंचने में पानी के भीतर से होकर जाना पड़ेगा।

13 दिन से गुफा में फंसे 12 खिलाड़ी 

उन्‍होंने कहा कि सेल कंटेंट ब्रीडिंग ऑपरेटर तकनीक को अपनाकर उन तक पहुंचा जा सकता है। रेस्क्यू टीम के सदस्य एक विशेष इंस्ट्रूमेंट को चेहरे पर लगाकर पानी में उतर सकते हैं। इस इंस्ट्रूमेंट से उन्हें नाक की बजाय मुंह से सांस लेनी होगी। खिलाडिय़ों तक पहुंचने के बाद उन्हें भी ब्रीडिंग ऑपरेटर दिए जाएं। उन्हें पहले कम पानी में लाया जाए, ताकि यह मालूम हो सके कि गुफा में एयर टाइट और वाटर टाइट का लेवल कितना है। इसके बाद रेस्क्यू टीम उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल सकती है।

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दूसरा रास्ता लाइफ लाइन

इंजीनियर गिल ने कहा कि दूसरा रास्ता लाइफ लाइन है। इसके जरिए सुरंग के दोनों तरफ विशेष रास्ता बनाया जाता है, जहां से रेस्क्यू टीम खिलाडिय़ों तक पहुंच सकती है। थाइलैंड में रेस्क्यू टीम सुरंग के अंदर पहुंच गई है, ऐसे में सवाल यह है कि खिलाडिय़ों को बाहर निकालने में देरी क्यों की जा रही है। उन्‍होंने कहा कि वहां के विशेषज्ञ चार महीने तक रेस्क्यू कंपलीट होने की बात कर रहे हैं। जितना समय बर्बाद करेंगे, उतना ही रेस्क्यू कमजोर होगा। मौतें होंगी और फिर सुरंग में फंसे बाकी लोगों का मनोबल गिरेगा। अगर सरकार मुझे परमीशन दे तो मैं चार पांच दिन में रेस्क्यू कंपलीट कर सकता हूं।

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104 फुट गहरी खान से निकाले थे 65 मजदूर

1989 में रानीगंज शहर में कोयले की सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने वाले इंजीनियर गिल को भारत सरकार ने सर्वोत्तम नागरिक बहादुरी सम्मान से अलंकृत किया था। उन्‍हाेंने बताया कि 104 फुट गहरी खान में अचानक पानी का रिसाव शुरू हुआ था। आनन-फानन में 161 मजदूर ट्रॉली के जरिए बाहर आ गए, लेकिन 71 मजदूर अंदर ही फंसे रहे।

विकट परिस्थिति में रेस्क्यू टीम ने घुटने टेक दिए थे और किसी चमत्कार का इंतजार करने लगे। जसवंत सिंह गिल ने एक कैप्सूल के आकार के स्टील के ढांचे से खान में फंसे 65 मजदूरों को महज दस घंटों में ही सुरक्षित बाहर निकाला था। जसवंत गिल खुद खान में उतरे थे और अपनी जान जोखिम में डालकर मजदूरों को बचाया।

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