गांव पर लगे इस कलंक से शर्मिदा हैं लोग, दाग धोने को पहरेदार बने युवा
लुधियाना के गांव तलवंडी कलां लगे दाग ने उसे पूरे पंजाब में बदनाम कर दिया है। गांव के युवाआें 'चिट्टे वाला पिंड' के इस कलंक को मिटाने के लिए चौबीसों घंटे पहरा देते हैं।
दिलबाग दानिश, तलवंडी कलां (लुधियाना)। जालंधर बाइपास पर स्थित गांव तलवंडी कलां। बंटवारे के बाद इसे पाकिस्तान से आए लोगों ने बसाया था। मौजूदा समय में नशे के लिए बदनाम हो रहे इस गांव को 'चिट्टे वाला पिंड' के नाम से जाना जाता है। इस कलंक को मिटाने के लिए अब इस गांव के करीब 30 युवा गांव को जाने वाले सभी रास्तों पर रोजाना 24 घंटे नाकाबंदी करके पहरा दे रहे हैैं। ये लोेग ड्रग (चिट्टा) की तस्करी करने वालों और ड्रग के ले जाने वालों काे पकड़ते हैं, फिर उनको पुलिस के हवाले कर देते हैं।
पाकिस्तान से आकर लोगों ने बसाया था तलवंडी कलां को लोग कहते हैं 'चिट्टे वाला पिंड'
पिछले दो महीने में गांव के युवा मनजीत सिंह लवली, सुरजीत सिंह मंगा, चरनदास और राम दास आदि युवाओं का यह ग्रुप अब तक दो दर्जन युवाओं को पुलिस के हवाले कर चुका है। शुक्रवार को भी गांव से चिट्टे की पुड़ी लेकर जा रहे स्विफट कार सवार दो युवकों को पकड़कर पुलिस के हवाले किया गया है। वे बताते हैैं कि इस अभियान के बाद यहां नशा बेचने वाले और नशा करने वालों में खौफ पैदा होने लगा है।
गांव के मुख्य मार्ग पर पहरा देते युवा।
इन युवाअों ने बताया कि पहले रोजाना करीब दो सौ से तीन सौ लोग रोजाना आते थे अब इनकी संख्या मात्र 10 से 15 रह गई है। गांव में करीब एक दर्जन से ज्यादा घरों के लोग तस्करी करते हैैं। उन्हें रोकने के लिए ही ये मुहिम शुरू की गई। प्रदेश सरकार की डेपो कमेटी में ये युवक जुड़े थे और उसके बाद इस मुहिम का काम गांव के 20 से 30 साल की उम्र के युवाओं ने अपने हाथ में ले लिया।
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ऐसे बना ग्रुप, ऐसे होता है काम
गांव के युवक मनजीत सिंह लवली का कहना है कि उन्हें प्रशासन ने डेपो नियुक्त किया था। वह नशे के खिलाफ काम कर रहा था, मगर कोई खास फायदा नहीं हुआ तो गांव के युवकों को साथ मिलाकर ग्रुप खड़ा कर लिया। गांव के हर रास्ते पर तीन गाडिय़ों और छह बाइक के साथ पहरा दिया जाता है। मुहिम में जुड़े सभी युवा मोबाइल के जरिए एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं। आने जाने वाले संदिग्ध लोगों से पूछताछ करते हैैं और तस्करों व नशेडिय़ों की पहचान होने पर उन्हें पुलिस के हवाले कर देते हैं।
गांव के युवाओं की टोली द्वारा पकड़े गए एक नशेड़ी काे ले जाती पुलिस।
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गांव को नशा मुक्त करवाना हमारा लक्ष्य: सुरजीत सिंह
गांव की गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष सुरजीत सिंह मंगा कहते हैैं कि गांव में दर्जन से भी ज्यादा नशा तस्कर हैं। नेशनल हाईवे पर गांव होने के कारण नशेडिय़ों की पहुंच तस्करों के साथ आसानी से हैं। होशियारपुर, जालंधर समेत कई शहरों से तस्कर यहां गाडिय़ों मे आने लगे थे। हमारा गांव 'चिट्टे वाला गांव' के नाम से बदनाम होने लगा। गांव को सौ फीसदी तक नशा मुक्त करना हमारा लक्ष्य है।
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गांव में खुले अस्थायी चौकी : पूर्व सरपंच
गांव के पूर्व सरपंच हंसराज का कहना है कि गांव में नशा तस्करों के खिलाफ शुरू की गई मुहिम के कारण यहां कभी भी कुछ अप्रिय घट सकता है। इसलिए कुछ समय के लिए गांव में चौबीस घंटे पुलिस होनी चाहिए। जिला पुलिस को यहां अस्थायी पुलिस चौकी बनाना चाहिए।
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पाकिस्तान से आकर बसे थे फिर उजड़ने की कगार पर
गांव के बुजुर्ग सूरती राम और दरबारी लाल बताते हैं कि पाकिस्तान से उजड़कर आए उनके पूर्वजों राम चंद और बूटा राम आजाद ने 1950 में ये गांव बसाया था। उन्होंने कड़ी मेहनत की लेकिन नशे ने उन्हें फिर से उजड़ने की कगार पर ला खड़ा किया है।
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'पक्की गार्द का कर रहे प्रबंध, चौकी मुनासिब नहीं'
'' गांव के युवा बेहद सराहनीय काम कर रहे हैं। हम उनके हर तरह के सहयोग को तैयार हैं। वहां पर पुलिस चौकी तो नहीं खोली जा सकती है, मगर वहां पर पुलिस गार्द का प्रबंध किया जा रहा है।
- डॉ. सुखचैन सिंह गिल, कमिश्नर आफ पुलिस, लुधियाना।