EXCLUSIVE: वैष्णाेदेवी जा रहे हैं तो सवधान, ऊधमपुर-कटरा रेलट्रैक पर 'हाई वोल्टेज खतरा'
ऊधमपुर-कटरा रेलमार्ग पर हाई वोल्टेज खतरा मंडरा रहा है। ट्रैक पर हाई वोल्टेज करंट के तारों के खंभे मानक के अनुरूप नहीं हैं। इस मार्ग से लाखों लोग वैष्णो देवी यात्रा पर जाते हैं।
अंबाला, [दीपक बहल]। ट्रेन से वैष्णो देवी की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए बड़ा खतरा है। भारतीय रेल के सबसे चुनौती वाले जिस ऊधमपुर-कटरा रेलमार्ग का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने 4 जुलाई 2014 को किया था, उस पर अब हाई वोल्टेज खतरा मंडरा रहा है। विजिलेंस जांच में दस्तावेज में इस खतरे की पुष्टि की गई है।
ट्रैक पर कम वजनी खंभे लगाने वाली कंपनी पर ठोकी गई थी रिकवरी, लेकिन नहीं हटाए गए कमजोर खंभे
ट्रैक के ऊपर हाई वोल्टेज करंट के तारों का बोझ थामे हुए कमजोर खंभे कभी भी हाथ खड़े कर सकते हैं। तब क्या होगा? घोटालेबाजों ने इस बात की परवाह नहीं की। बावजूद इसके कि रेलवे विजिलेंस (कोर) ने अक्तूबर 2016 में जांच के बाद स्पष्ट कर दिया था कि इस ट्रैक पर लगाए गए खंभे मानक से 15 फीसद कम वजन के हैं।
कमजोर ढांचों पर टंगे हैं हाई वोल्टेज करंट वाले तार
दैनिक जागरण के हाथ वे दस्तावेज लगे हैं, जिनमें ऊधमपुर-श्री माता वैष्णो देवी मंदिर कटरा (सेक्शन जीआर 179) रेल मार्ग पर लगे हुए खंभों के मानक से कमतर होने की स्पष्ट पुष्टि हो जाती है। विजिलेंस की इस रिपोर्ट के आधार पर रेलवे ने जनवरी, 2017 में विद्युतीकरण करने वाली मेसर्स जैन कंपनी और सिक्का कंस्ट्रक्शंस पर करीब पांच करोड़ रुपये की रिकवरी डाली। इसके बावजूद इसके कि खंभे मानक से कमतर (अंडरवेट) पाए गए इन कंपनियों पर मामूली रिकवरी (वसूली) लगाकर बेहद गंभीर मामले की इतिश्री कर दी गई।
कटरा रेलवे स्टेशन।
घटिया कार्य को रिजेक्ट कर ट्रैक पर लगाए गए जानलेवा कमजोर खंभों को हटाया जाना जरूरी थी। यहां तक कि सीबीआइ जांच शुरू होने पर भी जांच एजेंसी को खंभे उखाड़कर वजन कराने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे जांच अधर में रह गई। हैरत की बात है कि भ्रष्टाचार के स्पष्ट सुबूत मिल जाने के बावजूद अभी तक एफआइआर दर्ज कराना भी जरूरी नहीं समझा गया। मामले को महज विभागीय जांच तक समेटे रख कर इसे रफा-दफा करने का प्रयास हुआ।
ईमानदार जांच अधिकारी का कर दिया था तबादला
27 जनवरी 2016 को इलाहाबाद स्थित केंद्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन (कोर) के महाप्रबंधक को ऊधमपुर-कटरा खंड में कम वजनी स्ट्रक्चर्स लगाए जाने की सूचना मिली। इस दौरान ऊधमपुर-कटरा प्रोजेक्ट का काम चल ही रहा था। लॉट में आए अधिकतर स्टील के खंभे लग चुके थे। तब विजिलेंस कोर की टीम के जांच अधिकारी ने सभी डिपो में रखे उन स्ट्रक्चर्स का वजन करवाया, जिन्हें लगाया जाना शेष था।
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ये मानक से 15 फीसद कम वजन के पाए गए। इसको लेकर जांच अधिकारी ने मुख्य परियोजना अधिकारी, विद्युतीकरण (सीपीडी) अंबाला से कई बार पत्राचार किया। लेकिन जांच अधिकारी पर रिवकरी का आदेश वापस लेने के लिए दबाव बनाया गया। जांच अधिकारी अपने फैसले पर टिका रहा तो उसका तबादला भिवानी कर दिया गया।
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इसी रूट से वैष्णो देवी पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु
यहां बता दें कि ऊधमपुर से कटरा तक जाने वाला यह रेलमार्ग एशिया की तीसरी बड़ी पीरपंजाल सुरंग के तहत आता है। इसी रूट से अब हर साल लाखों श्रद्धालु वैष्णो देवी की यात्रा करते हैं। यह प्रोजेक्ट इंजीनियरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती था क्योंकि इसमें कई घुमावदार रास्ते और पहाड़ थे। इंजीनियरों ने इस मुसीबत पर पार पा लिया। लेकिन ट्रैक पर हाई वोल्टेज विद्युत तारों को थामने वाले कमजोर खंभों ने इसे खतरनाक ट्रैक में तब्दील कर दिया।
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वैष्णो देवी जाने वाले करीब 85 प्रतिशत श्रद्धालु इसका इस्तेमाल करते हैं। 25 किलोमीटर की उधमपुर-कटरा लाइन पर लगभग 1132.75 करोड़ रुपये की लागत आई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने चार जुलाई, 2014 को जब इस रेल मार्ग का उद्घाटन किया था, तब इस पर विद्युतीकरण शुरू नहीं हुआ था।
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एक नहीं अनेक रूटों पर मंडरा रहा खतरा
बता दें कि दैनिक जागरण ने 24 फरवरी 2018 को इस मामले का पर्दाफाश किया था। बताया था कि जम्मू-ऊधमपुर, ऊधमपुर-कटरा, गाजियाबाद-मुरादाबाद और कोझिकोड-कन्नूर के विद्युतीकरण में मानक से 19 फीसद तक वजन के स्टील स्ट्रक्चर्स लगाए गए हैं।