अमेरिका से डिपोर्ट हुए भारतीयों को लेकर अमृतपाल का रिएक्शन, कहा- इस बार विमान को रनवे पर उतरने ही न दें
अमेरिका से निर्वासित किए जा रहे सिखों के मुद्दे पर खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने पंजाब के लोगों से अपील की है कि अगर कोई जहाज निर्वासित लोगों को लेकर अमृतसर पहुंचे तो उसे रनवे पर ही रोक दिया जाए। अमृतपाल ने अमेरिका में रहने वाले सिखों से भी ट्रंप के खिलाफ प्रदर्शन करने को कहा है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। खडूर साहिब के सांसद व खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने अमेरिका से सिखों को निर्वासित किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने पंजाब के लोगों से आह्वान किया है कि आगे से कोई भी जहाज अमेरिका से निर्वासित लोगों को लेकर अमृतसर पहुंचे तो रनवे पर ही प्रदर्शन करें और उसे उतरने न दें।
उन्होंने कहा कि अमेरिका से एक भी सिख को निर्वासित न होने दिया जाए। एनएसए के तहत डिब्रुगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह ने यह आह्वान अपने पिता तरसेम सिंह के माध्यम से किया है।
अमृतपाल से बात करके उनके पिता तरसेम सिंह ने एक पत्र भी जारी किया है, जिसमें उन्होंने पंजाबियों को निर्वासित करने और हथकड़ियों व जंजीरों में अमेरिकी सेना के विमान से अमृतसर भेजने पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि वह बतौर सांसद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस बारे में पत्र भी लिखेंगे।
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डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ करें प्रदर्शन
अमृतपाल ने अमेरिका में बसने वाले सिखों से भी आग्रह किया है कि वह अमेरिका के विभिन्न शहरों में ट्रंप के इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करके दबाव बनाएं ताकि वह सिख युवाओं को निर्वासित न करें।
साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अगर निर्वासित करना है तो कम से कम तीन साल तक अमेरिका में रहने का अवसर दिया जाए ताकि युवाओं ने भारी राशि खर्च करके अमेरिका में पहुंचने के लिए जो जोखिम उठाया है उसे वह कमा सकें। सांसद अमृतपाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।
अमेरिका से आए लोगों ने बताई आप बीती
अमेरिका से डिपोर्ट होकर पहुंचे जसपाल सिंह ने वीरवार को घर लौटने पर आपबीती सुनाई। जसपाल ने बताया कि उसने डेढ़ साल पहले भी अमेरिका जाने का प्रयास किया था, लेकिन उस समय बात नहीं बन पाई थी। इस बार एजेंट ने 45 लाख ले उसे कहा था कि उसे विमान से अमेरिका पहुंचाया जाएगा।
वह करीब छह माह पहले यूरोप गया था। वहां से एजेंट ने उसे ब्राजील, पेरू, एक्वाडोर से होते हुए पनामा तक पहुंचाया। यहां छह माह उसने ब्रैड खाकर और पानी पीकर ही बिताए।
रास्ते में जंगलों में पड़े शव देखकर रूह कांप उठी। जंगल के रास्ते अमेरिका के बॉर्डर की तरफ ले जाया गया। वहां पहुंचने पर डिपोर्ट कर दिया गया।
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