बंद से प्रदेश के कई रूट हुए प्रभावित, शाम पांच बजे से शुरू हुआ बसों का आवागमन
किसान संगठनों द्वारा सोमवार को की गई हड़ताल के कारण अमृतसर से चलने वाली बसों का पहिया जाम रहा।
संवाद सहयोगी, अमृतसर: किसान संगठनों द्वारा सोमवार को की गई हड़ताल के कारण अमृतसर से चलने वाली बसों का पहिया जाम रहा। इस कारण बस में सफर करने वाले यात्रियों को मुश्किल उठानी पड़ी। चाहे लोगों को हड़ताल के बारे में पहले ही जानकारी थी। इसलिए बस अड्डे में यात्रियों की भीड़ कम ही दिखाई दी। हड़ताल के कारण सरकारी बसों के अलावा निजी बसें तथा मिनी बसों का पहिया भी जाम रहा।
शाम पांच बजे जैसे ही हड़ताल समाप्त हुई। बसों का आवागमन शुरू हो गया, जिससे बस यात्रियों को राहत महसूस हुई। आज सुबह से ही कोई भी बस किसी भी जगह पर नहीं गई। हड़ताल के कारण जीटी रोड पर भी किसानों के बैठे होने के समाचार को देखते हुए भी किसी भी तरह का बसों का चलाने का जोखिम नहीं लिया गया। इसके अलावा निजी बस ऑपरेटरों तथा मिनी बस ऑपरेटरों की बनी यूनियन ने भी किसानों को समर्थन दिया हुआ था, जिस कारण बसों का आवागमन रुका रहा। वही सरकारी बसों को चलाने वाली ड्राइवरों, वर्कर, डॉक्टरों की यूनियन, पंजाब रोडवेज पनबस पीआरटीसी कंस्ट्रक्ट वर्कर्स यूनियन ने भी हड़ताल में शामिल होने का आवाहन किया हुआ था, जिस कारण सरकारी बसों का पहिया जाम रहा।
अमृतसर गुरदासपुर निजी बस ऑपरेटर यूनियन के चेयरमैन अशोक मनन ने बताया कि निजी बसों का पहिया बिल्कुल जाम रखा गया था। उनकी यूनियन द्वारा हड़ताल को पूरा समर्थन दिया गया था। मिनी बस ऑपरेटर यूनियन के प्रधान बलदेव सिंह बब्बू ने कहा कि मिनी बसों को भी हड़ताल के निर्धारित समय तक बंद रखा गया था। किसी भी जगह पर कोई भी मिनी बस रवाना नहीं की गई। पंजाब रोडवेज पनबस पीआरटीसी कंस्ट्रक्ट वर्कर्स यूनियन के प्रधान जोध सिंह ने कहा कि हड़ताल को पूरा समर्थन दिया गया था, जिसका उनके यूनियन के ड्राइवरों व कंडक्टर ने बसों को नहीं चलाया गया। पंजाब रोडवेज डिपू नंबर दो अमृतसर के जीएम परमजीत सिंह ने बताया की हड़ताल के कारण बच्चों का आवागमन नहीं हो सका। सभी बसें प्रभावित हुई हैं। हड़ताल खत्म होने के बाद पांच बजे के बाद बसों का आवागमन शुरू कर दिया गया है। चार बजे के बाद जो भी निर्धारित रूट है। उन पर बसें रवाना की जा रही है। हड़ताल के कारण काफी रोड प्रभावित हुए हैं, जिसमें दिल्ली, लुधियाना, पठानकोट, माता चितपूर्णी, राजस्थान व अन्य कई रूट प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा छोटे रूटों पर भी प्रभावित हुए हैं।