अकाली दल का इतिहास काफी उठा पटक वाला रहा है अपनी स्थापना से लेकर आज तक
अमृतसर : शिरोमणि अकाली दल की स्थापना 14 दिसंबर 1920 में की गई। सुखमुख ¨सह झब्बाल अकाली दल के पहले अध्यक्ष थे। ...और पढ़ें

पंकज शर्मा , अमृतसर
शिरोमणि अकाली दल की स्थापना 14 दिसंबर 1920 में की गई। सुखमुख ¨सह झब्बाल अकाली दल के पहले अध्यक्ष थे। दूसरे अध्यक्ष बाबा खड़क सिंह थे। पार्टी के तीसरे अध्यक्ष मास्टर तारा सिंह के नेतृत्व में काली दल राजनीतिक तौर पर प्रसिद्ध हुआ। इस के बार गोपाल ¨सह कौमी, तारा ¨सह ठेकेदार, तेजा ¨सह, बाबू लाभ ¨सह, उधम ¨सह नागोके, ज्ञानी करतार ¨सह, प्रीतम ¨सह गुजरां, हुकम ¨सह, फतेह ¨सह, अच्छर ¨सह , भू¨पदा ¨सह ,मोहन ¨सह तुड़, जगदेव ¨सह तलवंडी, हरचरण ¨सह लौंगोवाल, सुरजीत ¨सह बरनाला, सिमरनजीत ¨सह मान, प्रकाश ¨सह बादल और अब सुखबीर ¨सह बादल पार्टी के 21वें अध्यक्ष हैं। 1984 में दो गुटों में बंट गई थी पार्टी
ऐसा नहीं है कि शिअद में गुटबंदी नहीं हुई। एक बार तो संत लोगोंवाल के बाद ऐसा वक्त भी आया था जब अकाली दल कई धड़ों में बंट गया था। वर्ष 1920 में बना अकाली दल वर्ष 1984 में दो ग्रुपों अकाली दल लौंगोवाल और अकाली दल यूनाइटेड में विभाजित हो गया। लोंगोवाल ग्रुप का नेतृत्व संत हरचरण ¨सह लौंगोवाल के पास था जबकि यूनाईटेड अकाली दल का नेतृत्व बाबा जो¨गदर सिंह के पास था। 20 अगस्त 1985 में लोंगोंवाल की मौत के बाद सुरजीत सिह बरनाला ने इस अकाली दल की नेतृत्व संभाला। 8 मई 1986 में तो अकाली दल दो भागों अकाली दल बरनाल और अकाली दल बादल में विभाजित हो गया। वर्ष 1987 में अकाली दल तीन धड़ों में बंट गया। जिसमें बरनाला ग्रुप, बादल ग्रुप और जो¨गदर ¨सह ग्रुप सक्रिय थे। 5 फरवरी 1987 को बादल दल, यूनीफाईड अकली दल सिमरनजीत ¨सह मान ग्रुप और जो¨गदर ¨सह ग्रुप एक जुट हो गया। 15 मार्च 1989 में अकाली दल लोंगोवाल, अकाली दल मान और अकाली दल जगदेव सिहं तलवंडी अपनी गतिविधियों अलग अलग चलाते रहे।
अकाली दल कई बार टूटा, कई बार जुड़ा
अकाली दल के सिरमनजीत ¨सह मान ने आनंदपुर का प्रस्ताव अपने तौर पर अलग से पेश करके अकाली दल अमृतसर का गठन कर लिया। जो आज भी सक्रिय है। इसी तरह एक समय था जब जसबीर ¨सह रोडे और उनके साथियों ने अकाली दल पंथक का गठन कर लिया। जो लम्बे समय तक काम न कर पाया। समय के साथ एसजीपीसी के सब से लम्बा समय तक अध्यक्ष रहे गुरचरन ¨सह टोहरा ने अकाल इंडिया अकाली दल का गठन कर लिया। जो अधिक समय तक न चल सका। जब अकाली नेता कुलदीप ¨सह वडाला को बादल दल ने नजर अंदाजन करना शुरू कर दिया तो उन्होंने एक वक्त पर अकाली दल वडाला का भी गठन किया था। अकाली दल के वरिष्ठ नेता जत्थेदार उमरानंगल की विचारधारा बादल ग्रुप के साथ नहीं मिलती थी इस लिए उन्होंने अपना अलग से अकाली दल जगत उर्फ अकाल दल उमरानंगल का भी गठन किया था। जब तक वह जीवित रहे वह अपने इस ग्रुप के अध्यक्ष रहे।
आतंकवाद के दौर में भी बने दो धड़े
आतंकवाद के दौरान में अकाली दल महंत भी बना जो निर्दोष हिन्दुओं की हत्याएं किए जाने के खिलाफ आवाज उठाता था। अतंकवाद के दौरान शिरोमणि अकाली दल बब्बर का भी गठन हुआ। यह बब्बर खालसा का राजनीतिक ¨वग के रूप में जाना जाता था। जब आतंकवाद के दौर के बाद पंथक कमेटी के मुखी वस्सन ¨सह जफरवाल मुख्य धारा में शामिल हुए तो उन्होंने अकाली दल जफरवाल का भी गठन किया था। बाद में जफरवाल यूनाइटेड अकाली दल में शामिल हो गए। जिसका नेतृत्व इस वक्त भाई मोहकम ¨सह के पास है। आज भी यूनाइटेड अकाली दल अलग अलग पंथक मुद्दों पर आवाज उठा रहा है। इसी तरह इस वक्त अकाली दल का एक स्वतंत्र ग्रुप भी है।
दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष परजीत ¨सह सरना ने अकाली दल पंथक बनाया हुआ है। दिल्ली के ही कुछ नेताओं ने अकाली दल नेशनल भी बनाया। पूर्व कैबिनेट मंत्री अकाली नेता रवि इंद्र ¨सह ने भी अकाली दल बनाया है। जिसका नाम अकाली दल 1920 है। इस अकाली दल के नाम पर आज भी कभी कभी अलग अलग मुद्दों पर बयान आते हैं।
हरियाणा में बना शिरोमणि अकाली दल जनता
हरियाणा से एसजीपीसी के सदस्य रहे जगदीश ¨सह झींडा ने भी कुछ वर्ष पहले बादल ग्रुप से बागी होकर यहां अलग हरियाण सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का प्रस्ताव तत्कालीन हरियाणा असेंबली से पास करवाया और हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का गठन किया वहीं उन्होंने अमृतसर में आकर अकाल तख्त साहिब पर अरदास करते हुए शिरोमणि अकाली दल जनता का भी गठन किया हुआ है।
अब बादल दल के टकसाली अकाली नेताओं ने बादल ग्रुप की कथित नीतियों से तंग आकर 14 दिसंबर को एक नए असली अकाली दल का गठन करने का फैसला ले लिया है। इसी तरह अलग अलग अकाली दल विदेशों में भी काम कर रहे है।

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