डा. किचलु व सत्यपाल की गिरफ्तारी के विरोध में जलियावाला बाग में जुटे थे लोग: प्रो. लाल
13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में डा. सैफुद्दीन और डा. सत्यपाल की गिरफ्तारी के विरोध में सभा बुलाई गई थी।

अमृतसर: 13 अप्रैल 1919 को जलियावाला बाग में हुए कांड के बारे में तो हर कोई जानता है, लेकिन शायद बहुत कम लोग जानते हैं कि उस दिन की सभा डा. सैफुद्दीन किचलु और डा. सत्यपाल की गिरफ्तारी के विरोध में बुलाई गई थी, क्योंकि डा. किचलु ने ही पंजाब में ब्रिटिश शासन की ओर से लागू किए गए रालेट एक्ट के खिलाफ आवाज उठाई थी और इसकी अगुआई की थी। डा. किचलु का जन्म 15 जनवरी 1888 को अमृतसर में ही हुआ था। छह अप्रैल 1919 को पूरे भारत में महात्मा गाधी की अपील पर शातिपूर्ण हड़ताल की गई। इस हड़ताल की जिम्मेदारी डा. सैफुद्दीन किचलु, डा. सत्यपाल, चौधरी बुग्गा मल, महाशा रत्तो और लाला गिरदारी लाल को दी गई थी। हड़ताल शातिपूर्ण संपन्न हुई और सात व आठ अप्रैल को भी शाति बनी रही। इसके बाद नौ अप्रैल 1919 को रामनवमी का त्योहार था। अमृतसर के इतिहास में पहली बार हिदू, मुस्लमानों, सिखों और ईसाइयों ने मिलकर इस दिन शोभायात्रा निकाली। बाजारों को दुल्हन की तरह सजाया गया। यह अद्भुत व आलौकिक दृश्य था। शोभायात्रा की रहनुमाई शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डा. हाफिज मोहम्मद बशीर घोड़े पर सवार होकर कर रहे थे। उनके पीछे लोगों की काफी भीड़ थी। सबसे पीछे मुस्लिमों का एक समूह तुर्की लिबास पहने चल रहा था। इस सारे जुलूस को कटड़ा आहलुवालिया से निकलते हुए वहा खड़ा उस समय का अंग्रेज डिप्टी कमिश्नर देखकर लाल-पीला हो रहा था। जब शोभायात्रा बुत मलिका पहुंची तो एक आदमी बड़े बर्तन में पानी लेकर खड़ा हो गया और कहा कि अगर आप हकीकत में आजादी चाहते हैं तो सभी धर्म के लोग एक ही बर्तन से पानी पीएं। इस पर सभी धर्मो के लोगों ने ऐसा ही किया। फिर नौ अप्रैल का यह दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। दस अप्रैल 1919 को डा. किचलु को किया था गिरफ्तार
शातिपूर्ण हड़ताल होने व रामनवमी का त्योहार मनाए जाने की सूचना जब उस समय के गवर्नर जनरल के पास पहुंची तो वह घबरा गया। डा. सैफुद्दीन किचलु और डा. सत्यपाल को डीसी की कोठी बुलाया गया और वहा से गिरफ्तार करके धर्मशाला भेज दिया गया। गिरफ्तारी की सूचना मिलने पर उसी रात हजारों लोग सड़क पर उतर आए। जब लोग इकठ्ठे होकर लोहे वाले पुल (भंडारी पुल) से गुजर रहे थे तो अंग्रेज सरकार ने गोलियां चला दीं जिसमें 22 लोग मारे गए। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने पाच अंग्रेज कर्मचारियों की पीट-पीट कर हत्या कर दी। इसके बाद मारे गए 22 लोगों के शव हाल गेट खैरुदीन में रखे गए थे और 11 अप्रैल को उनका अंतिम संस्कार किया गया था। बाद में 12 अप्रैल को हिंदू सभा स्कूल में डा. किचलु और डा. सत्यपाल की रिहाई संबंधी मीटिंग हुई और तय हुआ कि 13 अप्रैल 1919 को लाल कन्हैया लाल की अगुआई में जलियावाला बाग में सभा होगी और आगे की रणनीति तय होगी।
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