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157 साल यह पुरानी कोठी आज भी नंबर-1, इसकी खासियत कर देती है हैरान

अमृतसर की 157 साल पुरानी कोठी नंबर एक आज भी नंबर है। यह अब तक 166 डिप्‍टी कमिश्‍नर का निवास रहा है। इस कोठी की ख‍ासियत हैरान कर देती है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 27 Jan 2020 03:41 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 09:03 AM (IST)
157 साल यह पुरानी कोठी आज भी नंबर-1, इसकी खासियत कर देती है हैरान

अमृतसर, [हरीश शर्मा]। शहर की मकबूल रोड पर करीब ढ़ाई एकड़ क्षेत्र पर 1863 में बनी पहली कोठी अपने आप में इतिहास संजोए हुए है। यह कोठी नंबर-एक आज तक डिप्टी कमिश्नरों की पनाहगाह बनी हुई है। ब्रिटिश काल में बना यह निवास खास तौर पर जिले के डीसी के रहने और काम करने के लिए बनवाया गया था। यहीं पर बैठ कर ब्रिटिश काल के डिप्टी कमिश्नर लोगों की समस्याएं सुना करते थे। इस कोठी का इतिहास और खासियत देखने वालों को हैरान कर देती है।

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यह 166 डिप्टी कमिश्‍नरों का रहा है निवास, 1863 में हुआ था निर्माण

कुछ समय के बाद डीसी कार्यालय अलग बना दिया गया था और इस कोठी में निवास और कैंप ऑफिस ही रह गया। वॉल सिटी के बाहर बनने वाली यह पहली कोठी थी। इस कोठी की गिनती आलीशान घरों में होती हैं। पेश है इस ऐतिहासिक कोठी के खास पहलू।

कोठी परिसर में नए डीसी शिव दुलार सिंह ढिल्लों।

अमृतसर को अब तक 173 उपायुक्त मिल चुके हैं और उन में से 166 को पनाह दी है इस ऐतिहासिक कोठी ने। यह आलीशन भवन पुरानी वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। इसमें कैंप आफिस का कमरा गोलाकार है तो अंदर दीवार में बनी अंग्रेजों के जमाने की अंगीठी भी आज तक ज्यों की त्यों है। खूबसूरत बगीचों के एक ओर फुव्वारा भी आकर्षण का केंद्र है। इस कोठी से अनेक रोचक पहलू जुड़े हैं।

सबसे पहले यहीं पर पहुंची थी बिजली

अमृतसर-जालंधर जीटी रोड के साथ बहने वाली अपरबारी दोआब नहर में आज से सौ वर्ष पूर्व 12 दिसंबर 1915 को बिजली के उत्पादन की शुरूआत हुई। तब वहां स्थापित किए गए ‘घराटों’ से बिजली की तारें मकबूल रोड स्थित अंग्रेज डीसी सीएम किंग के निवास स्थान तक बिछाई गईं थीं। इसी दिन डीसी निवास स्थान में पहला बिजली का बल्ब जगमगाया था। डीसी कार्यालय में लगाए गए इस बल्ब के साथ ही गुरु नगरी में बिजली की व्यवस्था लागू हो गयी थी।

घराटों से बिजली 1937 तक सप्लाई होती रही। उस समय डीसी के निवास स्थान पर म्यूनिसिपल इलेक्ट्रीसिटी डिपार्टमेंट अमृतसर के चीफ इंजीनियर ने 32 वॉट का एक बल्ब, चार सीलिंग फैन, जो 110 वॉट के थे तथा नौ प्लग टेबल लैंप के लिए लगाए थे। डीसी निवास स्थान पर स्थापित किए गए कैंप आफिस के लिए दो प्लग 500 वॉट के लगाए गए थे। उस समय बिजली का रेट आठ आना प्रति यूनिट था।

13 रुपये आठ आना आया था पहला बिल

पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड के 2019 के रिकार्ड के अनुसार डीसी के निवास स्थान का पहला बिजली का बिल 13 रुपये आठ आना आया था। तब निर्धारित समय के अनुसार बिल भरने पर 25 प्रतिशत रिबेट मिलती थी। 12 आना केवल मीटर का किराया लगता था। 100 साल के इस सफर में डीसी के निवास स्थान पर आज तीन एसी हैं। बिजली का बिल 15 से 20 हजार रुपये प्रति माह आ रहा है।

गुरुनगरी अमृतसर में अपरबारी दोआब नहर (चाटीविंड नहर) से लेकर डीसी कार्यालय तक बिछाई गई बिजली की तारों के कारण इस नहर के ऊपर बने पुल का नाम ‘तारांवाला पुल’ पड़ गया था, जो आज भी प्रचलित है। जिस घराट से बिजली का उत्पादन किया गया था, उसको बंद हुए पचास वर्ष से अधिक हो गए हैं। लेकिन, तारांवाला पुल के पास बहने वाली चाटीविंड नहर के रूप में आज भी सौ वर्ष के इतिहास का गवाह जिंदा है।

डीसी एजे फ्रिगटन ने किया था इस कोठी में पहला गृह प्रवेश

अमृतसर में पहला डीसी 1849 में तैनात किया गया था। उनका नाम एल साड्रंस था। तब से लेकर अब तक 173 डीसी अमृतसर में तैनात हो चुके हैं। मकबूल पुरा की इस कोठी नंबर एक में 166 डीसी रह चुके हैं। सबसे पहले इस कोठी में गृह प्रवेश एजे फ्रिगटन ने किया था। वह 1860 से लेकर 1866 तक अमृतसर में तैनात रहे। कोठी 1863 में बनी थी। इसलिए कोठी बनने के बाद वह सबसे पहले यहां पर ठहरे थे। उस समय इसके आस-पास केवल जंगल थे। 

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मौजूदा समय में आइएएस अधिकारी शिव दुलार सिंह ढिल्लों जिले के डीसी हैं। 18 फरवरी 2019 को उन्होंने पदभार संभाला और अब वह इस घर में रह रहे हैं। हराभरा चौगरिदा, खुला लॉन और ढ़ाई एकड़ में फैली हरियाली आज भी डिप्टी कमिश्नर निवास की पहचान है।

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