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    सीबी नॉट टेस्ट बताएगा, दवा खाएं या नहीं

    By Edited By:
    Updated: Fri, 28 Oct 2016 12:59 AM (IST)

    नितिन धीमान, अमृतसर टीबी मरीजों के इलाज में प्रयुक्त होने वाली दवाएं क्या मरीज के शरीर में प्रभावी

    नितिन धीमान, अमृतसर

    टीबी मरीजों के इलाज में प्रयुक्त होने वाली दवाएं क्या मरीज के शरीर में प्रभावी रूप से कार्य करेंगी, इसकी जानकारी जुटाने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में सर्वप्रथम सीबी नॉट टेस्ट किया जाएगा। टीबी मरीज के चिन्हित होने पर उसकी तत्काल इस मशीन से जांच की जाएगी, इसके बाद ही दवाओं का कोर्स प्रारंभ किया जाएगा। एक नवंबर से प्रदेश के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी।

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    दरअसल, पूर्व में टीबी मरीजों को एमडीआर व डॉट्स दवाएं खिलाई जाती थीं। सप्ताह भर की दवाएं देकर मरीज को घर भेजा जाता था। यह क्रम छह महीने तक चलता था। इसके बाद सीबी नॉट मशीन (कार्टिरिज बेस्ड, न्यूक्लिक ऐसिड एम्प्लीफिकेशन) से टेस्ट करके यह पता लगाया जाता था कि क्या ये दवाएं टीबी का वायरस खत्म कर पाई अथवा नहीं। 25 से 30 फीसद मरीजों के शरीर में टीबी की दवा असरकारक नहीं रहती। ऐसा तब होता है जब मरीज के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) कमजोर है। दवा सेवन के बावजूद टीबी का वायरस यथावत ही शरीर में विद्यमान रहता है। ऐसी स्थिति में नए सिरे से दवाओं का कोर्स शुरू करना पड़ता है।

    अब स्वास्थ्य विभाग ने 1 नवंबर से मरीजों का सीबी नॉट टेस्ट पहले करने का फैसला किया है। इससे पता चल पाएगा कि मरीज के शरीर में इन दवाओं का असर होगा या नहीं। यदि ऐसा न हुआ तो मरीज को टीबी अस्पताल में स्थित एमडीआर वार्ड में दाखिल कर कैटेगरी फोर ट्रीटमेंट दिया जाएगा। इस ट्रीटमेंट की कीमत ढाई लाख रुपये है, लेकिन मरीज से इसकी एवज में कोई राशि नहीं ली जाएगी।

    जिला टीबी अधिकारी डॉ. नरेश चावला कहते हैं कि कई टीबी मरीज दवा का कोर्स बीच में ही छोड़ जाते हैं, जबकि नशेड़ी या एचआइवी पॉजिटिव मरीजों के शरीर में दवाएं असर नहीं करतीं। खास बात यह है कि ऐसे मरीजों पर किसी भी दवा का असर नहीं होता। ऐसे में उन्हें एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंट) की श्रेणी में रखा जाता है। सीबी नॉट से टेस्ट के बाद इन्हें वार्ड में दाखिल कर कैटेगरी फोर ट्रीटमेंट देने की व्यवस्था बनाई गई है।

    क्या है सीबी नॉट मशीन

    सीबीनॉट मशीन डीएनए की खोज करने वाली अत्याधुनिक मशीन है। यह जीन एक्सपर्ट विधि से मरीज से प्राप्त नमूने (कफ या अन्य द्रव्य) में जीन्स को खोजकर टीबी की जाच करती है। इस टेस्ट से मरीज के शरीर की इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) का आकलन किया जाता है। इसके अलावा इस मशीन से मरीज का टीबी रोधी दवाओं के प्रति सेंसेटीविटी टेस्ट भी किया जाता है। अर्थात मरीज पर टीबी रोधक दवाएं काम भी कर रही हैं या नहीं, इसका पता लगाती है। यदि मरीज पर टीबी रोधक दवाएं काम करना बंद कर दें तो उसे मल्टी ड्रग्स रजिस्टेंट टीबी के नाम से जाना जाता है। यह अपेक्षाकृत ज्यादा गंभीर बीमारी है।