गुजरात के विसावदर सीट पर आप की जीत से भाजपा सदमे में, दलबदलुओं ने नहीं दिया साथ
गुजरात में सौराष्ट्र की विसावदर सीट पर हुए उप चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रत्याशी गोपाल ईटालिया की जीत से भाजपा सकते में है। इस हार ने भाजपा की ...और पढ़ें

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल प्रेंस कांफ्रेंस करते हुए (फोटो- आईएएनएस)
शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। गुजरात में सौराष्ट्र की विसावदर सीट पर हुए उप चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रत्याशी गोपाल ईटालिया की जीत से भाजपा सकते में है। इस हार ने भाजपा की उत्तर गुजरात की कठिन सीट पर हुई शानदार जीत का भी जायका बिगाड़ दिया।
भाजपा की अंदरूनी खींचतान के कारण यह सीट निकल गई
मोटे तौर पर देखा जाए तो भाजपा की अंदरूनी खींचतान के कारण यह सीट निकल गई। सबसे अहम बात यह रही कि कांग्रेस व आप से भाजपा में आए नेताओं ने भाजपा का साथ नहीं दिया।
गुजरात में सौराष्ट्र की अपनी एक अलग राजनीति चलती है। पूर्व सांसद दिवंगत विट्ठलभाई रादडिया के रहते राजकोट में भाजपा अपने पैर नहीं जमा पाई थी।
विधायक रादडिया का इस क्षेत्र में पूरा दबदबा
कांग्रेस में नेता विपक्ष का पद न मिलने से नाराज रादडिया भाजपा में शामिल हो गए तथा उनके पुत्र जयेश रादडिया राज्य सरकार में मंत्री भी बन गए थे। हालांकि जयेश अब मंत्री नहीं हैं, लेकिन बतौर विधायक उनका इस क्षेत्र में पूरा दबदबा है।
भाजपा ने इनको सौंपी थी जिम्मेदारी
भाजपा ने विसावदर सीट पर जीत दिलाने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी थी लेकिन कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व मंत्री जवाहर चावड़ा, पूर्व विधायक हर्षद रिबडिया तथा आप विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए भूपत भायाणी ने जयेश खेमे को कमजोर करने के लिए आखिरी समय पर आप प्रत्याशी गोपाल ईटालिया का समर्थन कर दिया।
विसावदर सीट भाजपा के हाथ से फिसल गई
भाजपा की ही पूर्व मंत्री जसुमति कोराट भी नहीं चाहती थी कि उसके क्षेत्र में जयेश का दखल हो। ऐसे में विसावदर सीट भाजपा के हाथ से फिसल गई।
सरकार के प्रवक्ता एवं कानून मंत्री ऋषीकेश पटेल ने कहा है कि हार के कारणों की समीक्षा होगी। इस सीट पर प्रत्याशी चयन के साथ अन्य जो भी कमियां रहीं उन पर विचार विमर्श किया जाएगा।
पूर्व विधायक भूपत भायाणी ने आप की जीत का श्रेय जवाहर चावड़ा को देते हुए कहा कि उनके समर्थक भाजपा का साथ छोड़कर आप के पक्ष में आ गए। इसलिए, यह सीट भाजपा हार गई।
विसावदर सीट पर भाजपा 2007 से कभी नहीं जीती चुनाव
सौराष्ट्र की विसावदर सीट पर भाजपा 2007 के बाद कभी भी चुनाव नहीं जीत सकी है। यह एक अच्छा मौका था, लेकिन भितरघात के चलते पार्टी विधानसभा में अपने सदस्यों की संख्या 163 तक ले जाने में भी विफल रही।

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