Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    योगी सरकार ने की शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड संपत्तियों में गड़बड़ियों की सीबीआइ जांच की सिफारिश

    By Umesh TiwariEdited By:
    Updated: Mon, 14 Oct 2019 08:09 AM (IST)

    सीबीआइ को पत्र भेजकर शिया-सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में अनियमिता की सीबीआइ जांच की सिफारिश की गई है।

    योगी सरकार ने की शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड संपत्तियों में गड़बड़ियों की सीबीआइ जांच की सिफारिश

    लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शिया और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में अनियमितताओं की जांच आखिरकार सीबीआइ से कराने का निर्णय ले लिया। गृह विभाग ने प्रयागराज व लखनऊ में दर्ज दो मुकदमों के साथ ही यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड व यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा अनियमित रूप से खरीदी-बेची गईं एवं स्थानांतरित की गई संपत्तियों की सीबीआइ जांच कराने संबंधी पत्र केंद्र सरकार को भेजा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि सचिव कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, कार्मिक लोक शिकायत व पेंशन मंत्रालय तथा निदेशक सीबीआइ को पत्र भेजकर शिया-सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में अनियमिता की सीबीआइ जांच की सिफारिश की गई है। शिया-सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में अनियमितता को लेकर कोतवाली प्रयागराज में वर्ष 2016 में तथा लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में 2017 में अलग-अलग मुकदमे दर्ज कराये गए थे।

    दरअसल, 2017 में जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी तो उस समय शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड पर घोटाले का आरोप लगाकर सीबीआइ जांच कराने की घोषणा हुई थी, लेकिन सरकार सीबीआइ जांच के लिए जरूरी औपचारिकताएं ही पूरी नहीं कर सकी थी। ढाई साल बाद अब सरकार ने सीबीआइ जांच कराने के लिए कागजी औपचारिकता पूरी कर केंद्र सरकार को सिफारिश भेज दी है। 

    यह भी पढ़ें : शिया व सुन्नी वक्फ संपत्तियों में करोड़ों की लूट, कई पूर्व मंत्री से लेकर अफसर तक आएंगे लपेटे में...

    वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सहित कई पर दर्ज हुए थे मुकदमे

    योगी सरकार ने शिया-सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में अनियमितता की सीबीआइ जांच की सिफारिश में जिन दो मुकदमों का जिक्र किया है, उनमें शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी आरोपित हैं। लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में 27 मार्च 2017 को कानपुर देहात निवासी तौसीफुल हसन की ओर से दर्ज कराई गई एफआइआर में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी, प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैय्यदैन रिजवी, निरीक्षक वकार रजा के अलावा कानपुर निवासी नरेश कृष्ण सोमानी व विजय कृष्ण सोमानी नामजद आरोपित हैं। तौसीफुल ने तहरीर में कहा है कि कानपुर के स्वरूप नगर में उनकी मां के नाम संपत्ति है, जिसके वह मुतव्वली हैं।

    आरोप है कि स्वरूप नगर निवासी नरेश कृष्ण सोमानी व उनके भाई विजय कृष्ण इस संपत्ति को हड़पना चाहते हैं। वसीम रिजवी व अन्य आरोपितों ने सांठगाठ कर करीब 27 लाख रुपये का लेनदेन किया गया और 29 मई 2009 को अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उनकी मां के नाम दर्ज संपत्ति का वक्फ रजिस्ट्रेशन रद कर दिया और पत्रावली से महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब कर दिये। विरोध पर उन्हें जान से मारने की धमकियां दी गईं। हजरतगंज पुलिस ने धोखाधड़ी व जान से मारने की धाराओं में एफआइआर दर्ज की थी, जिसमें पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी।

    दूसरी ओर इस मुकदमे से पहले प्रयागराज कोतवाली में 26 अगस्त, 2016 को सुधांक मिश्रा की ओर से वसीम रिजवी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई थी। आरोप था कि शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम द्वारा प्रयागराज के पुरानी जीटी रोड स्थित मकान नंबर 61/56 इमामबाड़ा गुलाम हैदर पर अवैध ढंग से दुकानों का निर्माण शुरू किया गया। क्षेत्रीय अवर अभियंता व संयुक्त सचिव द्वारा अवैध निर्माण को रोकने के संबंध में कार्रवाई के बावजूद निर्माण कार्य जारी रखा गया। आरोप है कि सात मई 2016 को निर्माण को सील बंद कराया गया लेकिन उसके बाद भी निर्माण जारी रहा। बाद में सील बंदी को तोड़कर अनाधिकृत रूप से निर्माण कार्य कराये जाने की एफआइआर दर्ज की गई। राज्य सरकार ने इन दोनों मुकदमों की भी सीबीआइ जांच कराने की सिफारिश की है।

    comedy show banner
    comedy show banner