Assam-Arunanchal Pradesh:अमित शाह की मौजूदगी में जल्द निपटेगा असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच का सीमा विवाद
असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच चल रहे सीमा विवाद पर जल्द ही विराम लग सकता है दरअसल इस बात की जानकारी असम के मंत्री ने दी है। उन्होंने कहा कि दोनों सरकारों के बीच जल्द ही एक सहमति पत्र साइन किया जाएगा।

गुवाहाटी, एजेंसी। असम और अरुणाचल प्रदेश में लंबे समय से चल रहा विवाद अब सुलझते दिख रहा है। खबर है कि दोनों ही राज्यों की सरकारों के बीच इस महीने एक सहमति पत्र पर साइन किया जा सकता है। इस बात की जानकारी मंत्री अतुल बोरा के द्वारा दी गई है। मंत्री अतुल बोरा ने बताया कि असम ने अपनी ओर से एमओयू के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है और इसे मंजूरी के लिए पड़ोसी राज्य को भेज दिया जाएगा।
उन्होंने कहा “एमओयू के मसौदे पर गहन चर्चा की गई और इसे अंतिम रूप दिया गया। अब इसकी कॉपी अरुणाचल प्रदेश की सरकार के साथ साझा की जाएगी और अगर वे सहमत हैं, तो हम उम्मीद करते हैं कि इस पर इस महीने में हस्ताक्षर हो जाएंगे। उन्होंने ये भी कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में दोनों राज्यों द्वारा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि ये कहा नहीं जा सकता कि समझौता ज्ञापन अंतिम समाधान होगा।
दोनों राज्यों की सरकारें विवाद को हल करने की कोशिश में लगीं
दरअसल दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्री पिछले साल 15 जुलाई को नामसाई घोषणा पर हस्ताक्षर करने के साथ विवादों को हल करने की कोशिश में लगे हुए हैं। दोनों ही पूर्वोत्तर राज्यों ने 'विवादित गांवों' की संख्या को पहले 123 के बजाय 86 तक सीमित करने का फैसला किया था। कुष विशेष क्षेत्रों से संबंधित क्षेत्रीय समितियों का गठन पिछले साल किया गया था, इसमें चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए दोनों पक्षों के मंत्रियों, स्थानीय विधायकों और अधिकारियों को शामिल किया गया था।
दोनों राज्य 804.1 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं
अरुणाचल प्रदेश की शिकायत है 1972 में मैदानी इलाकों में कई जंगली इलाके जो पारंपरिक रूप से पहाड़ी आदिवासी प्रमुखों और समुदायों से संबंधित थे, एकतरफा रूप से उन्हें असम में स्थानांतरित कर दिया गया। 1987 में अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा मिलने के बाद एक त्रिपक्षीय समिति नियुक्त की गई, जिसने सिफारिश की कि कुछ क्षेत्रों को असम से अरुणाचल प्रदेश में स्थानांतरित किया जाए। असम ने इसका विरोध किया और मामला सुप्रीम कोर्ट में है
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।