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    Jammu Kashmir में नेताओं की कमी से जूझ रही प्रदेश कांग्रेस नहीं कर पा रही बड़ी जनसभाएं

    By Jagran NewsEdited By: Lokesh Chandra Mishra
    Updated: Wed, 12 Oct 2022 06:01 PM (IST)

    कार्यक्रम में प्रदेश प्रधान विकार रसूल कार्यवाहक प्रधान रमण भल्ला पूर्व मंत्री योगेश साहनी व रविंद्र शर्मा ही नजर आ रहे हैं। रसूल का अधिक ध्यान अपने इलाके रामबन पर केंद्रित है तो भल्ला का जम्मू में। ऐसे में पार्टी के लिए कई इलाकों में परेशानी पेश आ रही है।

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    पूर्व प्रदेश प्रधान गुलाम अहमद मीर की गतिविधियां भी कश्मीर में कम हो गई हैं।

    जम्मू, राज्य ब्यूरो : डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी की गतिविधियां बढ़ने के बाद प्रदेश कांग्रेस ने अपनी सक्रियता को तो बढ़ाई, मगर नेताओं की कमी खल रही है। इसलिए पार्टी बड़ी जनसभाएं नहीं कर पा रही है। पार्टी के अधिकतर वरिष्ठ नेता व कार्यकर्ता कांग्रेस छोड़कर गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक पार्टी में चले गए हैं। इनमें हर इलाके के नेता शामिल हैं, जिनमें पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद, पूर्व मंत्री जीएम सरूरी, डा. मनोहर लाल शर्मा, जुगल किशोर, बलवान सिंह, पूर्व मंत्री ताज मोहुउद्दीन, पूर्व प्रदेश कांग्रेस प्रधान पीरजादा मोहम्मद सईद सहित दो दर्जन से अधिक नेता व सैंकड़ों कार्यकर्ता शामिल हैं। भले ही कांग्रेस कुछ भी कहें, लेकिन उसे झटका जरूर लगा है।

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    हर बैठक या कार्यक्रम में प्रदेश प्रधान विकार रसूल, कार्यवाहक प्रधान रमण भल्ला, पूर्व मंत्री योगेश साहनी व रविंद्र शर्मा ही नजर आ रहे हैं। रसूल का अधिक ध्यान अपने इलाके रामबन पर केंद्रित है तो भल्ला का जम्मू में। ऐसे में पार्टी के लिए कई इलाकों में परेशानी पेश आ रही है। जिला विकास परिषद, ब्लाक विकास परिषद के भी कई प्रतिनिधि कांग्रेस को छोड़कर गुलाम नबी आजाद की पार्टी का दामन थाम चुके हैं। पूर्व प्रदेश प्रधान गुलाम अहमद मीर की गतिविधियां भी कश्मीर में कम हो गई हैं।

    नए प्रदेश प्रधान विकार रसूल की नियुक्ति के समय भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने एतराज जताया था। यह कहा गया था कि वरिष्ठ व अनुभवी नेताओं को नजरअंदाज किया गया। अब तो सारे वरिष्ठ नेता ही डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी में चले गए है। इसके बावजूद विकार रसूल अभी तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नए पदाधिकारियों को नियुक्त नहीं कर पाए हैं। कांग्रेस अब नए नेताओं व कार्यकर्ता को जोड़ने की कोशिश में जुट गई है। डगर कठिन है, चुनौतियां बहुत अधिक हैं। पार्टी की तरफ से इस साल शुरू किया गया सदस्यता अभियान भी कोई रंग नहीं ला पाया था। मुद्दों को लेकर कांग्रेस के विरोध प्रदर्शनों में कार्यकर्ताओं की गिनती कम होने लगी है।

    कभी करीबी रहे विकार रसूल ही आजाद पर साध रहे निशाना

    नए प्रधान विकार रसूल के निशाने पर कांग्रेस छोड़कर गए नेता आ रहे हैं। किसी समय गुलाम नबी आजाद के करीबी रहे विकार रसूल बिना आजाद का नाम लिए आजाद को मौकापरस्त कह कर निशाना साधते हैं। रसूल अपने जिला, चिनाब घाटी व भल्ला जम्मू में गतिविधियों को तेज कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ने के बजाए कम ही हुआ है। बिना किसी ठोस व्यापक नीति या कार्यक्रम के रसूल व भल्ला के लिए जनाधार बढ़ाना बहुत बड़ी चुनौती है।

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