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Rajasthan Political Crisis: सत्र बुलाने में देरी से पैदा हुआ संवैधानिक गतिरोध, तीन पूर्व कानून मंत्रियों ने राज्‍यपाल को लिखा पत्र

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में कानून मंत्री रहे कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं कपिल सिब्बल सलमान खुर्शीद और अश्वनी कुमार ने सोमवार को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 09:05 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 09:37 PM (IST)
Rajasthan Political Crisis: सत्र बुलाने में देरी से पैदा हुआ संवैधानिक गतिरोध, तीन पूर्व कानून मंत्रियों ने राज्‍यपाल को लिखा पत्र
Rajasthan Political Crisis: सत्र बुलाने में देरी से पैदा हुआ संवैधानिक गतिरोध, तीन पूर्व कानून मंत्रियों ने राज्‍यपाल को लिखा पत्र

नई दिल्ली, प्रेट्र। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में कानून मंत्री रहे कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद और अश्वनी कुमार ने सोमवार को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र से कहा कि राज्य मंत्रिमंडल की अनुशंसा पर विधानसभा सत्र बुलाने में विलंब करने से संवैधानिक गतिरोध पैदा हुआ है जिसे पहले ही टाला जा सकता था। 

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तीन पूर्व कानून मंत्रियों ने राज्यपाल कलराज को लिखा पत्र

उन्होंने मिश्र को पत्र लिखकर यह आग्रह भी किया कि वह अशोक गहलोत मंत्रिमंडल की सिफारिश पर विधानसभा सत्र बुलाएं क्योंकि ऐसा नहीं करने से संवैधानिक संकट पैदा होगा। उन्होंने 2016 के नबाम रेबिया मामले और 1974 के शमशेर सिंह बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह पर विधानसभा सत्र बुलाना चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पत्र में लिखा है कि भारत सरकार के पूर्व कानून मंत्री और कानून के विद्यार्थी के तौर पर हमारी स्पष्ट राय है कि स्थापित कानूनी व्यवस्था के तहत राज्य कैबिनेट की सलाह पर विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल बाध्य है।

निर्वाचित सरकार के विवेक से सहमति जताने को बाध्य है राज्‍यपाल 

तीनों पूर्व कानून मंत्रियों ने कहा कि विधानसभा सत्र बुलाने की स्थापित संवैधानिक स्थिति से इतर जाने से संवैधानिक संकट पैदा होगा। उन्होंने कहा कि राज्यपाल पद पर आसीन होने के नाते आप इससे अच्छी तरह अवगत हैं कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को संविधान के तहत ली गई शपथ का अक्षरश: निर्वहन करना होता है। संवैधानिक एवं संसदीय लोकतंत्र की परंपराओं के मुताबिक राज्यपाल निर्वाचित सरकार के विवेक से सहमति जताने को बाध्य होता है क्योंकि ये सरकारें जनता की भावना को प्रकट करती हैं। 

गहलोत मंत्रिमंडल ने 31 जुलाई से सत्र बुलाने का किया था प्रस्ताव 

गौरतलब है कि राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का राज्य मंत्रिमंडल का संशोधित प्रस्ताव कुछ सवालों के साथ सरकार को वापस भेज दिया है। राजभवन सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। राजस्थान में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच अशोक गहलोत के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल ने विधानसभा सत्र 31 जुलाई से आहूत करने के लिए राज्यपाल को शनिवार देर रात एक संशोधित प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव को वापस करते हुए राज्यपाल ने कुछ और स्पष्टीकरण मांगे थे। यह दूसरी बार है जब राज्यपाल ने प्रस्ताव लौटाया है। 


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